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UPTET Paper Level 1 Samanya Hindi Verb Question Answer Paper

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क्रियापद (Verb)

परिभाषा

जिस शब्द से किसी काम का करना या होना समझा जाए,उसे क्रिया कहते हैं. जैसे-पढना, जाना, खाना,पीना, रोना इत्यादि.

क्रिया विकारी शब्द है, जिसके रूप, लिंग , वचन और पुरुष, के अनुसार बदलते हैं . जिस विकारी शब्द के प्रयोग से हम किसी वस्तु के विषय में कुछ विधान करते हैं , उसे क्रिया कहते हैं , जैसे-हिरण भागा, राजा नगर में आए, पहले वाक्य में हिरण के विषय में भागा शब्द द्वारा विधान किया गया है. अतः भागा शब्द क्रिया है. इसी प्रकार दूसरे वाक्य में आए शब्द द्वारा राजा के विषय में विधान किया गया है. अतः आए शब्द क्रिया है.

धातु-क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं, जैसे-भागा क्रिया में मूल शब्द भाग में आ प्रत्यय जोङकर भागा शब्द बना है. अतः भागा क्रिया की धातु भाग है.इसी  प्रकार आए क्रिया का धातु है.

क्रिया के भेद

रचना की दृष्टि से क्रिया दो प्रकार की होती हैं-1) सकर्मक और 2) अकर्मक

(I) सकर्मक क्रिया-

जिस क्रिया से सूचित होने वाले व्यापार का फल कर्ता से निकलकर किसी दूसरी वस्तु पर पङता है, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं, यथा-छात्र ने पुस्तक पढी. पढी क्रिया के व्यापार का फल छात्र से निकलकर पुस्तक पर पङता है. इसलिए पढी क्रिया सकर्मक है.

(II) अकर्मक क्रिया-जिस क्रिया से सूचित होने वाले व्यापार का फल कर्ता पर ही पङता है, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं,जैसे –मैं रोता हूँ ‘रोता हूँ’  क्रिया का व्यापार और उसका फल ‘मैं’ कर्ता पर ही पङता है, अतः रोता हूँ क्रिया अकर्मक है.

कोई-कोई क्रिया प्रयोग के अनुसार सकर्मक और अकर्मक दोनों होती है जैसे –मरना, भूलना, ललचाना आदि.

दिकर्मक क्रिया-कर्म की दृष्टि से क्रियाएँ दो प्रकार की होती हैं –एक कर्म वाली तथा दो कर्म वाली दिकर्मक .उदाहरण- ‘मैं पानी पीता हूँ’ वाक्य में पीता हूँ क्रिया का केवल एक ही कर्म है – पानी . मैं राम को पानी पिलाता हूँ इस वाक्य में दो कर्म हैं -1) राम को और 2) पानी .अतः पिलाना दिकर्मक क्रिया है.

सहायक क्रिया– सहायक क्रिया मुख्य क्रिया के रूप को स्पष्ट और पूरा करने में सहायक होती है. कभी एक क्रिया और कभी एक से अधिक क्रियाएँ सहायक होती हैं. हिन्दी में सहायक क्रियाओं का प्रयोग अत्यन्त व्यापक स्तर पर होता है. इनके हेर-फेर से क्रिया का काल बदल जाता है, जैसे- वह खाता है, मुझे पढना था, तुम जागे हुए थे, वे सुन रहे थे.

इनमें खाना , पढना,जगना और सुनना मुख्य क्रियाएँ हैं, क्योंकि यहाँ क्रियाओं के अर्थ की प्रधानता है,शेष क्रियाएँ हैं , था , हुए थे, रहे थे सहायक क्रियाएँ हैं,क्योंकि वे मुख्य क्रिया के अर्थ को स्पष्ट और पूरा करती हैं.

संयुक्त क्रिया-जब कोई क्रिया दो क्रियाओं के संयोग से निर्मित होती है तब उसे संयुक्त क्रिया कहते हैं, जैसे-वह आम खाने लगा , बंदर पेङ से कूद पङा . बच्चे मैदान में खेल –कूद रहे हैं, उक्त वाक्यों में काले छपे शब्द संयुक्त क्रियापद हैं.

काल (Tenses)

परिभाषा –काल क्रिया से उस रूपान्तर को कहते हैं, जिससे उसके कार्य-व्यापार का समय और उसकी पूर्ण अथवा अपूर्ण अवस्था का बोध हो.काल के तीन भेद हैं-

1)भूतकाल 2) वर्तमान काल और  3) भविष्यत् काल

  1. भूतकाल (Past Tense)

जिस क्रिया द्वारा कार्य की समाप्ति का बोध हो, उसे भूतकाल की क्रिया कहते हैं. जैसे-वह गया, उसने कहा, मैंने खाया आदि.

भूतकाल के भेद- भूतकाल के छः भेद हैं-

  1. सामान्य भूत(Simple Past)- जिससे भूतकाल की क्रिया के विशेष समय का ज्ञान न हो, उसे सामान्य भूत कहते हैं, जैसे –वह गया, तुम आए आदि.
  2. आसन्न भूत (Recent Past)- जिससे क्रिया की समाप्ति निकट भूत से या तत्काल ही सूचित होती है, उसे आसन्न भूत कहते हैं, जैसे- मैंने खाना खाया है, तुम आए हो, सीता गई है आदि.
  • पूर्ण भूत (Complete Past)- क्रिया के जिस रूप से क्रिया की समाप्ति के समय का स्पष्ट बोध होता है कि क्रिया को समाप्त हुए काफी समय हो गया है, उसे पूर्ण भूत कहते हैं ,जैसे –वह आया था, तुम गए थे, मैं सोया था आदि.
  1. अपूर्ण भूत( Incomplete Past)- क्रिया के अपूर्ण भूत रूप से यह ज्ञात होता है कि क्रिया भूतकाल से हो रही थी, किन्तु उसकी समाप्ति का पता नहीं चलता , जैसे-राम खाना खा रहा था, सीता किताब पढ रही थी ,आदि.
  2. संदिग्ध भूत (Doubtful Past)- क्रिया के संदिग्ध भूत रूप में यह संदेह बना रहता है कि भूतकाल में कार्य पूरा हुआ या नहीं , जैसे –वह गया होगा, वह आ गया होगा, उसने खाना खा लिया होगा.
  3. हेतुहेतुमद भूत (Conditional Past)-क्रिया के जिस रूप से यह पता चलता है कि क्रिया भूतकाल में होने वाली थी, पर किसी कारणवश नहीं हो सकी , उसे हेतुहेतुमद भूत कहते हैं, जैसे-मैं आता, तुम खाते, वे पढते, सीता गाती आदि.

(2) वर्तमान काल (Present Tense)

क्रिया के व्यापार की निरन्तरता को वर्तमान काल कहते हैं ,इससे क्रिया का आरम्भ हो चुका होता है. उदाहरणतः वह पढता है, तुम खाते हो, वे गाते हैं आदि.

वर्तमान काल के भेद(Present Tense)- वर्तमान काल के पाँच भेद हैं, यथा-

सामान्य वर्तमान( Simple Present)- क्रिया का वह रूप जिससे क्रिया का वर्तमान में होना पाया जाए, सामान्य वर्तमान कहलाता है, जैसे-वह खाता है, वे आते हैं आदि.

तात्कालिक वर्तमान (Continuous Present)-

क्रिया के जिस रूप से यह पता चलता है कि क्रिया वर्तमान काल में हो रही है,तात्कालिक वर्तमान कहलाता है. जैसे-वह खा रहा है, मैं गा रहा हूँ , वे पढ रहे हैं, तुम रो रहे हो आदि.

पूर्ण वर्तमान (Complete Present)- क्रिया के जिस रूप से वर्तमान काल में कार्य में कार्य की पूर्ण सिध्दि का बोध होता है, उसे पूर्ण वर्तमान कहते हैं, जैसे – वे गए हैं, राम ने पुस्तक पढी, मैंने खाना खाया है आदि.

संदिग्ध वर्तमान( Doubtful Present)- संदिग्ध वर्तमान क्रिया का रूप है जिसमें क्रिया के होने में संदेह प्रकट हो, पर उसकी वर्तमानता में संदेह न हो, जैसे – वह खाना खाता होगा, वह किताब पढता होगा आदि.

सम्भाव्य वर्तमान(Probable Present)-इसके द्वारा वर्तमान काल में कार्य के पूरा होने की सम्भावना रहती है, जैसे – वह लौट आया हो, वह पढता हो.

(3) भविष्यत् काल (Future Tense)

क्रिया के जिस रूप से उसके आने वाले समय में होने का बोध होता हो, उसे भविष्यत् काल कहते हैं.

भविष्यत् काल के भेद- भविष्यत् काल के तीन भेद होते हैं-

  1. सामान्य भविष्यत् काल ( Simple Future)
  2. सम्भाव्य भविष्यत् काल ( Doubtful Future)
  • हेतुहेतुमद भविष्यत् काल (Conditional Future)
  1. सामान्य भविष्यत् – जब क्रिया सामान्य रूप से भविष्यत् काल का बोध कराती है. तब वह सामान्य भविष्यत् कहलाती है. जैसे- राम आएगा, सीता पुस्तक पढेगी आदि.
  2. सम्भाव्य भविष्यत्– जब भविष्यत् काल की क्रिया में सम्भावना हो, जैसे- शायद राम आए, शायद सीता पुस्तक पढे हो सकता है, आज श्रीराम को पत्र मिल जाए आदि.
  • हेतुहेतुमद भविष्यत् –यह भविष्यत् काल का तीसरा भेद भी है.इसमें एक क्रिया का होना दूसरी क्रिया के होने पर निर्भर करता है, जैसे –वह आए, तो मैं जाऊँ, वह पढे तो पास हो आदि.

पाठकों के लाभार्थ यहाँ आना और पढना क्रियाओं की रूपावली दी जाती है-

     भूतकाल                         आना             पढना
1)      सामान्य भूत             आया/ आई                  (ने) पढा/ पढी

2)      आसन्न भूत             आया है/ आई है           (ने) पढा है/ पढी है

3)      अपूर्ण भूत               आ रहा था/ आ रही थी     पढ रहा था/ पढ रही थी

4)      पूर्ण भूत                आया था/ आई थी         (ने) पढा था/ पढी थी

5)      संदिग्ध भूत              आया होगा/ आई होगी            पढा होगा/ पढी होगी

6)      हेतुहेतुमद भूत            आता/ आती              पढता/ पढता

 

वर्तमान काल             आना                    पढना

  • सामान्य आता है/ आती है          पढता है/ पढती है
  • अपूर्ण आ रहा है/ आ रही है       पढ रहा है/ पढ रही है
  • संदिग्ध आता होगा/ आती होगी     पढता होगा/ पढती होगी
  • तात्कालिक आ रहा है/ आ रही है       पढ रहा है / पढ रही है
  • सम्भाव्य आया हो/ आयी हो         पढा हो / पढी हो

भविष्यत् काल            आना                    पढना

  • सामान्य भविष्य आएगा/ आएगी            पढेगा/ पढेगी
  • सम्भाव्य भविष्य (शायद) आए              (शायद) पढे
  • हेतुहेतुमद भूत वह आए, तो मैं जाऊँ       वह सोये , तो मैं पढूँ

वाच्य

वाच्य क्रिया का वह रूपान्तरण है जिससे यह पता चलता है कि वाक्य में कर्ता , कर्म या भाव में से किसकी प्रधानता है, इसे ध्यान में रखकर ही वाच्य के तीन भेद किए गए हैं-

  1. कर्तवाच्य- क्रिया का वह रूपान्तरण कर्तवाच्य कहलाता है जिसमें वाक्य में कर्ता की प्रधानता का बोध होता है, जैसे-
  2. राम ने रोटी खाई.
  3. राधा गाती है.
  4. तुम खेलने गए.
  5. कर्मवाच्य-क्रिया के जिस रूपान्तरण से वाक्य में कर्म की प्रधानता का बोध होता है उसे कर्मवाच्य कहते हैं, जैसे-

लेख लिखा गया.

पुस्तक पढी गयी.

काम किया गया.

  • भाववाच्य – क्रिया का वह रूपान्तरण जिससे वाक्य में भाव की प्रधानता का बोध होता है, भाववाच्य कहलाता है. जैसे-

मुझसे खाया नहीं जाता.

उससे चुप नहीं रही जाता.

प्रयोग-वाक्य में क्रिया का लिंग वचन कर्ता कर्म या भाव किसके अनुसार हैं, इस आधार पर वाक्य तीन प्रकार के माने गए हैं-

  1. कर्तरि प्रयोग-वाक्य में क्रिया के लिंग ,वचन ,पुरुष कर्ता के अनुसार होते हैं यथा-

मोहन किताब पढता है.

राधा आम खाती है.

  1. कर्मणि प्रयोग- वाक्य में क्रिया के लिंग , वचन, पुरुष कर्म के अनुसार होते हैं जैसे-

श्याम ने रोटी खाई.

श्याम ने दूध पिया.

  • भावे प्रयोग– जब वाक्य में क्रिया न कर्ता के अनुसरण करती है , न कर्म का अपितु सदैव एकवचन , पुल्लिंग ,अन्य पुरुष में होती है तब उसे भावे प्रयोग कहते हैं, जैसे-

मुझसे चला नहीं जाता.

सीता से गाया नहीं जाता.

राम से आया नहीं जाता.

कर्ता बदलने पर भी क्रिया अपरिवर्तित है.

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

  1. ‘मोहन फल खाता है’ में खाता किस प्रकार की क्रिया है?

अकर्मक

सकर्मक

दिकर्मक

संयुक्त क्रिया

  1. ‘ राधा रोती है’ में ‘रोती’ किस प्रकार की क्रिया है?

अकर्मक

सकर्मक

सहायक क्रिया

पूर्वकालिक क्रिया

  1. ‘वह भोजन करके सो गया’ इस वाक्य में भोजन करके किस प्रकार की क्रिया है?
  • सहायक क्रिया
  • पूर्वकालिक क्रिया
  • संयुक्त क्रिया
  • नामबोधक क्रिया
  1. राधा रोती है में रोती किस प्रकार की क्रिया है?
  • अकर्मक
  • सकर्मक
  • सहायक क्रिया
  • पूर्वकालिक क्रिया
  1. वह भोजन करके सो गया इस वाक्य में भोजन करके किस प्रकार की क्रिया है?
  • सहायक क्रिया
  • पूर्वकालिक क्रिया
  • संयुक्त क्रिया
  • नामबोधक क्रिया
  1. क्रिया के मूलरूप को कहते हैं-
  • धातु
  • संज्ञा
  • अव्यय
  • क्रिया विशेषण
  1. ‘वह पढ रहा है’ में कौनसा काल है ?
  • सामान्य वर्तमान
  • तात्कालिक वर्तमान
  • सामान्य भूत
  • संदिग्ध वर्तमान
  1. ‘सम्भव है पानी पङे’ में कौनसा काल है ?
  • भूतकाल
  • सामान्य भविष्यत् काल
  • सम्भाव्य भविष्यत् काल
  • हेतुहेतुमद भविष्यत् काल
  1. ‘राधा गई है’ में काल बताइए-
  • वर्तमान काल
  • भूतकाल
  • भविष्यत् काल
  • इनमें से कोई नहीं
  1. सीता गई थी में कौनसा काल है ?
  • सामान्य भूत
  • आसन्न भूत
  • पूर्णभूत
  • संदिग्ध भूत
  1. ‘वे खाना खा रहे हैं’ में काल बताइए-
  • पूर्ण वर्तमान
  • सामान्य वर्तमान
  • तात्कालिक वर्तमान
  • सम्भाव्य वर्तमान
  1. ‘शायद वे आ रहे होंगे’ में क्रिया किस काल की है ?
  • संभाव्य वर्तमान
  • संदिग्ध वर्तमान
  • सामान्य वर्तमान
  • तात्कालिक वर्तमान
  1. ‘छात्रवृत्ति मिले तो मोहन पढे’ में कौनसा काल है ?
  • हेतुहेतुमद भविष्यत्
  • संभाव्य वर्तमान
  • सामान्य भविष्यत्
  • हेतुहेतुमद भूतकाल