DEIEd Hindi Bhasha Study Material Notes Previous Question Answers
मानव और जानवर की मूल भिन्नता यह है कि मानव के पास अपने भाव और विचार व्यक्त करने के लिए भाषा है, जवकि जानवर भाषा की इस शक्ति से वंचित है। कला, संस्कृति, सभ्यता और ज्ञान आदि के विकास में भाषा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। मानव के अतिरिक्त अन्य सांसारिक प्राणी (जीव-जन्तु) न तो सभ्य सुसंस्कृत होने का दावा कर सकते हैं और न ही ज्ञानवान होने का। स्पष्ट है कि मानव और मानवता के विकास में भाषा का योगदान नकारा नहीं जा सकता।
Hindi भाषा की परिभाषा Study Material
भाषा शब्द संस्कृत की भाषा धातु से निष्पन्न हुआ है जिसका अर्थ है भाषाण अर्थात बोलना। अर्थात् भाषा वहा है जिसे बोलकर व्यक्त किया जाए, मन के भाव शारीरिक चेष्टाओं (संकेतों) से भी व्यक्त किए जाते हैं, पर ऐसे संकेत भाषा नहीं कहे जा सकेत । भाषा की विभिन्न परिभाषाएँ दी गई है। यहाँ इनमें से दो प्रमुख परिभाषाएँ दी जा रही हैं-
डॉ. भोलानाथ तिवारी – भाषा मानव के उच्चारण अवयवों द्धारा नि:सृत यादृच्छिक () ध्वनि प्रतीकों की वह व्यवस्था है, जिसके द्धारा एक समाज के लोग आपस में भावों और विचारों का आदान-प्रदान करते हैं।
डॉ. मंगलदेव शास्त्री – भाषा मनुष्य की उस चेष्टा या व्यापार को कहते हैं जिससे मनुष्य अपने अपने उच्चारणोपयोगी शरीरवयवों से उच्चारण किये गये वर्णनात्मक या व्यक्त शब्दों द्धारा अपने विचारों को प्रकट करते हैं।
उपर्युक्त परिभाषाओं का विश्लेषण करते हुए भाषा के निम्न लक्षण बताए जा सकते हैं –
- भाषा विचार विनिमय का साधन है।
- भाषा का प्रयोग एक समाज के लोग पारस्परिक विचार विनिमय के लिए करते हैं।
- भाषा उच्चारण अवयवों से नि:सृत ध्वनि समूह है।
- भाषा सामाजिक परम्परा से प्राप्त होती है।
- भाषा अनुकरण द्धारा अर्जित की गई सम्पत्ति है। पैतृक सम्पत्ति की भाँति इसका हस्तांतरण सम्भव नहीं है अर्थात पिता की भाषा पुत्र को उत्तराधिकार में नही मिल जाती। भाषा को सीखना पड़ता है।
- भाषा का प्रयोग केवल मानव समाज ही करता है, अन्य प्राणी (जीव – जन्तु) नहीं।
- भाषा के दो रुप हैं – मौखिक और लिखित। लिखित भाषा के लिए लिपि की आवश्यकता होती है।
- भाषा ध्वनि प्रतीकों की व्यवस्था है। इन ध्वनियों का अर्थ (तात्पर्य) हमने यादृच्छिक तौर पर स्वयं निर्धारित किया है। अर्थात् अंग्रेजी के कहने से या हिन्दी में बिल्ली कहने से, जो आकृति दिमाग में बनती है उसका निर्धारण हमने स्वयं किया है। इन ध्वनियो में ऐसी कोई विशेषता नही है कि वे यह आकृति बना सकें ।
Hindi भाषा की विशेषताएँ Study Notes
- भाषा सामाजिक सम्पत्ति है जिसका अर्जन अनुकरण से होता है।
- भाषा परिवर्तनशील है।
- प्रत्येक भाषा की भौगोलिक सीमा होती है।
- प्रत्येक भाषा की अलग संरचना होती है।
- भाषा की सामान्य प्रवृत्ति कठिनता से सरलता की ओर होती है।
- भाषा अर्जित सम्पत्ति है, पैतृक सम्पत्ति नहीं।
- प्रत्येक भाषा का एक मानव () रुप होता है, जो उसे बोलियों या क्षेत्रीय रूपों से अलग करता है।
- प्रत्येक भाषा के अन्तर्गत उपभाषाएँ एवं बोलियाँ आती हैं।
- भाषा विस्तृत क्षेत्र में, जबकि बोली सीमित क्षेत्र में व्यवह्त होती है।
- भाषा का प्रयोग साहित्य, शिक्षा, संचार, सूचना माध्यमों में किया जाता है, जबकि बोली का प्रयोग क्षेत्र विशेष के लोग आम बोल-चाल में करते हैं।
हिन्दी भाषा का विकास Study Notes
भारत की भाषाओं को स्थूल रूप से निम्नलिखित दो वर्गों में बाँटा जा सकता है-
1.उत्तर भारत में बोली जाने वाली आर्य भाषाएँ।
2.दक्षिण भारत में बोली जाने वाली द्रविड़ भाषाएँ।
1. आर्य भाषाएँ
आर्य भाषाएँ भारोपीय परिवार (Indo Europoean Family) की आर्यशाखा से सम्बधित है, जबकि द्रविड़ भाषाएँ द्रविड़ परिवार से सम्बन्धित हैं। आर्य भाषाओं को ती वर्गों में विभक्त किया गया है-
- प्राचीन भारतीय आर्य भाषाएँ (1500 ई. पूर्व से 500 ई. पूर्व प्रथम शताब्दी ई. तक)
- आधुनिक भाषाएँ (प्रथम शताब्दी ईसवी से अब तक)
- मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाएँ (500 ई. पूर्व से प्रथम शताब्दी ई. तक)
- प्राचीन भारतीय आर्य भाषाएँ – इसके अन्तर्गत वैदिक संस्कृत तथा लौकिक संस्कृत भाषाएँ आती है। वैदिक संस्कृत का प्रयोग वेदों, उपनिषदों, अरण्यकों, ब्राहाण ग्रंथों में हुआ है। यह 1500 ई. पू. से 800 ई. पू. तक की भाषा है। वैदिक संस्कृत के बाद जो भाषा विकसित हुई उसे लौकिक स्स्कृत कहा गया। संस्कृत के कवियों – बाल्मीकी, व्यास, कालिदास, त्रीहर्ष, बाणभट्ट भारवि आदि ने अपने ग्रंथ इसी भाषा मे लिखे हैं। लौकिक संस्कृत व्याकरण की दृष्टि से शब्दावली की दृष्टि वैदिक संस्कृत से भिन्न है।
- मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाएँ – इसके अन्तर्गत निम्नलिखित तीन भाषाएँ आती हैं-
पालि – (500 ई. पू. – प्रथम शताब्दी ईं )
प्राकृत –(प्रथम शताब्दी ई. – 500 ई.)
अपभ्रंश – (500 ई. – 1000 ई.)
पालि बौध्द धर्म की भाषा है, जबकि प्राकृत जैन धर्म की । प्राकृत का प्रयोग संस्कृत नाटकों में अधम पात्रों के द्धारा भी करवाया गया है। अपभ्रंश के कई क्षेत्रीय भेद थे जिनसे हिन्दी एवं अन्य आधुनिक आर्य भाषाओं का विकास हुआ। इस विवेचन से स्पष्ट है कि आर्य भाषाओं का विकास निम्नलिखित क्रम में हुआ-
संस्कृत > पालि > पाकृत > अपभ्रंश > हिन्दी एवं अन्य आधुनिक आर्य भाषाएँ।
- आधुनिक भाषाएँ – इऩका विवरण हम इसी अध्याय में आगे दे रहे है।
इस विवेचन के आधार पर हम निम्नलिखित निष्कर्ष निकाल सकते हैं-
- भारत में दो परिवारों की भाषाएँ प्रमुख रूप से बोली जाती है – आर्य परिवार की भाषाए, द्रविड़ परिवार की भाषाएँ।
- आर्य परिवार की भाषाएँ उत्तर भारत में तथा द्रविड़ परिवार की भाषाएँ दक्षिण भारत में बोली जाती हैं।
- आधुनिक भारतीय आर्य भाषाएँ – हिन्दी, सिन्धी, पंजाबी, गुजराती, मराठी, बंगला, ओड़िया, असमिया।
- भारत की प्राचीनतम भाषा वैदिक संस्कृत है। हिन्दी से ठीक पहले की भाषा अपभ्रंश है, संस्कृत नही।
- आर्य भाषाएँ उत्तर भारत में बोली जाती है। हिन्दी इनमें सबसे प्रमुख है।
- हिन्दी का विकास मोटेतौरपर 1000 ई. के आस – पास हुआ अर्थात् हिन्दी अब से लगभग 1000 वर्ष पुरानी भाषा है।
2. द्रविड़ भाषाएँ
द्रविड़ भाषाएँ दक्षिण भारत में बोली जाती हैं। द्र्विड़ भाषाओं का क्षेत्र इस प्रकार है-
तेलगू – आन्ध्र प्रदेश
तमिल – तमिलनाडु
कन्नड़ –कर्नाटक
मलयालम – केरल
आधुनिक भाषाएँ
आधुनिक भारतीय भाषाओँ का इतिहास दीर्घकालिक है। इसके आरम्भ का वस्तुत: कोई निश्चित समय नहीं है तथा विद्धानों में इस पर पर्याप्त मतभेद हैं फिर भी अध्ययन में सुविधा की दृष्टि से हम इसका आरम्भ प्रथम शताब्दी ई. से मान सकते हैं। यहाँ आधुनिक हिन्दी का विवरण निम्नलिखित है-
हिन्दी का क्षेत्र
हिन्दी उत्तर भारत के दस प्रान्तों में बोली-समझी जाती है। इन प्रान्तों की राजभाषा भी हिन्दी है। हिन्दी भाषी इन राज्यों को हिन्दी प्रदेश या हिन्दीबेल्ट भी कहा जाता है। हिन्दी भाषी प्रान्तों के नाम हैं- 1.हिमाचल प्रदेश, 2. हरियाणा, 3. दिल्ली, 4. उत्तर प्रदेश, 5. उत्तराखण्ड, 6. राजस्थान, 7. मध्य प्रदेश, 8. छत्तीसगढ़, 9. बिहार, 10. झारखण्ड
मोटेतौर पर सम्पूर्ण भारत में हिन्दी बोलने वालों की संख्या लगभग 65 से 70 करोड़ के बीच होगी। कुछ प्रान्तों में यद्दपि प्रान्तीय भाषा बोली जाती है पर वहाँ भी हिन्दी को बोला-समझने वाले लोग प्रचुर संख्या में मिल जाते हैं।
संघ की राजभाषा एवं देवनागरी लिपि हिन्दी – भारत में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। ऐसी स्थिति में सरकारी कामकाज के लिए किसी एक भाषा को चुनना बड़ा कठिन कार्य था। संविधान सभा ने 14 सिम्बर, 1949 को यह प्रस्ताव पास किया कि संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। यह प्रस्ताव भारतीय संविधान के भाग 17 अध्याय 1 के अनुच्छेद 343 () में स्वीकृत हुआ है। भारतीय संविधान 26 जनवरी, 1950 से लागू हुआ और तब से ही हिन्दी हमारे देश की राजभाषा अर्थात् सरकारी कामकाज की भाषा है।
राजभाषा सम्बन्धी प्रावधान भारतीय संविधान के भाग 17 अध्याय 1 में अनुच्छेद 343 () में स्वीकृत हुआ है। भारतीय संविधान 26 जनवरी, 1950 से लागू हुआ और तब से ही हिन्दी हमारे देश की राजभाषा अर्थात सरकारी कामकाज की भाषा है।
राजभाषा सम्बन्धी प्रावधान भारतीय संविधान के भाग 17 अध्याय 1 में अनुच्छेद 343 से 351 तक है। अनुच्छेदों में केन्द्र सरकार के उन दायित्वों का भी उल्लेख है जो हिन्दी के प्रचार, प्रसार- प्रसार के लिए उसे करने हैं। राजभाषा आयोग 1955 और राजभाषा अधिनियम 1976 इन्हीं दायित्वों का पालन करते हुए केन्द्र सरकार ने बनाया।
यह विडम्बना ही कही जाएगी कि आज भी व्यावहारिक रूप में अंग्रेजी ही सरकारी कामकाज में अधिक प्रयोग की जा रही है। कायदे से राजभाषा हिन्दी का प्रयोग शासन-प्रशासन, विधायिका, न्यायपालिका में किया जाना चाहिए, परन्तु राजनीतिक कारणों से हिन्दी के साथ-साध अंग्रेजी का प्रयोग करने की छूट केन्द्र सरकार ने अनिश्चित काल के लिए दी हुई है। यही कारण है कि हिन्दी अभी तक पूर्ण रूप से घोषित राजभाषा होते हुए भी राजभाषा का वह दर्जा प्राप्त नहीं कर सकी जिसकी वह हकदार है।
राष्ट्रभाषा- हिन्दी – किसी देश के बहुसंख्या लोगों की भाषा को राष्ट्रभाषा कहा जाता है। हिन्दी भारत के बहुसंख्यक लोगों की भाषा है। भारत में बोली जाने वाली कोई दूसरी भाषा इतने लोगों द्धारा नहीं बोली जाती जितने लोग हिन्दी बोलते हैं । इसलिए हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा भी है। ध्यान रहे कि राष्ट्रभाषा का सम्बन्ध संविधान से नहीं है, जबकि राजभाषा का सम्बन्ध संविधान से होता है।
राष्ट्रभाषा के लिए आवश्यक गुण निम्न प्रकार बताए गए हैं-
- राष्ट्रभाषा देश के बहुसंख्यक लोग बोलते हैं और वह विस्तृत क्षेत्र में व्यवह्त होती है। हिन्दी इस कसौटी पर खरी उतरती है। हिन्दी बोलने वालों की संख्या अनुमानत: 65-70 करोड़ के आस-पास है तथा यह उत्तर भारत के राज्यो की मुख्य भाषा है।
- हिन्दी का शब्द भण्डार समृद्ध है। व्याकरण सरल एवं नियमबद्ध है तथा उसमें उच्चकोटि का साहित्य उपलब्ध होता है।
- ज्ञान-विज्ञान का विपुल साहित्य हिन्दी भाषा में रचा गया है।
- हिन्दी हमारी राष्ट्रीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है तथा राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने वाली भाषा है। देश में भावनात्मक एकता हिन्दी के द्धारा ही स्थापित की जा सकती है।
- हिन्दी हमारी राजभाषा एवं सम्पर्क भाषा है। ऐसे दो राज्यों के लोग जो हिन्दी भाषी नहीं है जब आपस में सम्पर्क करते हैं तो सम्पर्क भाषा के रूप में अधिक पढ़े-लिखे न होने की स्थिति में हिन्दी को ही अपनाते हैं। कुम्भ मेले जैसे धार्मिक आयोजनों में जहाँ देश के कोने – कोने से विशाल जनसमूह एकत्र होता है, पारस्परिक सम्पर्क के लिए हिन्दी का ही प्रयोग किया जाता है।
- हिन्दी सम्पूर्ण देश में कश्मीर से कन्याकुमारी तक और गुजरात से नगालैण्ड तक किसी न किसी रूप में व्यवह्त होती है। हिन्दी फिल्मों, टीवी सीरियलों एवं खेलों की हिन्दी कमेंट्री ने भी इस भाषा के प्रचार-प्रसार में विशेष योगदान दिया है।
- मानक हिन्दी से हमारा तात्पर्य उस हिन्दी से है जो शिक्षा का माध्यम है, रेडियो, समाचार-पत्रों एवं सूचना माध्यमों की भाषा है। यह हिन्दी का वह रूप है जिसका विकास मूलत: खड़ी बोली से हूआ है। भारत के अधिकांश नगरों में यही मानक हिन्दी बोलचाल की भाषा के रूप में प्रयुक्त होती है।
- दक्षिण भारत के कुछ राज्यों विशेषकर तमिलनाडु में हिन्दी विरोधी स्वर सूनाई पड़ता है। यह विरोध राजनीतिक स्तर पर अधिक है। उन्हें यह आशंका है कि यदि हिन्दी को महत्व मिला ते अखिल भारतीय सेवाओं में हिन्दी भाषी लोगों का वर्चस्व हो जाएगा इसलिए वे हिन्दी के स्थान पर अंग्रेजी का समर्थन करते है।
राजभाषा और राष्ट्रभाषा का अन्तर
राजभाषा संविधान स्वीकृत सरकारी कामकाज की भाषा होती है, जबकि राष्ट्रभाषा देश के बहुसंख्यक लोगों की भाषा कही जाती है। राष्ट्रभाषा देश में बोली जाने वाली भाषा ही हो सकती है, किन्तु राजभाषा के लिए ऐसा होना अनिवार्य नहीं है। मुगलकाल में यहाँ फारसी राजभाषा थी, जबकि ब्रिटिश शासनकाल में भारत की राजभाषा अंग्रेजी थी। ये दोनों ही विदेशी गौरव का अनूभव करते हैं। किसी देश का चिन्तन, संस्कृति, विश्वास, अवधारणाएँ उसमें व्यक्त होती हैं, जबकि राजभा, संविधान का संरक्षण प्राप्त भाषा होती है जिसमें शासन, प्रशासन, विधायी एवं न्यायिक कार्य सरकारी स्तर पर किए जाते है। इस प्रकार राजभाषा सरकारी कामकाज की भाषा है राष्ट्र के लोग अपने अस्तित्व को सुरक्षित करने के लिए राष्ट्रभाषा का प्रयोग करें यही हमारी कामना होनी चाहिए। जैसे हम अपने राष्ट्रगान एवं राष्ट्रीय प्रतीको का सम्मान करते हैं उसी प्रकार राष्ट्रभाषा का दैनिक व्यवहार में उपयोग और सम्मान करें। प्रत्येक देशवासी से यही अपेक्षा होनी चाहिए।
हिन्दी की बोलियाँ- हिन्दी विस्तृत क्षेत्र में व्यवह्त होने वाली भाषा है अत: इसके अन्तर्गत कई उपभाषाएँ एवं बोलियाँ है, जिसका विवरण इस प्रकार है-
हिन्दी की उपभाषाएँ | उपभाषाओं के अन्तर्गत आने वाली बोलियाँ |
पश्चिमी हिन्दी | ब्रजभाषा, कन्नौजी, खड़ी बोली, बुंदेली, बांगरू |
पूर्वी हिन्दी | अवधी, बघेली, छत्तीसगढ़ी |
बिहारी हिन्दी | मैथिली, मगही, भोजपूरी |
राजस्थानी हिन्दी | मेवाती, मालवी, मारवाड़ी, जयपूरी |
पहाड़ी हिन्दी | गढ़वाली, कुमायूँनी, पेपाली |
स्पष्ट है कि हिन्दी के अन्तर्गत 5 उपभाषाएँ एवं 18 बोलियाँ हैं।
नोट – 1. खडी बोली का एक अन्य नाम कौरवी भी है।
2. बांगरू को हरियाणवी भी कहा जाता है।
3.जयपुरी बोली को दूंढाणी नाम भी दिया गया है।
4. शुद्ध भाषा वैश्विक दृष्टिकोण से यदि विचार किया जाए तो हिन्दी के अन्तर्गत केवल पश्चिमी हिन्दी, पूर्वी हिन्दी की उपभाषा न मानकर स्वतन्क्त्र भाषाएँ मानते है। ऐसी स्थिती में हिन्दी के अन्तर्गत केवल दो उपभाषाएँ पश्चिमी हिन्दी की तीन बोलियाँ अर्थात् कुल आठ बोलियाँ ही हिन्दी के अन्तर्गत आएँगी।
हिन्दी का व्यावहारिक अर्थ
व्यावहारिक रूप में हिन्दी उस विस्तृत भू – भाग की भाषा है जिसे हिन्दी प्रदेश या हिन्दी क्षेत्र कहा जाता है। इस विस्तृत भू-भाग में बोली जाने वाली हिन्दी की उपभाषाएँ और बोलियाँ भी हिन्दी में समाविष्ट हैं। हिन्दी साहीत्य के इतिहास ग्रन्थों में हिन्दी का यही विस्तृत (व्यावहारिक) अर्थ ग्रहण किया जाता है। यही कारण है कि ब्रजभाषा के कवि सूरदास, अवधि के कवि जायसी और तुलसी, खड़ी बोली के कवि अमीर खुसरो और मैथिली में रचना करने वाले विश्रद्दापति आदि सभी हिन्दी के कवि कहे जाते हैं। व्यावहारिक रूप में हिन्दी के कई क्षेत्रीय भेद है-मुंबइया हिन्दी, हैदराबादी हिन्दी, राजस्थानी हिन्दी, बिहारी हिन्दी। उच्चारणगत विभेद एवं शब्दावली की भिन्नता रखते हुए भी अन्ततः हिन्दी ही है।
हिन्दी और उर्दू – हिन्दी और उर्दू को सगी बहनें कहा जाता है, क्योंकि दोनों की उतिपत्ति खड़ी बोली से हुई है। दोनों में मोटा अन्तर संज्ञा शब्दों का है। हिन्दी में कहेंगे-एक राजा था, तो उर्दू में कहेंगे एक बादशाह था। यहाँ अन्तर राजा (हिन्दी) और बादशाह (उर्दू) का है। इस प्रकार इनमें व्याकरणिक अन्तर नहीं है।
उर्दू तुर्की भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है – वह बाजार जो सेना की छावनी में लगता है इस बाजार में क्रियाएँ तो हिन्दी की होती थीं, किन्तु संज्ञा शब्द अरबी-फारसी के। परिणामत: एक मिली-जुली भाषा का विकास उस बाजार में हुआ जिसे उर्दू का नाम दिया गया। इन दोनों का बोलचाल का रूप भिन्न है। इसलिए उर्दू को हिन्दी भाषी समझ लेता है और हिन्दी को उर्दू भाषी किन्तु जब ये लिखित रूप में सामने आती हैं तो दो अलग-अलग भाषाएँ दिखाई पड़ती हैं, क्योंकि हिन्दी देवनागरी लिपि में और उर्दू फारसी लिपि में लिखि जाती है। हिन्दी फिल्मों के नगमे (गीत) प्राय: उर्दू के शायर लिखते रहे पर हिन्दी क्षेत्र के लोगों को उन्हें समझने में कहाँ दिक्कत नहीं आई।
हिन्दुस्तानी – हिन्दुस्तानी का प्रयोग भाषा के अर्थ में उस हिन्दी के लिए किया जाता है जिसमें न तो संस्कृत शब्दो की बहुलता है और न अरबी-फारसी शब्दों की भरमार। वस्तुत: यह हिन्दी का बोलचाल वाला रूप है। सन 1926 ई. में कांग्रेस का जो अधिवोशन कानपुर में हुआ उसमें राजर्षि पुरूषोत्तमदास टण्डन ने यह प्रस्ताव रखा कि काँग्रेस की कार्यवाही हिन्दुस्तानी में हो हिन्दी-उर्दू के झगड़े से बचने के लिए गाँधी जी की प्रेरणा से यह प्रस्ताव लाया गया था। नेहरूजी भी हिन्दुस्तानी भाषा के पक्षधर थे और अपने भाषण प्रायः इसी बोलचाल की भाषा में दिया करते थे जिसमें हिन्दी के प्रचलित शब्दों के साथ-शात र्दू के शब्द भी होते थे।
हिन्दी की महत्ता – हिन्दी भारत की राजभाषा भी है और राष्ट्रभाषा भी। साथ ही इसे सम्पर्क भाषा बनने का भी गौरव प्राप्त है। यह विश्व में तीसरे नम्बर की भाषा (बोलने वालों की संख्या के आधार पर) है। यही भाषा भारत की एकता, अखण्डता को बनाए रख सकी है तथा यह हमारी संस्कृति, सभ्यता को अक्षुण्ण बनाए है। विडम्बना यह है कि कुछ लोग हिन्दी के स्थान पर अंग्रेजी का समर्थन करते हुए सरकारी कामकाज अंग्रेजी में चला रहे हैं। जब तक सरकारी कामकाज में अंग्रेजी का वर्चस्व रहेगा तब तक हिन्दी अपने पूर्ण गौरव को प्राप्त नहीं कर पाएगी। आज हिन्दी की प्रतिद्धन्द्धिता किसी अन्य भारतीय भाषा से न होकर अंग्रेजी से है। रीन्दी में उच्चकोटि का साहित्य उपलब्ध ही तथा ज्ञान-विज्ञान के विविधि विषयों की पुस्तकें भी हिन्दी में आ रही हैं केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय के तत्वाधान में विविध विषयों के हिन्दी शब्दकोश तैयार कर इसकी शब्द सम्पदा एवं सामर्थ्य को बढ़या जा रहा है।
प्रयोजन मूलक एवं रोजगारपरक हिन्दी को सीखकर तमाम लोग हिन्दी के बलबूते पर जीविका प्राप्त कर रहे हैं। आज हिन्दी विज्ञापनों की भरमार रेडियों-टीवी पर है, क्योकिं लोगों को अपने उत्पाद जिस जनता में बेचने हैं वह अंग्रेजी भाषी हिन्दी में ही विभिन्न चैनलों पर दिए जाते हैं। वस्तुतः हिन्दी अब बाजार और व्यापार की भाषा बन गई है। लोग इसकी महत्ता से तथा हिन्दी बोलने वालों की विशाल जनसंख्या से परिचित हो गए है। इसलिए वे हिन्दी की उपेक्षा नहीं कर सकते। सूचना, संचार, कम्प्यूटर में भी हिन्दी का प्रयोग दिनों-दिन बढ़ रहा है। अतः हम गह सकते हैं कि हिन्दी का भविष्य उज्जवल है। भारत के अतिरिक्त नेपाल, मारीशस, त्रिनिडाड, फिजी, म्यांमार, सूरीनाम आदि अनेक देशों में जहाँ पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार से बड़ी संख्या में गिरमिटिया मजदूर ले जाए गए वहाँ भी हिन्दी बोली समझी जाती है पर उनकी हिन्दी स्थानीय शब्दों के साथ जुड़ी हुई है। क्रियोल भाषा का निर्माण ही हिन्दी और फ्रेंच शब्दों से मिलाकर हुआ है।
हमें जिस हिन्दी का प्रचार-प्रसार करना है वह मानक हिन्दी है जिसे परिनिष्ठित हिन्दी या स्टैण्डर्ड हिन्दी कहते हैं। हिन्दी की पत्र-प्रसार करना है वह मानक हिन्दी है जिसे परिनिष्ठित हिन्दी या स्टैन्डर्ड हिन्दी कहते हैं। हिन्दी की पत्र-पत्रिकाएँ इसी भाषा में छपती हैं, हिन्दी पुस्तकों में यही भाषा प्रयुक्त होती है, सूचना और संचार की भाषा भी यही मानक हिन्दी है और यही शिक्षा का माध्यम भी है। रेडियो और दूरदर्शन के हिन्दी कार्यक्रमों में इसी हिन्दी का प्रयोग किया जाता है सच ते यह है कि यह मानक हिन्दी ही संविधान में राजभाषा के रूप में स्वीकृत है। यह मूलतः खड़ी बोली पर आधृत है।
आज हिन्दी निरंतर विकास के पत पर अग्रसर है। उसमें तत्सम् , तदभव, देशज शब्दों के साथ-साथ विदेशी शब्दों का प्रयोग भी होता है। हिन्दी वाक्यों में जान-बूझकर अँग्रेजी शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए, तथा-हम अपने फ्रेंड को सी ऑफ करने जा रहे हैं। इस वाक्य के स्थान पर हमें बोलना चाहिए- हम अपने मित्र को छोड़ने जा रहे हैं। किन्तु अंग्रेजी या अरबी-फारसी के बहुप्रचलित शब्द जो हिन्दी ने पचा लिए है उनसे परहेज करने की आवश्यकता नही है। ऐसे शब्दों की विस्तृत सूची शब्दि समूह के अन्तर्गत दी गई है।
हिन्दी का प्रयोग करने में हमें गौरव, गर्व और स्वाभिमान की अनुभूति करनी चाहिए, क्योकि यही हमारी अपनी भाषा है। जैसे हम अपने झण्डे से, अपनी माता से, अपने देश से प्यार करते हैं वैसे ही हमें अपनी भाषा हिन्दी से भी प्यार होना चाहिए।
राजभाषा के विकास सम्बन्धी संस्थाएँ | |
संस्था का नाम | स्थापना वर्ष |
दूरदर्शन (सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन) | 1976 ई. |
राजभाषा विधायी आयोग (कानून मांत्रालय के अधीन) | 1975 ई. |
राजभाषा विभाग (गृह मंत्रालय के अधीन) | 1975 |
राजभाषा विभाग (गृह मांत्रालय के अधीन) (देश में अनुवाद की सबसे बड़ी संस्था) | 1971 ई. |
राजभाषा विधायी आयोग (गृह मंत्रालय के अधीन) | 1965-75 ई. |
वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, नई दिल्ली | 1961 ई. |
केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय, दिल्ली | 1960 ई. |
आकाशवाणी (सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय के अधीन) | 1957 ई. |
पत्र सूचना कार्यालय (press information Bureau) नई दिल्ली (सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन) | 1956 ई. |
फिल्म प्रभाग (Films Division) (सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन) | 1948 ई. |
प्रकाशन विभाग (publication Division) (सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन) | 1944 ई. |
अध्याय सार |
भाषा वह साधन हैं जिसके द्धारा व्यक्ति अपने मन के भाव, विचार आदि को व्यक्त कर सकते हैं
भाषा के लक्षण-
- भाषा विचार विनिमय का साधन है।
- भाषा उच्चारण अवयवों से निःसतृत ध्वनि समूह है।
- भाषा सामाजिक परम्परा से प्राप्त होती है।
- भाषा का प्रयोग केवल मानव समाज ही करता है, अन्य प्राणी (जीवन-जन्तु) नहीं।
भाषा की विशेषताएँ-
- भाषा परिवर्तनशील है।
- प्रत्येक भाषा की भौगोलिक सीमा होती है।
- प्रत्येक भाषा की अलग सरंचना होती है।
- भाषा अर्जित सम्पत्ति है, पैतृक सम्पत्ति नहीं।
उत्तर में बोली जाने वाली भाषा-आर्य भाषाएँ
दक्षिण भारत में बोली जाने वाली भाषा-द्रविड़ भाषाएँ
किसी देश के बहुसंख्य लोगों की भाषा को राष्ट्रभाषा कहा जाता है।
संविधान सभा ने 14 सितम्बर 1949 को यह प्रस्ताव पास किया कि संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी।
संस्कृत भाषा के दो रूप हैं-
- वैदिक संस्कृति
- लोकिक संस्कृति।
प्रश्नावली
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1.राष्ट्रभाषा किसे कहा जाता है।
2. हिन्दी भाषा में कितनी उपभाषाएँ एवं बोलियाँ है।
3. हिन्दी भाषा में कितनी उपभाषाएँ एवं बोलियाँ है।
4. संस्कृत भाषा के कितने रूप हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न
- भाषा की परिभाषा लिखिए।
- भाषा के दो लक्षण और दो विशेषताएँ लिखिए।
वस्तुनिष्ट प्रश्न
निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
- वेद किस भाषा में लिखे गए हैं।
वैदिक संस्कृत
लैकिक संस्कृत
प्राकृत
पालि
2. गढ़वाली किस क्षेत्र की बोली हैं
उत्तराखण्ड की
बिहार की
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की
हिमाचल प्रदेश की
3. ढ़ंढाणी बोली का दूसरा नाम है-
मालवी
जयपुरी
मेवाती
मारवाड़ी
4. भाषा के सम्बन्ध में कौन-सा तथ्य सही नहीं है?
भाषा अर्जित सम्पत्ति है
भाषा पैतृक सम्पत्ति है
भाषा परिवर्तनशील है
5. भाषा का प्रयोग समाज के लोग पारस्परिक विचार विनिमय के लिए करते हैं।
भाषा का प्रयोग इनमें से कौन करता है?
मानव
पशु
पक्षी
ये सभी
6. भाषा के कितने रूप माने गए है?
दो
तीन
चार
पाँच
7. हिन्दी किस परिवार की भाषा है?
ऑस्ट्रिक
द्रविड़
भारोपीय
चीनी
8. भारोपीय परिवार की किस शाखा से हिन्दी का सम्बन्ध है?
आर्य शाखा
ईरानी शाखा
यूरोपीय शाखा
इनमें से कोई नहीं
9. इनमें से कौन मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषा है?
पालि
प्राकृत
अपभ्रंश
ये सभी
10. हिन्दी से ठीक पहले की भाषा थी-
संस्कृत
पालि
अपभ्रंश
ये सभी
11. तमिल किस प्रान्त में बोली जाती है?
तमिलनाडु
आन्ध्र प्रदेश
कर्नाटक
केरल
12. केरल में कौन-सा द्रविड़ भाषा बोली जाती है?
तमिल
तेलुगू
कन्नड़
मलयालम
13. हिन्दी भाषा का विकास कब से माना जाता है?
700 ई.
900 ई .
1000 ई.
1200 ई.
14. इनमें से हिन्दी किस प्रान्त की भाषा नही. है?
उत्तराखण्ड
झारखण्ड
गुजरात
बिहार
15. भारतीय संविधान में किसे राजभाषा घोषित किया गया है?
तमिल
बंगला
हिन्दी
गुजराती
16. राजभाषा का अभिप्राय है-
सरकारी कामकाज की भाषा
बहुसंख्यक लोगों की भाषा
दो भिन्न भाषाषी लोगों के आपसी सम्पर्क की भाषा
इनमें से कोई नहीं
17. हिन्दी भारत की राजभाषा होगी, यह निर्णय संविधान सभा ने कब लिया?
14 सितम्बर, 1949
26 जनवरी , 1950
15 अगस्त, 1947
इनमें से नहीं
18. भारतीय संविधान की किस धारा में हिन्दी को राजभाषा घोषित किया गया है?
भाग 17 अध्याय-1 धारा 350
भाग 17 अध्याय-1 धारा 346
भाग 17 अध्याय-1 धारा 345
भाग 17 अध्याय-1 धारा 346
19. राजभाषा सम्बन्धी प्रावधान संविधान के भाग 17 अध्याय-1 में किन धाराओं के अन्तर्गत किए गए हैं?
343 से 351 तक
395 से 360 तक
375 से 390 तक
इऩमें से कोई नहीं
20. हिन्दी बोलने वालों की अनुमानित संख्या है-
100 करोड़
65 करोड़
80 करोड़
90 करोड़
21. राजभाषा का प्रयोग किस क्षेत्र में अनुमन्य है-
प्रशासन में
विधायी कार्यों में
न्यायिक कार्यो में
इन सब में
22. इनमें से बुंदेली किस उपभाषा वर्ग में आती है-
पश्चिमी हिन्दी
पूर्वी हिन्दी
बिहारी
राजस्थानी
23. कौन-सी बोली पश्चिमी हिन्दी की नहीं है?
ब्रजभाषा
खड़ी बोली
भोजपुरी
बुंदेली
24. इनमें से पूर्वी हिन्दी की बोली कौन-सी है?
मगही
छत्तीसगढ़ी
मेवाती
मैथिली
25. विद्दापति ने किस बोली मे काव्यरचना की है?
अवधी
ब्रजभाषा
भोजपुरी
मैथिली
26. कौरवी किस बोली को कहा जाता है?
खड़ी बोली
बुन्देली
ब्रजभाषा
मारवाड़ी
27. मुरादाबाद, मेरठ, बिजनौर किस बोली के क्षेत्र में हैं?
ब्रजभाषा
खड़ी बोली
कन्नौजी
भोजपुरी
28. इटावा, फर्रुखाबाद किस बोली के क्षेत्र में है?
कन्नौजी
ब्रजभाषा
अवधी
बघेली
29. मारवाड़ी किस उपभाषा वर्ग की बोली है?
पहाड़ी
पश्चिमी हिन्दी
राजस्थानी
बिहारी
30. आगरा, मथुरा कौन-सी बोली के क्षेत्र हैं?
ब्रजभाषा
अवधी
मारवाड़ी
भोजपुरी
31. सूरदास किस भाषा के कवि हैं?
ब्रजभाषा
अवधि
मारवाड़ी
भोजपुरी
32.अमीर खुसरो किस बोली के कवि हैं?
ब्रजभाषा
खड़ी बोली
बुन्देली
मारवाड़ी
33. पश्चिमी हिन्दी का विकास हुआ हैं-
शौरसेनी अपभ्रंश से
ब्राचड़ अपभ्रंश से
मागधी अपभ्रंश से
अर्द्धमागधी अपभ्रंश से
34. हिन्दी दिवस कब मनाया जाता हैं?
14 नवम्बर
14 सितम्बर
2 अक्टूबर
26 जनवरी
35. जॉर्ज ग्रियर्सन ने हिन्दी की कितनी बोलियाँ मानी हैं?
आठ
पन्द्रह
उन्नीस
अठारह
36. पूर्वी हिन्दी के अन्तर्गत कितनी बोलियाँ हैं?
आठ
पाँच
तीन
इनमें से नहीं
37. हिन्दी किस लिपि में लिखि जाती है?
गुरूमुखी लिपि में
फारसी लिपि में
ब्राही लिपि में
देवनागरी लिपि में
38. इनमें से अवधी भाषा का कवि कौन नहीं है?
जायसी
तुलसी
कुतुबन
नन्दास
39. मैथिली भाषा के प्रसिद्ध कवि हैं-
तुलसीदास
चण्डीदास
विद्दापति
कबीर
40. बुन्देलखण्ड में बोली जाने वाली प्रमुख बोली है-
मालवी
ब्रजभाषा
बुन्देली
कन्नौजी
41. हरियाणा क्षेत्र में कौन-सी बोली बोली जाती है?
खड़ी बोली
ब्रजभाषा
बांगरू
मेवाती
42. हिन्दुस्तानी भाषा का तात्पर्य है-
हिन्दी भाषा से
उर्दू भाषा से
हिन्दी-उर्दू शब्दावली से युक्त हिन्दी भाषा
संस्कृत
43. उर्दू शब्द मूलतः किस भाषा का है?
अंग्रेजी का
तुर्की का
फ्रेंच का
यूनानी भाषा का
44. उर्दू का शाब्दिक मूल अर्थ है-
मुसलमानों की भाषा
छावनी का बाजार
किले की भाषा
मिली-जुली भाषा
45. इनमें से कौन हिन्दी का साहित्यकार नहीं है?
भारतेन्दु
प्रेमचन्द
मिर्जा गालिब
अमीर खुसरो
46. पालि का सम्बन्ध किस धर्म से है?
वैदिक
वैदिक बौद्ध जैन मुस्लिम
जैन
बौद्ध
47. पालि भाषा का काल है-
500 ई. – 1000 ई.
500 ई. – 1 ई.
1 ई. – 500 ई.
इनमें से नहीं
उत्तरमाला
- (A) 2. (A) 3. (B) 4. (B) 5. (A) 6. (A) 7. (C) 8. (A) 9. (D) 10. (C) 11. (A) 12. (D) 13.(C) 14.(C) 15. (C) 16. (A) 17. (A) 18. (B) 19. (A) 20. (B) 21. (D) 22. (A) 23. (C) 24. (B) 25. (D) 26.(A) 27. (B) 28. (A) 29. (C) 30. (A) 31. (A) 32. (B) 33. (A) 34. (B) 35. (A) 36. (C) 37 (D). 38. (D) 39. (C) 40. (C) 41. (C) 42. (C) 43. (B) 44. (B) 45. (C) 46. (B) 47. (B)
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