CTET Shiksha Shastra Question Model Papers
CTET Shiksha Shastra Question Model Papers:- इस पोस्ट में आपकों मिलेगें CTET (Central Teacher Eligibility Test) बाल विकास एवं अध्ययन – विद्दा (Child Development and Pedagogy) से जुड़े 50 महत्वपूर्ण Question Answer Model Papers जिनके Answer पोस्ट के Last में दियें गये हैं
बाल विकास एवं अध्ययन विद्दा (Central Teacher Eligibility Test)
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- एक शिक्षक बालक की मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं को सर्वोत्तम ढंग से सन्तुष्ट कर सकता है
अज्ञान बालकों की उत्तम शिक्षण हेतु अपना जीवन समर्पित करने में
- उत्कृष्टता के मानदण्ड स्थापित करने में
- बालकों की उच्च उपलब्धियों में आयी असफलताओं को भुलाने में
- बालकों की आवश्यकता के प्रति संवेदनशीलता तथा सतर्कता में
- बालक का व्यवहार सदैव उत्पन्न होता है, उसकी
- मनोशारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति के फलस्वरूप
- चिन्ताओं के साथ सार्थक रूप से समायोजन करने के फलस्वरूप
- उसके प्रभावी मूल्यों के फलस्वरूप
- सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति के फलस्वरूप
- किसी व्यक्ति के आत्म सम्प्रत्यय से तात्पर्य है-
- योग्यता सेप
- आत्मसम्मन से
- अन्य व्यक्तियों के प्रति दृष्टिकोण से
- स्वयं के प्रति दृष्टिकोण से
- प्राय: ऐसा विश्वास किया जाता है कि नए शिक्षक निम्नलिखित क्षेत्र में अनुपयुक्त रूप से प्रशिक्षित होते हैं-
- अनुशासन
- प्रेरणा
- कक्षीय क्रियाओं का संगठन
- माता पिता से सामाजिक सम्बन्ध
- यदि आप यह चाहते हैं कि कक्षा अधिगम प्रभावशाली हो, तो इसके ले आवश्यक है-
- पाठ्यक्रम उद्देश्यों एवं छात्रों की आवश्यकता का निर्धारण
- बौद्धित विचारों का स्पष्ट होना
- शैक्षिक उद्देश्यों एवं छात्रों की आवश्यकता का निर्धारण
- शिक्षा की योजनाओं के सन्दर्भ में
- विद्दालय में छात्र प्रेरणा की शक्ति निर्भर करती है-
- छात्र की आवश्यकताओं सम्बन्धी हताशाओँ पर
- निहित पुरस्कारों के आकर्षण पर
- लक्ष्य सम्प्राप्ति के बाद अपेक्षित प्रेरकों की सन्तुष्टि पर
- प्रलोभनों की उपयुक्तता पर
- किसी बालक को पढ़ने हेतु प्रेरित करने का उत्तम ढंग है-
- उसकें आत्मसम्मान को सुरक्षित करना
- उसे प्रशंसा द्वारा फुसलाना
- उसे सकारात्मक प्रलोभन प्रदान करना
- उसके प्रेरकों का मार्गन्तीकरण करना
- जैसे जैसे बालक बड़ा होता है, तो उसमें रूचि सम्बन्धी प्रवृत्तियाँ-
- अनेक रूपों में विकसित होने लगती है
- निश्चित रूप से विकसित होने लगती है
- संख्यात्मक दृष्टि से सीमित हो जाती है, किन्तु उनमें गुणात्मक परिवर्तन दृष्टिगोचर होने लगता है
- संख्यात्मक एवं गुणात्मक रूप से अपरिवर्तित बनी रहती है
- बालकों की खेलकूद सम्बन्धी रूचि (जिनमें ऊर्जा अधिक व्यय होता है) का अधिकतत विकास होता है-
- प्राथमिक बाल्यवस्था में
- पूर्व किशोरावस्था में
- प्रारम्भिक किशोरावस्था में
- अन्तिम किशोरास्था में
- बालकों में जो रूचियाँ सम्बन्धी वैयक्तिक विभिन्नताएँ पाई जाती है, वे परिणाम होती हैं-
- आयु के
- लैंगिक विभेदनकर्ता के
- आनुभविक पृष्ठिभूमि के
- प्रदत्त अवसरों के
- जब शिक्षक को कोई नया पाठ पढ़ाना हो, तो शिक्षक को प्रारम्भ करना चाहिए-
- विषय के पुनर्विचार से
- छात्रों में निहित पूर्व पाठ सम्बन्धी ज्ञान से
- शिक्षक की स्वयं की रूचि के अनुरूप
- विषय के महत्व की व्याख्या से
- बालक की अवांछनीय रूचियों को समाप्त करने के लिए निम्नलिखित में से कार्य किया जाना चाहिए-
- उस रूचि सम्बन्धी अभ्यास एवं पुनरावृत्ति के अवसर तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया जाय
- अवांछनीय रूचियों को अन्य प्रभावी प्रेरकों द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया जाए
- जब तक बालक परिपपक्वता तक पहुँचे, प्रतीक्षा की जाए
- अभ्यास को दण्ड के प्रभाव से दबाया जाए
- हमारी नई शिक्षा नीति का पालन निम्न में से किस नियम का अनुपालन करके किया जाता है-
- संसाधनों के अनुरूप धीरे चलों प्रक्रिया को अपने आप घटित होने दो
- प्रक्रिया को अपने आप घटित होने दो
- लक्ष्य प्राप्ति के पूर्व कोई पड़ाव या विश्राम नही
- शिक्षितों तथा साक्षरों को अतिरिक्त लाभ प्रेरणा
- अंकगणित सीखने का प्रथम चरण होता है
- जोड़ना
- घटाना
- गुणा करना
- गिनती करना
- विज्ञान का मुख्य लक्षण है-
- निरीक्षण
- परीक्षण
- अन्वेषण
- आविष्कार
CTET Paper Level 2 Baal Vikas Shiksha Shastra Model Papers
- सीखने का अर्थ होता है-
- व्यवहार में परिमार्जन
- मन में परिवर्तनसे
- मनोवृत्ति में परिवर्तन से
- चिन्तन में परिवर्तन से
- सीखने के लिए निम्नांकित में से किसकी जरूरत होती है?
- केवल अभ्यास की
- केवल अनुभूति की
- A तथा B दोनों की
- केवल समय की
- विद्दालयों में बालकों का मानसिक स्वास्थ्य उन्नत करने के लिए-
- उन साधनों अपनाना चाहिए जिनके द्वारा बालकों का शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा रहे
- किसी अन्य बालक से मित्रता नहीं होनी चाहिए
- बालक विद्दालय में उच्च आदर्श नहीं अपनाएं
- साहसपूर्ण कार्य नहीं करना चाहिए
- अभ्यास वं अनुभूति से व्यवहार में धारण योग्य परिवर्तन को सीखना कहा जाता है। य़ह कथन निम्न में से सम्बन्धित है-
- वुडवर्थ
- मार्गन
- चैपमैन
- गेट्स
- सीखने के अनुबंधित – अनुक्रिया सिद्धांत का प्रतिपादन निम्न में से किया था-
- वाटसन ने
- थार्नडाइक ने
- कोहलर ने
- पैवलव ने
- शिक्षण अधिगम प्रक्रियाओं के लिए कौनसी एक परिस्थिति अनुकूल नहीं है?
- छात्रों में कार्य और ज्ञान सीखने की क्षमाता हो
- छात्रों में पर्याप्त अनुशासनहीनता हो
- विद्दालय में सहायक शिक्षण सामग्रियाँ हो
- विद्दालयय के शिक्षकों तथा छात्रों में पारस्परिक सदभावना हो
- एक देखना सौ सुनने के बराबर होता है, यह कथन-
- सत्य है
- असत्य है
- सत्य असत्य दोनों है
- उपर्युक्त में से कोई नहीं हैं
- विद्दालयों में बालक – केन्द्रिय शिक्षा की व्यवस्था कितने वर्षों के लिए होती है?
- 5 से 10 वर्ष तक के बच्चों के लिए
- 6 से 10 वर्ष तक के बच्चों के लिए
- 7 से 12 वर्ष तक के बच्चों के लिए
- 8 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए
- बच्चों के वैयक्तिक और सामाजिक विकास के लिए शिक्षण – संबंधी किस बात पर शिक्षक को ध्यान नहीं देना चाहिए?
- बच्चों के व्यक्तित्व को मान्यता नहीं देना चाहिए
- बच्चों को पर्याप्त स्नेह तथा विश्वास प्रदान नहीं करना चाहिए
- रचनात्मक कुशलता का विकास करना चाहिए
- बच्चों में मर्यादा पक्ष नैतिक मूल्यों को जागृत करना चाहिए
- शिक्षण को प्रभावी बनाने के लिए –
- छात्र और शिक्षक का व्यवहार प्रेम से भरा हो
- अपनत्व के वातारवरण का अभाव हो
- बच्चों को स्वयं करके सीखने का अवसर नहीं मिले
- स्वाध्याय की आदत नहीं डालनी चाहिए
- निम्न में से कौनसा उद्देश्य बाल केन्द्रित शिक्षा का नहीं है-
- बच्चों की शारीरिक तथा मानसिक दक्षताओं का पूर्व विकास करना
- सामाजिक कुशलताओं का विकास करना
- भावनाओं का संरक्षण नहीं देना
- विकास के सभी सोपानों का ख्याल रखना
- प्राथमिक स्तरीय शिक्षा में बालकों की आवश्यकता नहीं है-
- व्यवहारिक गणित एवं भाषा ज्ञान
- सर्जनात्मक चिन्तन
- समस्या का समाधान
- सीखे गए गाज्ञ की पुनरावृत्ति नहीं करना
- यदि स्नायु तंत्रों को ध्यान में रखा जाए, तो बालक का स्नायु तंत्र होता है-
- जन्म के समय पूर्ण विकसित
- शरीर के अन्य अंगों की तरह विकास की स्थिति में
- वातावरणीय उद्दीपकों के अनुरूप विकास की तीव्रता ग्रहण करने के रूप में
- अभिवृद्धि का अन्तिम सोपान
- आप शिक्षण के समय बाल विकास पर ध्यान देना क्यों पसंद करेंगे?
- बालक के स्वाभाविक विकास गति में न्यूनतम हस्तक्षेप किया जाए
- कक्षा सम्बन्धी अनुभवों को परिपक्वता दर समन्वित करके कक्षीय अनुभव प्रदान किए जाए
- जब तक छात्र किसी अधिगम कौशल के प्रति उपयुक्त अभिवृत्ति प्रकट करे तब तक उसके शिक्षण को टाल देना चाहिए
- यदि बौद्धिक एवं शैक्षिक विकास की कुछ मात्रा में हानि होती है
CTET Baal Vikas Shiksha Shastra Sampel Model Papers
- निम्नलिखित में से कौनसा घटक शिशु व्यवहार को प्रदर्शित करता है?
- विभेदनशीलता
- समामान्यीयकरण
- जन्मजात गुण
- एकात्मकता
- पूर्व बाल्यावस्था में बालक जो व्यवहार प्रकट करता है, वह होता है-
- मूलप्रवृत्यात्मक
- स्थानीय प्रतिवर्त
- यादृच्छीकृत क्रियाएँ
- गत्यात्मक
- शिशुओं के व्यवहार में जो गत्यात्मकता प्रकट होती है उसकी स्पष्ट व्याख्या की जा सकती है-
- शिशु के उच्चतम उत्तेजना के आधार पर
- शिशु में निम्नतम तांत्रिक विकास के आधार पर
- शिशु में विद्दमान ऊर्जा शक्ति के आधार पर
- शिशु के मस्तिष्ट में निम्नतम विभेदनशीलता के आधार पर
- शिशु विकास के सन्दर्भ में वैयक्तिकता का तात्पर्य है-
- विभिन्न शिशुओं के मध्य विभेद करना
- शिशुओं के क्रियाकलापों की पूर्ण क्रियाकलापों से तुलनात्मक स्थिति ज्ञान करना
- शिशु द्वारा सामाजिक नियमों का विरोध करना
- शिशु में विशिष्ट योग्यताओं का पनपना
- निम्नलिखित में कौनसा कारक मानव व्यवहार पर न्यूनतम प्रभाव डालता है?
- वातवरण सम्बन्धी शक्तियाँ
- ग्रन्थीय असन्तुलन
- व्यक्ति की आवश्यकताओं की असन्तुष्टि
- मूलप्रवृत्तियाँ
- बालकों की हडिडयों की कठोरता के क्रम में जो उनकी आयु का वरगीकरण किया जाता है, उसे कहते हैं-
- दन्त आयु
- उद्देश्यपरक आयु
- परिपक्वावस्था
- कंकालतंत्रीय आयु
- परिपक्वता से तात्पर्य है-
- बालक में आनुवंशिक गुणों में वातावरण के फल- स्वरूप होने वाले परिवर्तन
- बालकों को प्रशिक्षण देने के ले आवश्यक विकासात्मक स्तर
- बालकों में जीनों के द्वारा प्रत्यारोपित गुणों को विकसित करने वाली अवस्था
- शारीरिक अभिवृद्धि के वे पक्ष जो वंशानुक्रम के मध्यम से अधिगृहीत किए जाते हैं
- बाल व्यवहार में परिवर्तनों का एक प्रमुख कारण है-
- प्राथमिक रूप से परिपक्वता
- परिपक्वता
- अधिगम एवं परिपक्वता दोनों ही
- केवल अधिगम
- प्रारम्भिक बाल्यवस्था में निम्नलिखित में से कौनसा कथन वातावरण सम्बन्धी प्रभाव बालक पर नहीं पड़ता है?
- जन्म होने तक वातावरण का प्रभाव बालक पर नहीं पड़ता है
- वातावरण सम्बन्धी कारक गर्भस्था शिशु के विकास को प्रभावित नहीं कर सकते हैं
- बालक का प्राकृतिक व्यवहार उस समय तक रूपान्तरित नहीं किया जा सकता हैं कि जब तक की बालक में शिक्षण द्वारा सीखने के विवेक उत्पन्न नहीं हो जाता है
- जो भी परिवर्तन बालक के आनुवंशिकता में किए जा सकते हैं वे बालक के वातावरण प्रतिमानों से सम्बन्धित होते हैं
- वृद्धि दर अत्यधिक तीव्र होती है-
- प्रौढ़ावस्था में
- पूर्व किशोरावस्था के सन्धि स्थल में
- जन्म से पूर्व
- (B) एवं (C) दोनों ही, किन्तु दोनों परिस्थितियों में यह ध्यान रखना है, कि वृद्धि को माप सापेक्षित रूप से की गई हैं या सम्पूर्ण रूप से
- बाल विकास में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का क्रम होता हैं-
- सिर से पूँछ की ओर, अन्दर से बाहर की ओर तथा सामान्य से विशिष्टा की ओर
- सिर से पूँछ की ओर, बाहर से अन्दर की ओर तथा सामान्य से विशिष्टिता की ओर
- पूँछ से सिर की ओर, अन्दर से बाहर की ओर, सामान्य से विशिष्टता की ओर
- पूँछ से सिर की ओर, अन्दर से बाहर की ओर विशिष्टता से सामान्य की ओर
- लगभग 11 वर्ष के बालकों में निम्नलिखित क्षेत्र में लैंगिक परिवर्तन मुखर होने लगते हैं-
- शारीरिक शक्ति में
- उस माँसपेशीय समन्वयन में
- व्यक्तित्व विकास में
- बौद्धिक विकास में
- निम्नलिखित कथनों में सर्वशुद्ध कथन है-
- बालक, बालिकाओं की अपेक्षा शीघ्र परिपक्व हो जाते हैं
- बालिकाएँ शीघ्र परिपक्व हो जाती है
- अधिकांश बालकों की अपेक्षा बालिकाएँ शीघ्र परिपक्व हो जाती हैं
- बालक बालिकाओं की परिपक्वता में लैंगिक विभिन्नताएँ नहीं पाई जाती है
- अधिवृद्धि के विभिन्न पक्षों के सन्दर्भ में अनुसन्धानों के आधार पर जो तथ्य प्रकट हुआ है, वह है-
- किसी भी आयु वर्ग के बालकों में व्यापक विकासात्मक परिवर्तन दृष्टिगोचर होते हैं
- बालकों में मन्द किन्तु निरन्तर उन्नति दृष्टिगोचर होती है
- सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक समूहों में अधिक व्यापक विकासात्मक परिवर्तन दृष्टिगोचर होते हैं
- प्रत्येक अवस्था में निश्चित लैगिक विभेद पाए जाते हैं
- बालक में शर्मीलेपन एवं प्रौढ़ता के भाव उजागर होने लगते हैं
- प्रारम्भिक बाल्यावस्था में
- उत्तर बाल्यावस्था में
- पूर्व – किशोरावस्था में
- उत्तर – किशोरावस्था में
- विद्दालय में पढ़ने वाले बालक के समायोजन की कसौटी हैं-
- उसमें निहित योग्यताएँ
- उसमें निहित प्रसन्नता की भावनाएँ
- उसमें साथ खेलने वाले बालकों की संख्या
- उसमें आत्मनिर्भरता तथा अपेक्षित स्वपूर्णता
- विद्दालय नियम संहिता का प्राथमिक उद्देश्य है-
- छात्रों को विद्दालय सम्बन्धी नियमों की जानकारी प्रदान करना
- छात्रों को नवीन विद्दालयों में समायोजन के अवसर प्रदान करना
- किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत उद्देश्यों का सामाजिक जीवन के नियमों के साथ एकीकरण
- सामाजिक कौशलों का विकास
- सामाजिक परिपक्वता का विशेष गुण प्रदर्शित करता है-
- एक व्यक्ति की आवश्यकताओं, उद्देशयों तथा सामाजिक मान्याताओं में त्तम तालमेल
- उच्च सामाजिक योग्यता (दक्षता)
- सामाजिक माँगों के संन्दर्भ में उचित अनुकूलन
- उच्च व्यक्तिगत समायोजन
- पूर्व प्राथमिक विद्दालय में बालक के समायोजन सम्बन्धी कसौटी हैं-
- उसके द्वारा स्वयं अपनी देखभाल तथा आवश्यकताओं की पूर्ति
- अपनी सामाजिक स्थिति में प्रसन्न रहना
- अलग अलग बालकों के साथ खेलने की प्रवृत्ति
- उसमें आत्मनिर्भरता का विकास तथा प्रौढ़ निर्भरता में स्वतंत्र रहने की प्रवृत्ति
- सम्प्रेषण की प्रक्रिया सम्पन्न होती है-
- प्रेषक (Sender) एवं ग्राहक (Receiver)के मध्य
- शिक्षक एक छात्रों के मध्य
- माता पिता एवं बालकों के मध्य
- उपरोक्त सभी में
- सम्प्रेषण प्रणाली को तकनीकी रूप से सक्षम बनाने का सर्वप्रथम श्रेय जाता है-
- शैनन को
- फिलिप्स को
- क्रॉनबैक को
- फ्रीमैन को
CTET Paper Level 2 Baal Vikas Shiksha Shastra Question Answer Model Papers
उत्तर माला
- (D) 2. (B) 3. (D) 4. (B) 5. (C) 6. (C) 7. (D) 8. (D) 9. (D) 10. (C) 11. (B) 12. (B) 13. (C) 14. (D) 15. (A) 16. (A) 17. (C) 18. (A) 19. (B) 20. (D) 21. (B) 22. (A) 23. (B) 24. (A) 25. (A) 26. (C) 27. (D) 28. (A) 29. (B) 30. (B) 31. (D) 32. (B) 33. (B) 34. (D) 35. (D) 36. (D) 37. (C) 38. (D) 39. (D) 40. (A) 41. (B) 42. (C) 43. (A) 44. (C) 45. (D) 46. (B) 47. (A) 48. (D) 49. (A) 50. (A)