DEIEd Hindi Tukant Sabd Study Material Notes Previous Question Answer
तुकान्त शब्द
ऐसे शब्द जिनके अन्तिम स्वर के साथ वर्ण की आवृत्ति होते हुए भी अनेक शब्दों का निर्णाण हो सके तो उऩ शब्दों को तुकान्त शब्द कहा जाता है।
इन शब्दों का ज्यादातर प्रयोग काव्य अथवा कविता में किया जाता है। ये शब्द श्रुतिमधुर होने के कारम काव्यमय होते है, इसलिए इनके अर्थों में भेद होता है।
इन शब्दों का ज्यादातर प्रयोग काव्य अथवा कविता में किया जाता है। ये शब्द श्रुतिमधुर होने के कारण काव्यमय होते है, इसलिए इनके अर्थों में भेद होता है।
यथा – कनक कनक तै सौ गुनी मादकता अधिकाय
या खाय बौराय जग वा पाए बौराय।
इसमें पहले कनक का अर्थ धतूरा है। धतूरा विषैला होता है। जिसे खाने से व्यक्ति पागल हो जाता है पर दूसरे कनक का अर्थ है सोना जिसे पाने पर ही व्यक्ति पागल हो जाता है।
कभी-कभी दूसरी भाषाओं से भी समान ध्वनि वाले शब्द किसी भाषा में आकर अलग अर्थ में प्रयुक्त होने लगते है। इससे भी अनेकार्थता आ जाती है।
यथा- गज हाथी
- गज नापने की इकाई
- लायक योग्य
- गायक गाने वाला
- नायक मुख्य अभिनेता
- दायक देने वाला
- पानी ल
- दानी दाता
- कानी एक नेत्र वाली
- मानी अहंकारी
- वाणी बोली
- हार पराजय
- कार वाहन
- वार आघात, प्रहार
- शाला विद्दालय
- माला हार
- हाला हर, विष
- वार आघात
- हार पराजय
- कार वाहन
- नायक अभिनय करने वाला अभिनेता
- लायक योग्य व्यक्ति
- गायक संगीतमय
- जेय जीतने योग्य
- पेय पीने योग्य
- गेय गाने योग्य
- बानी बोली
- शानी पहचान
- मानी अहंकारी
- बाली कान में पहनने वाले या कर्णफूल
- आली सखी
- जाली जालयुक्त
वर्तमान समय में किसी कविता, शब्द या वाक्य का वह रूप जिसके शब्दों में न कोई लय होती है और न कोई तुक। इस प्रकार के ही शब्द अतुकान्त शब्द कहलाते हैं। यहां पर इनके कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं-
शब्द अर्थ
- अमल आदत
- अम्ल तेजाब (खटटा रस)
- अर्क सूर्य
- अरक रस
- असन भोजन
- आसन भैठने का आसना
- आगम आगम्य
- आगम शासात्र (पुराण)
- अवधि समय
- अवधी एक बोली
- अम्ब माता
- अम्बु जल
- आदि प्रारम्भ
- आदी आदत पड़ जाना
- अपेक्षा आशा
- उपेक्षा तिरस्कार
- अक्ष धुरी
- अक्षि आँख
- अवरोध भाधा
- अविरोध बिना विरोध के
- आमरण मरण पर्यन्त
- आभरण भूषण
- अधर होंठ
- आधार जिस पर कुछ टिका हो
- अचार एक खाद्द पदार्थ
- आचार आचरम
- अर्जन अर्जित कमाई
- अर्चन पूजन
- अशक्त निर्बल
- आसक्त मोहित
- अनल आग
- अनिल वायु
- अपकार हानि पहुँचाने के लिए किया गया कार्य
- उपकार भलाई
- अहं अहंकार
- अहम् महत्वपूर्ण
- अविहित जो उचित न हो
- अनिहित छिपा हुआ
- अमूल जड़ रहित
- अमूल्य अनमोल (बहुमूल्य)
- अतल गहरा
- अतुल अनुपम
- अयस्क लोहा
- अयश बदनामी
- अपर दूसरा
- अपार अत्यधिक
- अलि भ्रमर
- आली सखी
- अंस कन्धा
- अंश भाग
समान ध्वनियों वाले शब्द
हिन्दी में बहुत से शब्द इस प्रकार के हैं जिनके उच्चारण मे समानता सी है पर अर्थ आलग-लग है, इन्हे समोच्चरित भिन्नार्थक शब्द कहते है। यथा-अनल, अनिल लगभग एक जैसे उच्चारण वाले शब्द है पर उनका अर्थ अलग-अलग है। इन शब्दों की वर्तनी में थोड़ बहुत ही अन्तर होता है पर अर्थ पूरी तरह से भिन्न होता है। अनल का अर्थ है- अग्नि और अनिल का अर्थ है- वायु। इसलिए अनल-अनिल शब्द युम समोच्चरित भन्नार्थक शब्द युक्म है। इस प्रकार के शब्दों की अर्थ सहित सूची यहाँ दी जा रही है।
शब्द अर्थ
अमल आदत
अम्ल तेजाब (खटटा रस)
अर्क सूर्य
अरक रस
असन भोजन
आसन बैठने का आसन
अगम अगम्य
आगम शास्त्र
अवधि समय
अवधी एक बोली
अम्ब माता
अम्बु जल
आदि प्रारम्भ
आदि आदत पड़ जाना
अपेक्षा आशा
उपेक्षा तिरस्कार
अक्ष धुरी
अक्षि आँख
अवरोध बाधा
अविरोध बिना विरोध के
आमरण मरण पर्यन्त
आभरण आभूषण
अधर होंठ
आधार जिस पर कुछ टिका हो
अर्जुन आचरण
अर्चन पूजन
अशक्त निर्बल
आसक्त मोहित
अनल आग
अनिल वायु
अपकार हानि पहुँचाने के लिए किया गया कार्य
उपकार भलाई
अहं अहंकार
अहम् महत्वपूर्ण
अविहित जो उचित न हो
अनिहित छिपा हुआ
अमूल जड़ रहित
अमूल्य अनमोल (बहुमूल्य)
अतल गहरा
अतुल अनुपम
अयस्क लोहा
अयश बदनामी
अपर दूसरा
अपार अत्यधिक
अलि भ्रमर
आली सखी
अम्बुज कमल
अम्बुद बादल
अम्बुधि सागर
अन्न अनाज
अन्य दुसरा
अलग बालों की लट
अलग पृथक् ।
अनिष्ट हानि (जो इष्ट न हो)
अनिष्ट जिसकी निष्ठा न हो।
अविराम लगातार
अब्ज कमल
अब्द बादल
अपमान निरादर
उपमान जिससे उपमा दी जाए
अथक जिससे उपमा दी जाए
अकथ बिना कहे
अभ्यास मिथ्या ज्ञान
अध्यास बार-बार का प्रयत्न
आकर आकृति, रूपाकार
आकार खान
इति समापन
इीति विघ्न
इत्र सुगंधित द्रव
इतर दूसरा
इस्तरी प्रेस
स्त्री औरत
इन्दु चन्द्रमा
इन्द्र देवेन्द्र
उपयुक्त ठीक
उपर्युक्त ऊपर कहा गया
उग्र उत्कट या तीव्र
उग्रा उत्कट या तीव्र
उधार ऋण
उद्धार मुक्ति या कल्याण
उपचार इलाज
उपकार भलाई
उद्धत ढीठ, धृष्ट
उद्दत तप्पर, तैयार
उपल ओला, पत्थर
उपला कण्डा
उत्पल कमल
उमर आयु (उम्र)
उमरा धनवान (सरदार)
उत्तर दिशा
ऊतर जवाब
उपयोग काम में लेना
उपभोग भोगना
उदार कृपालु
उधार ऋण
एकता मेल
एकदा एक बार
एव ही
एंव और
और एंव
ओर तरफ
कल मशीन
कला आर्ट
काल समय
ऋत सत्य
ऋतु मौसम
कुल वंश
कूल वंश
कपीश हनुमान
कपिश मटमैला
करण साधन
कर्ण कुन्तीपुत्र
कूट घड़ा
कुट घड़ा
कृपण कंजूस
कोट किला
कोटि करोड़
कोष खजाना
कोश शब्द कोश
कटीली तीक्ष्ण
कँटीली काँटेदार
कटिबद्ध तैयार तत्पर
कटिबंध करधनी
कर्म काम
क्रम क्रमानुसार
कंकाल ठठरी (अस्थि पंजर)
कंगाल निर्धन
कृति रचना
कृती करने वाला
कोर कोना
कौर निवाला
कृशानु अग्नि
किसान कृषक
क्षात्र क्षत्रिय सम्बन्धी
छात्र विद्दार्थी
कोड़ी कुष्ठ रोगी
कोढ़ी कुष्ठ रोगी
कर्त्ता करने वाला
कुर्ता पहनने वाला कुर्ता
खल दुष्ट
खलु निश्चय ही
खाद्द खाने योग्य
खाद उर्वरक
खोआ दूध से निर्मित पदार्थ
खोया खोना क्रिया का भूतकाल का रूप
खासी अच्छी, अत्यधिक
खाँसी एक रोग
खैर कुशल
खेर कत्था
खोलना मुक्त करना
खौलना उबलना
गर्व घमण्ड
गर्भ भ्रूण
गदा एक अस्त्र
गधा एक जानवर
गौ गाय
गो इन्द्रियाँ
गुड़ गन्ने से बना मीठा खाद्द पदार्थ
गुण विशेषता
गृह घऱ
ग्रह सूर्य, चन्द्र, मंगल आदि ग्रह
गेय गाने योग्य
ज्ञेय जानने योग्य
गणना गिनती करना
गढ़ना निर्मित करना
गटटा कलाई
घन बादल
घुन एक कीड़ा
घना पास-पास (सघन)
घोस बस्ती
घोष गर्जन, आवाज
चन्द्र चन्द्रमा
चन्द कुछ
चर्म चमड़ा
चरम अन्तिम
चतुष्पद चौपाया (पशु)
चतुष्पथ चौराहा
चाप धनुष
चाम चमड़ा
चक्रवाक चकवा
चक्रवात तूफान
चालक चलाने वाला (ड्राइवर)
चालाक चतुर एंव धुर्त
चिता शव जलाने के लिए एकत्र की गई लकड़ियाँ आदि
चिंता सोच-विचार
चिर दीर्घ
चीर एक माह का नाम
चैत एक माह का नाम
चैत्य जैन धर्म के चैत्यालय
चपल चंचल
चार एक संख्या
चारू सुन्दर
छत्र छाता
क्षत्र क्षत्रीय सम्बन्धी
छिदि कुल्हाड़ी
क्षिति पृथ्वी
छत कमरे की छत (पटाव)
क्षत घायल
जलद बादल
जलज कमल
जबान जीभ
जवान युवक
जमाना द्रव को ठोस में बदलना
जजिया धार्मिक कर
जिजिया बड़ी
जोत जोतने का भाव या क्रिया
ज्योति दीपक की लौ
ट्रक मोटर ठेला
ट्रंक बक्सा
टोटा घाटा
टोंटा जिसका हाथ टूटा हो या बांह कटी हो
डीठ दृष्टि
ढीठ जिद्दी, धृष्ट
डाट ढक्कन
डाँट डाँट-फटकार
डाल वृक्ष की शाखा
ढाल रक्षा करने वाला उपकरण
तक्र अपने पक्ष में दिया गया तर्क (बहस)
तक्षक एक सर्प का नाम
तर गीला
तरू वृक्ष
तरूणी युवती
तरूण युवक
तुरंग घोड़ा
तप्त गर्म
तृप्त संतुष्ट
तुष्ट संतुष्ट
दुष्ट बुरा व्यक्ति
तन शरीर
तनु पतला
तला फ्रायड (तेल-घी में सेका हुआ)
तल्ला जूते या चप्पल का निचला भाग लॉक (कमरे का ताला, सिकिल का ताला)
ताक ताकने (देखने) की क्रिया
ताख आला
थन जानवर के स्तन
थान कपड़े का थान
थल जमीन
थाल बड़ी थाली
थान स्थान
थाना कोतवाली
दम प्राण
दमा एक बीमारी
दश दस की संख्या
दंश डंक या डसना
दर्प अहंकार
दर्भ डाभ (कुश)
दक्षिण एक दिशा
दक्षिणा दान दक्षिणा
दिया देना क्रिया का भूतकाल
दीया दीपक
दिन वासर
दीन अकिंचन
देव देवता
दैव भाग्य
दारू लकड़ी
दारू शराब
दशा अवस्था
द्रव तरल
द्रव्य धन
दाई धात्री
दायी देने वाला
दीप दीपक
द्धीप चारों ओर पानी से घिरा स्थल (टापू)
दवा दवाई
दबा दबाना क्रिया
दुर्जेय जिसे जीतना कठिन हो
दुर्ज्ञेय जिसे जानना कठिन हो
दिक् दिशा
दिक बीमार
द्धिप हाथी
द्धीप टापू
द्धारा के द्धारा (माध्यम)
धन द्रव्य
धनु धनुष
धान एक विशेष अनाज जिससे चावल बनता है
धान्य सभी अनाज
धुंध सभी अनाज
धुंधु गर्द, धुंधला
नकल कॉपी
नवल नया
नकुल नेवला, एक पाण्डव
नेक भला
नेग दस्तूर
नाई नापित
नाईं की तरग
निसान झण्डा
निशान चिन्ह्
नत झुका हुआ
नद बड़ी नदी
नशा मदहोशी
निशा रात्रि
नियत निश्चित
नीयत आन्तरिक मनोभाव
निहत भरा हुआ
निहित छिपा हुआ
नगर शहर
नागर चतुर
नम्र विनम्र
नर्म कोमल
नीर जल
नीड़ घोंसला
निर्वाण मोक्ष
निर्माण निर्मित करना
प्रणय प्रेम
परिणय विवाह
पवन वायु
पंगु लंगड़ा
पंक कीचड़
परिमाण मात्रा
परिणाम फल
प्रधान मुख्य
परिधान पोशाक
प्रमाण अभिवादन
प्रसाद कृपा
प्रासाद महल
प्रहर समय की इकाई
प्रहार चोट मारना, आघात करना
प्रण प्रतिज्ञा
पर्ण पत्तॉ
पत लाज (सम्मान)
पति भर्ता (जीवन साथी)
परुष कठोर
पुरूष आदमी
प्रताप पराक्रम
परिताप दुःख
पट वस्त्र
पट्ट उलटा
पिक कोयल
पीक पान की पीक
परिच्छद आवरण
परिच्छेद अध्याय
प्रवाह बहाव
परवाह चिन्ता
पाट चौड़ी
पाठ पढ़ना
पत्री चिट्ठी
पत्ती पेड़ की पत्ती
पद्द कविता
पदम् कमल
वन जंगल
बन बनना
वास निवास
बास दुर्गंध
बंदी कैदी (जेल में बंद)
वंदी भाट या चारण
वहन भार उठाना
बहन भगिनी
बाड़ रोक
बाढ़ नदी की बाढ़
बलि न्योछावर
बली ताकतवर
बूड़ा डूबा
बूढ़ा वृद्ध
बाद पश्चात्
वाद मुकदमा
बदन शरीर
वदन मुख
बन्ना दूल्हा
बात चर्चा
वात हवा
बार दफा (कितनी बार)
वार दिवस
बेल एक फल
बैल एक जानवर
भट योद्धा
भाट चारण
भारती सरस्वती
भारतीय भारत का
भद्दा खराब
भद्रा एक नक्षत्र
भवन घर
भुवन संसार
भाग हिस्सा, अंश
भाग्य तकदीर
भाभी भाई की पत्नी
भावी भविष्य
भाण रूपक का एक भेद
भाड़ भड़भूजे की भट्टी
मल गंदगी
माल सम्पत्ति (सोना-चाँदी)
मंदर पर्वत
मंदिर देवालय
मेल संधि
मैल गंदगी
मूल जड़
मूल्य कीमत
मेघ बादल
मेध यज्ञ
मोर मयूर
मौर मुकुट
मास महीना
मांस गोश्त
मद नशा
मद्द शराब
मद्र एक देश
मंद्र संगीत का स्वर
मातृ माता
मात्र केवल
माह महीना
माँह मध्य में
यक्ष एक देव जाति
अक्ष धुरी
यान वाहन
जान प्राण
योग्य जोड, योग साधना
योग्य काबिल
युक्ति उपाय
युक्त उचित, संयुक्त
योगेश्वर कृष्ण, महादेव
योगीश्वर श्रेष्ठ योगी
रिक्त खाली
रक्त खून
रति प्रेम
रीति ढंग
रत संलग्न
रेचक दस्तावर
रोचक रूचिकर
लक्ष लाख
लक्ष्य उद्देश्य
लगन उत्साह, निष्ठा
लग्न मुहूर्त
लोटा एक पात्र
लौटा वापस आया
लुटना स्वयं लुट जाना
लूटना किसी दूसरे को लूट लेना
लेश सूक्ष्म
लपट ज्वाला
लिपट लिपटना
व्याध शिकारी
व्याधि रोग
वय अवस्था
व्यय खर्च
व्रण घाव
वर्ण रंग
वसन वस्त्र
वासन पात्र
व्यसन बुरी लत
वमन उल्टी
वामन बौना, ब्राहाण
विधि विधाता
विधियाँ तरीके
वित्त धन
वृत्त एक ज्यामितीय आकार
वस्तु चीज
वास्तु भवन निर्माण (कला), स्थापत्य
वेटी नाव
बेटी पुत्री
शची इन्द्र की पत्नी
शुचि पवित्र
शलभ पतंगा
सुलभ आसानी से प्राप्त
शुल्क फीस
शुल्क सफेद
शव लाश
सब सम्पूर्ण
शर वाण
सर तालाब
शिवा पार्वती, गीदड़ी
सिवा अतिरिक्त
शर्म लज्जा
श्रम परिश्रम
शकट बैलगाड़ी
शीशा काँच, दर्पण
सीसा एक धातु
शाला घर, विद्दालय
साला पत्नी का भाई
शबल चितकबरा
सबल शक्तिशाली
शूर वीर
सूर एक कवि, अंधा, सूर्य
संकर वर्ण संकर, मिश्रित
शम शांति, शमन
सम समान
शह शतरंज की शह
सह साथ
शहर नगर
सहर सुबह
शती सौ वर्ष
सती पतिव्रता
शाख शाखा
साख प्रतिष्ठा, क्रेडिट
शस्त्र हथियार,
शास्त्र पौराणिक ग्रंथ
शकल टुकड़ा
सकल सम्पूर्ण
सास पत्नी की माता
सांस प्राण वायु
शील चरित्र
सील मुद्रा, मुहर
शुक्ति सीप
सूक्ति कथन
श्वजन कुत्ता
स्वजन सम्बन्धी
श्वपच चाण्ड़ाल स्वपच स्वयतं पाकी
स्वपच स्वयं पाकी
शुक तोता
शुक्र एक ग्रह
शोक दुःख
शौक रूचियाँ
श्वेत सफेद
स्वेद पसीना
स्त्रोत झरना, उत्स
श्रोत कान
सम्पत्ति धन
सम्प्राप्ति प्राप्त होना
सवर्ण उच्च जाति, समान वर्ण
श्रवण सुनना
शाप अभिशाप
सांप सर्प
सर्वदा सदैव
सर्वथा पूर्णतः
स्वर्ग देवलोक
सर्ग अध्याय
स्त्रोत झरना
स्तोत्र मंत्र (प्रशंसापरक मंत्र)
सुत बेटा
सूत धागा, अधिरथ
सप्त सात
सत्त सत्य
सुधि याद
सुध चेतना
सन जूट (सन की रस्सी)
सन् साल
हस्त हाथ
हस्ती हाथी
हाल दशा
हाला शराब
हंस एक पक्षी
हँस हँसना
हिम बर्फ
हेम स्वर्ण
हद सीमा
हद तालाब
हथौटी हस्त कौशल
हथौड़ी हथौड़ा (छोटा)
वर्तनी
भाषा की अशुद्धियाँ प्रायः शब्द के स्तर पर तथा वाक्य के स्तर पर होती है। शब्द के स्तर पर होने वाली अशुद्धियाँ वर्तनी की होती है, जबकि वाक्य के स्तर पर होने वाली अशुद्धियाँ व्याकरण की जानकारी न होने से होती है। शुद्ध भाषा तभी लिखी जा सकती है जब इन दोनों प्रकार की अशुद्धियों का निराकरण हो सके।
वर्तनी की परिभाषा
वर्तनी का अर्थ है- वर्णानुक्रम। अंग्रेजी में इसे स्पेलिंग और उर्दू में हिज्जे कहते है। किसी भाषा में कोई शब्द जिस वर्णानुक्रम में लिखा जाता है, उसे उस शब्द की वर्तनी कहते है।
वर्तनी की शुद्धता बहुत कुछ उच्चारण पर निर्भर है। यदि शब्द का उच्चारण गलत किया जा रहा है तो उसकी वर्तनी भी गलत ही लिखी जाएगी अतः शब्द के शुद्ध उच्चारण पर हमें विशेष ध्यान देना चाहिए।
हिन्दी एक विस्तृत भू-भाग की भाषा है तथा इसकी अनेक क्षेत्रीय बोलियाँ भी है। स्थानीय एवं क्षेत्रीय उच्चारण के कारण भी हिन्दी में वर्तनी सम्बन्धी अनेक त्रुटियाँ होती है। बिहारी व्यक्ति एगारह को शुद्ध मानता है तो ब्रज क्षेत्र का व्यक्ति ग्यारा बोलता है। ऐसी स्थिति में हमें मानक हिन्दी में प्रयुक्त ग्यारह शब्द को ही शुद्ध मानना पड़ेगा।
यहाँ हमें यह भी ध्यान रखना है कि हम हिन्दी को संस्कृत के आधार पर नहीं परख सकते। संस्कृत एक अलग भाषा है और हिन्दी अथवा संस्कृत में किसी शब्द की जो वर्तनी थी, वह हिन्दी में आकर बदल भी गयी है। यथा-
संस्कृत रूप हिन्दी रूप
गड्गा गंगा
पञ्च पंच
कण्ठ कंठ
कन्धा कंधा
कम्बल कंबल
हिन्दी में पंचमाक्षर (ड्, ञ, ण्, न्, म्,) के स्थान पर (.) का प्रयोग स्वीकृत है। अतः संस्कृत में गड्गा शुद्ध है पर हिन्दी में गंगा ही शुद्ध मान लिया गया है।
वर्तनी की अशुद्धियों के कारण
1.वर्तनी की अशुद्धियाँ प्रायः उच्चारण की अशुद्धता के कारण होती है। यदि किसी शब्द का उच्चारण अशद्ध होगा ते उसे लिखा भी अशुद्ध जाएगा। यथा-
अशुद्ध शुद्ध
अध्यन अध्ययन
ऊषा उषा
उर्मिला ऊर्मिला
सहस्त्र सहस्र
श्राप शाप
आधीन अधीन
3.संधि, समास एवं शब्द रचना के अन्य तत्वों की जानकारी का अभाव भी वर्तनी की अशुद्धि का कारण बनता है। यथा-
अशुद्ध शुद्ध
उज्वल उज्ज्वल
सन्यासी संन्यासी
कवित्री कवयित्री
महत्व महत्व
मंत्रीमण्डल मंत्रिमण्डल
पक्षीवृन्द पक्षिवृन्द
व्यवहारिक व्यावहारिक
अध्यात्मिक आध्यात्मिक
समाजिक सामाजिक
- लिपि की अस्पष्टता के कारण की वर्तनीगत भूलें होती है। देवनागरी की कई ध्वनियों (वर्णों) में इतना साम्य है कि उनमें विभेद कर पाना कठिन हो जाता है। यथा-ध-ध, क्ष-छ, श-स, द्द-द्ध, स्त्र-स्र आदि। इसके कुछ उदाहरण प्रस्तुत हैं-
अशुद्ध शुद्ध
क्षत्रिय क्षत्रीय
क्षात्रा छात्रा
सहस्त्र सहस्र
सुमेघ सुमेधा
स्यामल श्यामल
विद्धार्थी विद्दार्थी
- विस्तृत भी-भाग में बोली जाने के कारण हिन्दी में अनेक क्षेत्रीय रूप भी चलते है। कुछ उदाहरणों से बात स्पष्ट होगी-
अशुद्ध शुद्ध
एगारह, ग्यारा ग्यारह
बारा बारह
अस्थान, थान स्थान
अस्नान, सनान स्नान
- कभी-कभी कुछ लोग अतिशोधन की प्रक्रिया में पड़कर शब्द को अशुद्ध कर देते है।
य़था-
अशुद्ध शुद्ध
प्रशाद प्रसाद
इक्षा इच्छा
मिश्रा मिश्र
शुक्ला शुक्ल
- वर्तनी की त्रुटियाँ विद्धानों से भी हो जाती हैं अतः हमें निरंतर सजग एंव सचेत रहना चाहिए तभी वर्तनी की अशुद्धियों से मुक्ति मिल पाती है।
- द्धिविध लिखे जाने वाले शब्दों का मनकीकरण करने की आवश्यकता है। मानक हिन्दी में हमें ऐसे शब्दों का मानकीकरण कर लेना चाहिए तभी शुद्ध हिन्दी लिख पाना संभव हो सकेगा।
विशेषतः हिन्दी के संख्यावाचक शब्दों का मानकीकरण आवश्यक है। यथा-
अशुद्ध शुद्ध
उनंचास, उनन्चास उनचास
छियासठ छ्यासठ
चौवालिस चवालीस
अठरा, अठरह अठारह
चौबिस चौबीस
पचीस पच्चीस
अट्ठाइस अट्ठाईस
एकतीस इकतीस
अठासी अट्ठासी
निन्नावे निन्यानवे
8, इसी प्रकार जो शब्द दो प्रकार से लिखे जाते हैं उनका मानकीकरण आवश्यक है। यथा
अशुद्ध शुद्ध
इसलिये इसलिए
चाहिये चाहिए,
गई गयी
हुयी हुई
वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धियों का वर्गीकरण
वर्तनी से सम्बन्धित अशुद्धियों को अनेक वर्गों में विभक्त किया जा सकता हैं। यथा
1. स्वर (मात्रा) सम्बन्धी अशुद्धियाँ।
2. व्यंजन सम्बन्धी अशुद्धियाँ।
3. संयुक्त व्यंजन सम्बन्धी अशुद्धियाँ।
4. महाप्राण-अल्पप्राण व्यंजनों की अशुद्धियाँ।
5. संधि सम्बन्धी अशुद्धियाँ।।
6. समास सम्बन्धी अशुद्धियाँ।
7. लिंग सम्बन्धी अशुद्धियाँ।
४. प्रत्यय सम्बन्धी अशुद्धियाँ।
9. हलंत सम्बन्धी अशुद्धियाँ ।
10. श्रुति सम्बन्धी अशुद्धियाँ।
यहाँ इन सभी प्रकार की अशुद्धियों का समावेश करते हुए अशुद्ध-शुद्ध शब्दों की सूची दी जा रही है
अशुद्ध शुद्ध
अगामी | आगामी |
आजीविका | आजिविका |
तात्कालिक | तत्कालिक |
दीवाली | सांसारिक |
निरिक्षण | निरीक्षण |
भगीरथी | भागीरथी |
गृहणी | गृहिणी |
व्यावहारिक | व्यवहारिक |
नायिका | नायका |
रासायनिक | रसायनिक |
कुमुदनी | कुमुदिनी |
अध्यात्मिक | आध्यात्मिक |
रागनी | रागिनी |
परलौकिक | पारलौकिक |
नीलमा | नीलिमा |
चहरदीवारी | चहारदीवारी |
विरहिणी | विरहणी |
व्यवसायिक | व्यावसायिक |
बादाम | बदाम |
वाहिनी | वाहनी |
अधीन | अधीन |
शिखर | शिविर |
अनाधिकार | अनधिकार |
गायका | गायिका |
अशुद्ध | शुद्ध | अशुद्ध | शुद्ध |
बारात | बरात | ऋषी | ऋषि |
आराजाकता | अराजकता | पुजारन | पुजारिन |
दुरावस्था | दुरवस्था | रचियता | रचि.ता |
गत्यावरोध | गत्यवरोध | कवियज्त्री | कवयिजत्री |
अत्याधिक | अत्यधिक | वापिस | वापस |
युधिष्ठर | युधिष्ठिर | सामिग्री | सामग्री |
सरोजनी | सरोजिनी | अनुग्रहीत | अनुगृहीत |
वाल्मीक | बाल्मीकि | दृष्टा | द्रष्टा |
अहिल्या | अहल्या | ग्रहस्थ | गृहस्थ |
द्धारिका | द्धारका | द्रढ़ | दृढ़ |
कालीदास | कालिदास | पैत्रिक | पैतृक |
प्रदर्शिनी | प्रदर्शनी | प्रथम | पृथक |
पाणिनी | पाणिनि | बृज | ब्रज |
मंजू | मंजु | ग्रहस्वामिनी | गृहस्वामिनी |
मधू | मधु | अष्टगृह | अष्टग्रह |
गुरू | गुरू | ह्दय | ह्दय |
साधू | साधू | भृष्टाचार | भ्रष्टाचार |
भानू | भानु | सृष्टा | स्रष्टा |
प्रभू | प्रभु | श्रृंगार | श्रृंगार |
वधु | वधू | द्रश्य | दृश्य |
नुपुर | नूपुर | संग्रहीत | संगृहीत |
वैश्या | वेश्या | व्रतान्त | वृत्तांत |
एतिहासिक | ऐतिहासिक | श्रंखला | श्रृंखला |
लतायें | लताएँ | प्रथ्वी | पृथ्वी |
क्रियायें | क्रियाएँ | जागृत | जाग्रत |
कविओं | कवियों | दृष्टव्य | द्रष्टव्य |
साधुवों | साधुओं | ठन्ड | ठंड |
वस्तुयें | वस्तुएँ | लन्का | लंका |
नदियों | नदियों | दन्ड | दंड |
एच्छिक | ऐच्छिक | कन्ठ | कंठ |
एक्य | ऐक्य | पन्डा | पंडा |
विदेशिक | वैदेशिका | चन्चल | चंचल |
देहिक | दैहिक | पन्डित | पंडित |
पोरूष | पौरूष | घमन्डी | घमंड़ी |
ओदार्य | औदार्य | खांसी | खाँसी |
ओद्दोगिक | औद्दोगिक | हंसमुख | हँसमुख |
लोकिक | लौकिक | अंधेरा | अँधेरा |
भोतिक | भौतिक | रंगाई | रँगाई |
गोतम | गौतम | रंडापा | रँडापा |
त्योहार | त्यौहार | गंवार | गँवार |
अक्षोहिणी | अक्षौहिणी | आंधी | आँधी |
दोवारिक | दौवारिक | कटीली | कँटीली |
मँहगाई | महँगाई | भांग | भाँग |
अंगीठी | अँगीठी | अंगुरी | उँगली |
दांत | दाँत | नही | नहीं |
आंख | आँख | वरिष्ट | वरिष्ठ |
आंधी | आँधी | कनिष्ट | कनिष्ठ |
भंवरा | भँवरा | अनुष्टान | अनुष्ठान |
मुंह | मुँह | जेष्ट | ज्येष्ठ |
ऊंट | ऊँट | ह्ष्ठ पुष्ठ | ह्ष्ट पुष्ट |
संवारा | सँवारा | कुष्ट | कुष्ठ |
गाँधी | गांधी | बलिष्ट | बलिष्ठ |
अँगारा | अंगारा | अभीष्ठ | अभीष्ट |
कँगाल | कंगाल | परिशिष्ठ | परिशिष्ट |
अँगूर | अंगूर | भ्रष्ठ | भ्रष्ट |
अंजुलि | अंजलि | तुष्ठि | तुष्टि |
अंगरखा | अँगरखा | यथेष्ठ | यथेष्ट |
टिप्पड़ी | टिप्पणी | मिष्ठान्न | मिष्टान्न |
आभूषड़ | आभूषण | चेष्ठा | चेष्टा |
कंकड़ | कंकण | संतुष्ठ | संतुष्ट |
प्रयाड़ | प्रयाण | गरिष्ट | गरिष्ठ |
घोषड़ा | घोषणा | ओष्ट | ओष्ठ |
गरूण | गरुड़ | गोष्टी | गोष्ठी |
अरुड़ | अरुण | उच्छिष्ठ | उच्छिष्ट |
गड़ना | गणना | प्रविष्ठ | प्रविष्ट |
सीड़ियाँ | सीढियाँ | छत्रिय | क्षत्रिय |
साढ़ी | साड़ी | छणिक | क्षणिक |
विंदु | बिंदु | छमा | क्षमा |
बहिष्कार | बहिष्कार | छुद्र | क्षुद्र |
बष | विष | लछमन | विपक्ष |
बादबिवाद | वादविवाद | विपच्छ | विपक्ष |
उक्षवास | उच्छवास | यच्छ | यक्ष |
क्षत्र | छत्र | प्रेच्छक | प्रेक्षक |
ग्यान | ज्ञान | छणिक | क्षणिक |
ग्याता | ज्ञाता | क्षात्र(विद्दार्थी) | छात्र |
सर्वग्य | सर्वज्ञ | इक्षा | इच्छा |
कृतग्य | कृतज्ञ | मूर्क्षा | मूर्च्छा |
अनभिग्य | अनभिज्ञ | म्लेक्ष | म्लेच्छ |
जिग्यासा | जिज्ञासा | तत्व | तत्व |
यग्य | यज्ञ | विद्धान | विद्धान |
ग्यापन | ज्ञापन | संविद | संविद् |
बुढ्ढा | बुढ्ढा | संवत | संवत् |
मठ्ठा | मट्ठा | भविष्यत | भविष्यत् |
उधधार | उद्धार | परिषद | परिषद् |
मख्खी | मख्खी | पतित् | पतित |
एकट्ठा | इकट्ठा | प्रत्युत् | प्रत्युत |
साँज | साँझ | शाश्वत् | शाश्वत |
ठटेरा | ठठेरा | प्रातकाल | प्रातःकाल |
धंदा | धंधा | अन्तकरण | अन्तःकरण |
भिकारी | भिखारी | दुशील | दुःशील |
ठाट | ठाठ | निसन्देह | निःसन्देह |
धोका | धोखा | प्राय | प्रायः |
अन्ताक्षरी | अन्त्याक्षरी | दुख | दुःख |
उपलक्ष | उपलक्ष्य | अत | अतः |
ईर्षा | ईर्ष्या | निस्वार्थ | निःस्वार्थ |
द्धन्द | द्धन्द्ध | निरोग | नीरोग |
उज्वल, उज्जल | उज्जवल | सौन्दर्यता | सुन्दरता |
ज्योत्सना | ज्योत्स्ना | ऐक्यता | ऐक्य, एकता |
स्वास्थ्य | स्वास्थ्य | माधुर्यता | माधुर्य, मधुरता |
अध्यन | अध्ययन | शौर्यता | शौर्य, शूरता |
अंतर्द्धन्द | अंतर्द्धन्द्ध | पूज्यनीय | पूज्य,पूजनीय |
जोत | ज्योति | सत्मार्ग | सन्मार्ग |
श्वेतांगिनी | श्वेतांगी | पुनरोक्ति | पुनरुक्ति |
उलंघन | उल्लंघन | उपरोक्त | उपर्युक्त |
उलंघन | उल्लंघन | उपरोक्कत | उपर्युक्त |
प्रज्ज्वलित | प्रज्वलित | आधिक्यता | आधिक्य |
महत्व | महत्व | कार्पण्यता | कार्पण्य |
उत्पति | उद्दंड | औदार्यता | औदार्य |
उदंड | उद्दंड | प्रविधिक | प्राविधिक |
अष्टवक्र | अष्टावक्र | अन्तर्साक्ष्य | अन्तःसाक्ष्य |
एकतारा | इकतारा | अन्तर प्रांतीय | अंतर्धान |
शशीभूषण | शशिभूषण | निर्दयी | निर्दय |
पक्षीराज | पक्षिराज | निर्लोभी | निर्लोभ |
प्राणीबंद | प्राणिबृंद | कृतध्नी | कृतघ्न |
दिवारात्रि | दिवारात्र | अनुषंगिक | आनुषंगिक |
योगीवर | योगिवर | बुद्धवार | बुधवार |
अहर्निशि | अहर्निश | राज्यनीति | राजनीति |
वत्क्तगण | वक्तृगण | अंतर्ध्यान | अंतर्धान |
सुलोचनी | सुलोचना | इस्त्री | इस्तरी |
भूगोलिक | भौगोलिक | अनुसूया | अनसूया |
निंधनीय | निंदनीय | त्रितीय | तृतीय |
ब्राम्हण | ब्राहाण | अषाढ़ | आषाढ़ |
ब्रम्ह | ब्रहा | कल्मश | कल्मष |
मात्रभाषा | मातृभाषा | औषधि | औषधि |
प्रतिछाय | प्रतिच्छाया | अभिसेक | अभिषेक |
अनाथिनी | अनाथा | प्रमाणिक | प्रामाणिक |
सुकेशिनी | सुकेशी | चतुरंगिणी | चतुरंगणी |
निवृति | निवृत्ति | अक्षुण | अक्षउण्ण |
मृतिका | मृत्तिका | बुभक्ष | बुभुक्षा |
चिन्ह | चिह् | निर्पेक्ष | निरपेक्ष |
जिव्हा | जिहा | श्राप | शाप |
वन्हि | वहि | प्रण | पण |
आल्हाद | आहाद | समुन्दर | समुन्द्र |
मध्यान्ह | मध्याह् | अठत्तर | सतहत्तर |
आर्शिवाद | आशीर्वाद | सतत्तर | सतहत्तर |
आर्दश | आदर्श | हरद्धार | हरिद्धार |
दुगर्ति | दुर्गति | इन्द्रा | इन्दिरा |
प्रगट | प्रकट | छः | छह |
निरपराधी | निरपराध | सत्तरह | सतहत्तर |
उन्नतशील | उन्नतिशील | इकत्तीस | इकतीस |
सौभाग्यशील | सौभाग्यशाली | उनचास | उनचास |
राज्यकीय | राजकीय | तिरेपन | तिरपन |
मानवीयकरण | मानवीकरण | उन्यासी | उनासी |
मुमक्ष | मुमुक्षु | छियाछठ | छियासठ |
केन्द्रीयकरण | केन्द्रीयकरण | छयासी | छियासी |
स्त्रीण | स्त्रैण | पुर्लिंग | पुल्लिंग |
सदोपदेश | सदुपदेश | पश्चाताप | पश्चात्ताप |
तेजमय | तेजोमेय | अन्तर्रात्मा | अन्तरात्मा |
वहिरंग | बहिरंग | छेपक | क्षेपक |
विगुल | बिगुल | नछत्र | नक्षत्र |
ब्यापार | व्यापार | छिप्र | क्षिप्र |
दवाव | दबाव | समच्छ | समक्ष |
बसुदेव | वसिष्ठ | शिच्छा | शिक्षा |
बसिष्ठ | वसंत | दीच्छा | दीक्षा |
अध्याय सार
जो शब्द अर्थ के स्तर पर परस्पर विपरीत अर्थ व्यक्त करते हों उन्हें विलोम शब्द कहा जाता है।
जो शब्द अर्थ के स्तर पर मसान होते है, उन्हें पर्यायवाची शब्द कहा जाता है।
तुकान्त शब्द- ऐसे शब्द जिनके अन्तिम स्वर के साथ वर्ण की आवृत्ति होते हुए भी अनेक शब्दों का निर्माण हो सके तो उन शब्दों को तुकान्त शब्द कहा जाता है।
हिन्दी में बहुत से शब्द इस प्रकार है जिनके उच्चारण में समानता सी है पर अर्थ अलग-अलग हैं, इन्हे समोच्चरित भिननार्थक शब्द कहते है।
प्रश्नावली
- निम्नलिखित के विलोम शब्द लिखो। (I) ऐतिहासिक (ii) उत्तरायण (iii) देशभक्त (iv)दीर्घ (v) पाठ्य
- निम्नलिखित के समानार्थ शब्द लिखो- (i) अप्सरा (ii) गज- (iii) कोयल (iv) कल्पवृक्ष (v)चरण
- तुकान्त शब्दों के अर्थ लिखिए- (i) गज- (ii) गज (iii) लायक- (iv) गायक- (v)नायक-
- निम्नलिखित को समोच्चरित भिननार्थक शब्द लिखिए- (i) अम्ल – अम्ल (ii) अपर-अपार (iii) अनु – अणु (iv) भट-भाट (v) पत्री- पत्ती
बहुविकल्पीय प्रश्न
निम्नलिखित समोच्चरित शब्दों के सही अर्थों को क्रमानुसार अंकित कीजिए-
- अंस-अंश- (A) कंधा, भाग (B) भाग, कंधा (C) किरण सूर्य (D) कंधा, सूर्य
- अक्ष – अक्षि- (A) आँख, धुरी (B) धुरी, आँख (C) प्रारंभ, आँख (D)धुरी, प्रारंभ
- आकार – आकार – (A) विघ्न, रूपाकार (B) रुपाकार, विघ्न (C) खजाना, रूपाकार (D) रूपाकार, खजाना
- इन्द्र – इन्द्र- (A) विष्णु, चंद्रमा (B) ब्रहा, देवेन्दर (C) चंद्रमा, देवेन्द्र (D) देवेन्द्र, चंद्रमा
- उपर्युक्त-उपयुक्त – (A) ऊपर कहा गया, ठीक (B) ठीक, ऊपर कहा गया (C) ऊपर लिखा गया, ठीक (D) ठीक, ऊपर लिखा गया
- अम्बुद – अम्बुधि – (A) सागर (B) सागर, कमल (C) बादल, सागर (D) सागर, बादल
- अलि – आली – (A) भ्रमर, सखी (B) सखी, भ्रमर (C) मित्र, भौंरा (D) भौंरा, मित्र
- उपल-उत्पल- (A) कण्डा, ओला (B) ओला, कण्डा (C) ओला, कमल (D) कमल, ओला
- खोआ-खोया – (A) मावा, खोना क्रिया का रूप (B) खोना, मावा (C) भोजन, खो जाना (D) खो जाना, भोजन
- गेय- ज्ञेय – (A) जानने योग्य, गाने योग्य (B) पीने योग्य, खाने योग्य (C)मानने योग्य, जानने योग्य (D) खाने योग्य, पीने योग्य
- कंकाल – कंगाल – (A) अस्थिपंजर, निर्धन (B) निर्धन, अस्थिपंजर (C) कौआ, कोयल (D) कोयल, कौआ
- गृह – गृह – (A) सूर्य, चन्द्र (B) घऱ, नवग्रह (C) नवग्रह घर (D) तारे, कुटिया
- कोट – कोटि – (A) कमीज, पतलून (B) कमर, कंधा (C) किला, करोड़ (D)करोड़, किला
- कुल – कूल – (A) वंश, किनारा (B) किनारा, वंश (C) मौसम, सम्पूर्ण (D) सदैव, तट
- दक्षिण-दक्षिणा- (A) दान, एक दिशा (B) एक दिशा, दान-दक्षिणा (C)दहिना, बाँया (D) सदैव, तट
- तप्त – तृप्त- (A) गर्म, बालू (B) बालू, गर्म (C) गर्म, संतुष्ट (D) संतुष्ट, गर्म
- धन – धनु- (A) द्रव्, धनुष (B) धनुष, द्रव्य (C) पतला, मोटा (E) मोटा, पतला
- प्रण-पर्ण- (A) पत्ता, प्रतिज्ञा (B) प्रतिज्ञा, पत्ता (C) \ प्रतिज्ञा, पीला (D) पीला, प्रतिज्ञा
- प्रसाद-प्रासाद- (A) राजमहल, कृपा (B) कृपालु, प्रसन्नता (C) कृपा, महल (D)
- महल, अनुसा
उत्तरमाला
- (A)2. (B) 3. (C) 4. (C) 5. (B) 6. (C) 7. (A) 8. (C) 9. (A) 10. (C) 11. (A) 12. (B) 13. (C) 14. (A) 15. (C) 16. (C) 17. (A) 18. (B) 19. (C)
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