DElEd 1st Semester Short Practice Notes Paper Sanskrit Question Answer
प्रश्न 12. जगत् और नामन् शब्दों के नपुंसकलिंग के रूप में लिखिए।
उत्तर – जगत् (संसार)
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथमा | जगत्/जगद् | जगती | जगन्ति |
द्वितीया | जगत्/जगद् | जगती | जगन्ति |
तृतीया | जगता | जगदभ्याम् | जगद्भि: |
चतुर्थी | जगते | जगदभ्याम् | जगद्भि: |
पञ्चमी | जगत: | जगद्भ्याम् | जगद्भ्य: |
षष्ठी। | जगत: | जगतो: | जगतामौ |
सप्तमी | जगति | जगतो: | जगत्सु |
सम्बोधन। | हे जगत्। | हे जगती। | जगन्ति। |
इसी प्रकार तकारान्त नपुंसकलिंग शब्दों के रूप चलते हैं।
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथमा | नाम | नाम्नी/नामनी | नामानि |
द्वितीया | नाम | नाम्नी/नामनी | नामानि |
तृतीया | नाम्ना | नाभ्याम् | नामभि: |
चतुर्थी | नाम्ने | नामभ्याम् | नामभ्य: |
पञ्चमी | नाम्न: | नामभ्याम् | नामभ्य: |
षष्ठी। | नाम्न: | नाम्नो: | नाम्नाम् |
सप्तमी | नाम्नि/नामनि | नाम्नो: | नामसु |
सम्बोधन। | हे नाम/नामन। | हे नाम्मनी/नामनी। | हे नामानि |
प्रश्न 13. ‘अस्मद्’ शब्द का तृतीया विभक्ति के तीनों वचनों का रूप लिखिए।
(डी.एल.एड. 2)
उत्तर – अस्मद् शब्द तृतीया विभक्ति
एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
मया। | आवाभ्याम् | अस्माभिः |
प्रश्न 14, धातु किसे कहते हैं ? कुछ प्रमुख धातु रूपों के लट् लकार एवं लो। लकार एवं ललकार के उदाहरण प्रस्तुत करें। | उत्तर-धातु–क्रियावाचक ‘भू’, ‘प’ आदि को धातु कही जाती है। समस्त धातुएँ। भ्वादि, अदादि, जुहोत्यादि, दिवादि, स्वादि, तुदादि, रुधादि, तनादि, अयादि और चुरादि दस गणों में विभक्त हैं। इनमें रूप की दृष्टि से कुछ परस्मैपदी, कुछ आत्मनेपदी एवं १० ते उभयपदी हैं। काल एवं अवस्था के अनुसार इनका रूप 10 लकीरों में होता है। पा ) ३५ में केवल पाँच लकार निर्धारित हैं—लट् (वर्तमान), लू (भविष्य), लोर (अजा), लड़ (भूत) और लिङ् (विधि इत्यादि)।
इनका रूप तीनों पुरुषों (प्रथम, मध्यम तथा उत्तम) के तीनों वचनों (एक जि तथा बहु) में चलता है। प्रमुख धातु रूपों के उदाहरण इस प्रकार हैं
पठ्( पढ़ना )
लट् लकार
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | पठति: | पठत: | पठथ |
मध्यम पुरुष | पठसि | पठथ: | पठथ |
उत्तम पुरुष | पठामि | पठावः | पठाम: |
लङ् लकार
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | अपठत्। | अपठताम् | अपठन् |
मध्यम पुरुष | अपठः | अपठतम् | अपठत |
उत्तम पुरुष | अपठतम् | अपठाव | अपठाव |
लृट् लकार
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | पठिष्यति | पष्ठियत: | पठिष्यन्ति |
मध्यम पुरुष | पठिष्यासि | पठिष्यथ: | पठिष्यथ |
उत्तम पुरुष | पठिष्यामि | पठिष्याव: | पठिष्याम: |
गम् (गच्छ) जाना
लट् लकार
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | गच्छति | गच्छत: | गच्छन्ति |
मध्यम पुरुष | गच्छसि | गच्छथ: | गच्छथ |
उत्तम पुरुष | गच्छामि | गच्छाव: | गच्छाम: |
लड्. लकार
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | अगच्छत् | अगच्छताम् | अगच्छन् |
मध्यम पुरुष | अगच्छ: | अगच्छतम् | अगच्छत |
उत्तम पुरुष | अगच्छम् | अगच्छाव | अगच्छाव |
लृट् लकार
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | गमिष्यति | गमिष्यत: | पिबन्ति |
मध्यम पुरुष | गमिष्यसि | गमिष्यथ: | गमिष्यथ: |
उत्तम पुरुष | गमिष्यामि | गमिष्याव: | गमिष्याम: |
प्रश्न 15. कारक क्या होता है ? संस्कृत भाषा में इसकी प्रयोग विधि लिखिए। उत्तर–कारक से आशय–कार्य करने वाले को कर्ता कहते हैं।
‘छात्र ने पत्र पढ़ा।’ इस वाक्य में हम यह देखते हैं कि छात्र के साथ किस चिह्न का प्रयोग हुआ है। यहाँ छात्र के साथ ‘ने’ चिह्न का प्रयोग हुआ है। हम जानते हैं कि छात्र एकवचन है। ‘ने’ चिह्न कर्ता कारक तथा प्रथमा विभक्ति का है। छात्र’ शब्द का रूप प्रथमा विभक्ति एकवचन में छात्रः’ बनता है। अत: यहां छात्र की संस्कृत ‘छात्रः’ लिखी जाएगी। छात्र ने पत्र पढ़ा है। पत्र पढ़ने का कार्य करने वाला छात्र है। अतः ‘छात्र कर्ता कारक है। । इसी प्रकार छात्र पत्र को कलम द्वारा लिखता है।’ वाक्य में पत्र के साथ ‘को’ चिह्न का प्रयोग हुआ है। ‘को’ चिह्न कर्म कारक द्वितीया विभक्ति का है और ‘पत्र’ नपुंसकलिंग है, किन्तु ‘पत्र’ के कर्ता कारक और कर्म कारक के एकवचन में एक से रूप बनते हैं, वह रूप ‘पत्रम्’। अत: पत्रम् कर्म कारक है।
इसी प्रकार छात्र पत्र को कलम द्वारा लिखता है।’ वाक्य में कलम के साथ द्वारा चिह्न का प्रयोग हुआ है। ‘द्वारा’ करण कारक तृतीय विभक्ति है तथा एकवचन में इसकी संस्कृत होती है ‘कलमेन’। । इसी प्रकार ‘लिखता है क्रिया है, जो कि छात्र हेतु प्रयुक्त होता है। लिखता है। वर्तमान काल में है। धातु रूपावली में छात्र एकवचन प्रथम पुरुष है, जहाँ लिखता है कि संस्कृत होती है_लिखति।।
अतः ‘छात्र पत्र को कलम द्वारा लिखता है।’ वाक्य की संस्कृत होगी ‘छात्र: पत्रं | कमलेन लिखति।’
इसी प्रकार हम संस्कृत में विभिन्न वाक्यों का अनुवाद करते हैं।
‘छात्र’ शब्द पुल्लिंग है। छात्र’ शब्द अकारान्त है। अकारान्त का अर्थ होता है वह शब्द जिसका अन्त ‘अ’ वर्ण के साथ हो। अत: उन समस्त अकारान्त पुल्लिंग शब्दों के रूप छात्र शब्द के समान होंगे।
बालकः, सिंहः, खगः, राम: आदि।