DElEd 1st Semester Hindi Short Question Answer in Hindi
DElEd 1st Semester Hindi Very Short Question Answer in Hindi
DElEd Hindi Short Question Answer : Page 1
DElEd Hindi Short Question Answer : Page 2
DElEd Hindi Short Question Answer : Page 3
DElEd Hindi Short Question Answer : Page 4
DElEd Hindi Short Question Answer : Page 5
DElEd Hindi Short Question Answer : Page 6
DElEd Hindi Short Question Answer : Page 7
DElEd Hindi Short Question Answer : Page 8
DElEd Hindi Short Question Answer : Page 9
DElEd Hindi Short Question Answer : Page 10
DElEd Hindi Short Question Answer : Page 11
DElEd Hindi Short Question Answer : Page 12
DElEd 1st Semester Hindi लघु उत्तरीय प्रश्न Question Answer in Hindi
प्रश्न 1. स्वर किसे कहते हैं ? (बी.टी.सी. 2016)
उत्तर–वे अक्षर जिनके उच्चारण में ध्वनि फेफड़ों से निकलकर कण्ठ से होती हुई मुख के उच्चारण स्थानों को स्पर्श किये बिना मुख-द्वार से बाहर निकल जाती है, स्वर कहलाते हैं। स्वरों का उच्चारण किसी अन्य अक्षर की सहायता के बिना स्वतन्त्र रूप से होता है। हिन्दी भाषा में कुल 11 स्वर हैं; जैसे-अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ तथा औ।
प्रश्न 2. व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं ?
अथवा
स्पर्श व्यंजन से क्या अभिप्राय है ? यह अन्त:स्थ व्यंजन से किस प्रकार भिन है ?
अथवा
हिन्दी भाषा के व्यंजन वर्गों के उच्चारण स्थानों के नाम लिखिए।
अथवा
संयुक्ताक्षर व्यंजनों को लिखिए।
अथवा
स्पर्श व्यंजन किसे कहते हैं ? स्पर्श व्यंजन का उल्लेख कीजिए।
उत्तर–जब प्राण वायु कण्ठ तथा मुख के अवयवों से टकराती हुई बाहर निकलती है तो जो ध्वनियाँ उत्पन्न होती हैं, उन्हें व्यंजन कहा जाता है। जैसे—क, ख, ग आदि प्रत्येक व्यंजन का उच्चारण स्वर की सहायता से होता है।
हिन्दी भाषा में व्यंजनों की संख्या 33 है। व्यंजन प्रमुखतः चार प्रकार के होते हैं। | (i) स्पर्श व्यंजन-इन व्यंजनों के उच्चारण में हवा उच्चारण स्थलों को स्पर्श मात्र करती है। ये पाँच वर्षों में—क वर्ग, च वर्ग, ट वर्ग, त वर्ग, प वर्ग में विभाजित हैं।
(ii) अन्त:स्थ व्यंजन-जिन व्यंजनों के उच्चारण में जिह्वा मुख के किसी भाग को नहीं स्पर्श करती और हवा बिना रगड़ खाये मुंह से बाहर निकल जाती है उन्हें अन्त: व्यंजन कहते हैं। जैसे—य, र, ल, व।।
(ii) ऊष्प व्यंजन-जिन वर्गों के उच्चारण में हवा मुख से रगड़ खाती हुई धीरे-धीरे बाहर निकलती है उन्हें ऊष्म संघर्षी व्यंजन कहा जाता है। जैसे—स, श, ष, ह।
(iv) संयुक्त व्यंजन—दो अथवा दो से अधिक व्यंजन मिलने पर संयुक्त व्यरंजन बनते
हैं। जैसे
क् + ष = क्ष (अक्षर, कक्षा)
त् + र = त्र (पुत्र, त्रिशूल)
ज् + ञ् = ज्ञ (ज्ञान, विज्ञान)
शु + र = श्र (श्रम, विश्राम)
प्रश्न 3. हिन्दी की वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धियाँ बताइए।
अथवा
लेखन शिक्षण की सामान्य त्रुटियों को स्पष्ट कीजिए। (डी.एल.एड. 2018)
उत्तर_हिन्दी भाषा की वर्तनी : अशुद्धियाँ एवं निवारण_शुद्ध लेखन का अभिप्राय – लेखन सम्बन्धी अशुद्धियाँ न करने से है। इसके लिए तीन बातों पर विचार करना आवश्यक
अशुद्धियों के प्रकार * वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धियाँ कई तरह की हो सकती हैं। उनमें से कुछ प्रकार हैंपूर्ण वर्ण सम्बन्धी अशुद्धियाँ
बहुत से बालक कुछ वर्षों के उच्चारण-भेद को ठीक तरह नहीं समझते और वे प्रायः एक अक्षर के स्थान पर उसी से मिलता-जुलता दूसरा वर्ण लिख देते हैं। यह उचित नहीं, क्योंकि कभी-कभी तो एक वर्ण के परिवर्तित हो जाने से पूरे शब्द का ही अर्थ परिवर्तित हो जाता है; उदाहरणार्थ ‘शर’ और ‘सर’ दोनों का अर्थ एक-दूसरे से सर्वथा भिन्न है। पूरे वर्ण को कुछ-से-कुछ लिखकर बालक जो अशुद्धियाँ करते हैं, उन्हें भी कई रूपों में देखा जा सकता है
(i) ‘ब’ और ‘व’ की अशुद्धियाँ।
(ii) “छ’ और ‘क्ष’ की अशुद्धियाँ।
(iii) ‘ड’ और ” की अशुद्धियाँ।
(iv) ‘ढ’ और ‘ढ’ की अशुद्धियाँ।
(v) ‘ड़’ और ‘B’ की अशुद्धियाँ।
(vi) ‘ड़’ और ‘ण’ की अशुद्धियाँ।
(vii) ‘श’ और ‘घ’ की अशुद्धियाँ।
(viii) ‘ष’ और ‘स’ की अशुद्धियाँ।
प्रश्न 4. ध्वनि क्या है ?
उत्तर–ध्वनि भाषा की मूलभूत इकाई है। ‘स्वन’ शब्द के लिए अंग्रेजी में ‘Phone शब्द है। ध्वनि का लघुत्तम अनुभवगम्य विच्छिन्न खण्ड स्वन विज्ञान में “स्वन’ कहलाता है। * ध्वनि’ शब्द संस्कृत के ‘ध्वन्’ (आवाज करना, शब्द करना) धातु के साथ इण (इ) प्रत्यय सम्पृक्त करने से निर्मित होता है। इसका अर्थ होता है ‘आवाज’ या ‘आवाज करना’। व्यक्ति जब बोलता है, तो उसके मुख विवर से वायु बाहर निकलती है जो वागेन्द्रिय के माध्यम से कुछ वाणी (आवाज) प्रकट करती है, उसी को ध्वनि कहा जाता है।
डॉ. श्यामसुन्दर दास के अनुसार, “ ध्वनि शब्द से भाषा-विज्ञान में मानव मुख से निसत ध्वनियों को ग्रहण किया जाता है, अन्य अव्यक्त-अस्पष्ट ध्वनियों को नहीं इस ध्वनि ‘ में वर्ण शब्द और भाषा सभी का अन्तर्भाव हो जाता है।
प्रो. डोनियल जोंस ने ध्वनि की परिभाषा इस प्रकार दी है, ध्वनि मनुष्य के विकल्प- परिहीन नियत स्थान और निश्चित प्रयत्न द्वारा उत्पादित और श्रोत्रेन्द्रिय द्वारा अविकल्प रूप से ग्रहीन शब्द लहरी है।