A2zNotes.com -Best Bcom BBA Bed Study Material

DElEd 1st Semester Hindi Short Question Answer in Hindi

प्रश्न 31. आक्षरिक लिपि से आप क्या समझते हैं?

उत्तर – आक्ष्रिक लिपि में संकेतों को अक्षर के माध्यम से व्यक्त किया जाता था, वर्णों के माध्यम से नहीं। इसमें व्यंजनों के लिए दो ध्वनियाँ प्रयुक्त होती थीं। जैसे – क में क् + अ दो ध्वनियाँ हैं। इस लिफि की वैज्ञानिकता में यह एक दोष कहा जा सकता है।

प्रश्न 32. विराम चिह्र से आप क्या समझते हैं? प्रमुख विराम चिह्रों का नामोल्लेख कीजिए।

अथवा

विराम चिह्रों का क्या अभिप्राय है?

अथवा

पूर्ण विराम एवं अल्प विराम में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

अथवा

अर्द्ध विराम तथा पूर्ण विराम का अर्थ स्प्ष्ट करते हुए उनके क एक उदाहरण लिखिए।

अथवा

विराम चिह्रों से आप क्या समझते हैं? किन्हीं दो विराम चिह्रों को उदाहरण सहित लिखिए।

उत्तर – विराम का अर्थ – यदि शाब्दिक रूप से देखें तो विराम रका अर्थ है – रूकना या ठहरना। अपने भावों को प्रकट करने के लिए भाषा में बोलते समय अथवा लिखते समय कुछ स्थानों पर रूकना पड़ता है। अगर बिना रूके हम अपनी बात को कहते हैं तो सुनने वालों की समझ अपनी बात कहेंगे तो छीक रहेगा। इसी प्रकार लिखते हे विराम चिह्रों के प्रयोग से न केवल भावों में स्पष्टता आती है बल्कि उनका प्रभाव भी बढ़ जाता है।

उदाहरणार्थ – रोको, मत जानो दो। इस वाक्य में कहीं कोई विराम नहीं है, जिसमें सके दो अर्थ व्य़क्त होते हैं पहला रोको, मत जाने दो। और दूसार रोको मत जाने दो। ये दोनों अर्थ एक दूसरे के विरूद्ध है, अत: स्पष्ट है कि विराम चिह्र वाक्य का अर्थ तो स्पष्ट करते ही हैं,  भाषा को सुन्दर अथवा प्रभावशाली भी बनाते हैं।

परिभाषा – वाक्य बोलते अथवा लिखते समय विराम को प्रकट करने वाले चिह्रों को विराम चिह्र कहते हैं।

प्रमुख विराम चिह्र

  1. पूर्ण विराम (1) – वाक्य की समाप्ति पर पूर्ण विराम का प्रयोग किया जाता है। प्रश्नवाचक और विस्मयादिबोधक वाक्यं के अतिरिक्त अन्य सभी वाक्यों के अन्त में पूर्ण विराम का प्रयोग किया जाता है, जैसे –
  2.  भारत में 1 जुलाई 2017 से जी.एस.टी. कानून लागू हुआ।

(ब) पिताजी अखबार पढ़ रहे हैं।

(2) अल्प विराम (L)—लिखते समय अथवा बोलते समय जब एक श शब्द से या एक वाक्य को दूसरे वाक्य से पृथक् करने के लिए थोड़ा रुकते हैं । का प्रयोग किया जाता है। अल्प विराम का प्रयोग भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में हो अ) शब्दों को पृथक् करने के लिए

शेखर, राखी, नेहा और रोहन बगीचे में खेल रहे थे।

सब्जीवाला आलू, टमाटर, भिण्डी, बैंगन आदि बेच रहा है। (ब) सम्बोधन के पश्चात्

भाइयो, मेरी बात को ध्यान से सुनो।

मोहन, तुम इधर आओ।। (स) दो वाक्यांशों को जोड़ने के लिए

रवि विद्यालय से आकर, शहर चला गया।

तुम जल्दी तैयार हो जाओ, मैंने पिताजी से पूछ लिया है। (द) किसी कथन को स्पष्ट करने हेतु कि’ के स्थान पर

शिक्षक ने बताया, “धरती गोल है।”

पिता ने पूछा, “अब तक कहाँ थे ?” (3) अर्द्ध-विराम (;)—सामान्यतया अर्द्ध विराम दो उपवाक्यों को जोड़ता है। एक उपवाक्य खत्म हो जाता है तथा दूसरे को ‘और’ जैसे शब्दों से नहीं जोड़ा जा सकता वहाँ अर्द्ध विराम का प्रयोग होता है।

स्वतन्त्रता आन्दोलन से सम्पूर्ण देश में क्रान्ति की लहर दौड़ गयी; भला स्वतन्त्र कौन । नहीं रहना चाहता है।

(4) प्रश्नवाचक चिह्न (?)—प्रश्न पूछने हेतु वाक्यों के अन्त में सदैव प्रश्नवाचक चिह्न का प्रयोग किया जाता है; जैसेबस कब छूटेगी ?

दुकान में कौन है ? तुम्ह्मरे हाथ में क्या है ? तुम्हारी पेन्सिल कहाँ है ? (5) विस्यादिबोधक चिह्न (!)—भावों को प्रकट करने हेतु; जैसे—भय, शोक, घृणा, आश्चर्य आदि को प्रकट करने वाले शब्दों में विस्मयादिबोधक चिह्न’ का प्रयोग किया जाता

हाय ! यह क्या हो गया। अरे ! तुम कब आए।

छिः ! तुम तो बहुत गन्दे इन्सान हो। वाह ! कितना सुन्दर चिड़ियाघर है। (6) योजक चिह्न (-)–शब्द युग्मों एवं तुलना करने वाले शब्दों के साथ यह चिह्न का प्रयोग किया जाता है; जैसे

रात-दिन, आज-कल, सुख-दु:ख, थोड़ा-सा, कालां-सा, मोटा-सा आदि। (7) उद्धरण चिह्न (‘ ‘) (“”)—यह चिह्न दो प्रकार के होते हैं

  • इकहरा उद्धरण चिह्न (‘ ‘)—इसका प्रयोग वाक्य के अन्तर्गत आये शब्द वशेष, व्यक्ति, वस्तु का नाम लिखने हेतु किया जाता है; जैसे—यह अंश हमारी पाठ्यस्तक ‘हिन्दी व्याकरण’ से लिया गया है। | शिक्षक ने सभी छात्रों को ‘काव्य-कुसुम’ नामक पुस्तक निकालने हेतु कहा।

(ब) दोहरा उद्धरण चिह (‘’ ‘’) किसी वक्ता के कथन को उसी शब्दों में वैसेका-वसा लिखने हेतु इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है। जैसे—महात्मा गाँधी ने कहा, * अहिंसा परमो धर्मः।”

पिताजी ने शीतला से कहा_बेटा, हमेशा समय का पालन करना।”

(8) लाघव चिह्न (.)–लाघव चिह्न को ‘संक्षेपक’ भी कहते हैं। इस शब्द को संक्षिप्त रूप में लिखने के लिए किया जाता है; जैसे

उत्तर प्रदेश उ.प्र.        डॉक्टर डॉ.

प्राइवेट लिमिटेड–प्रा. लि.    टेलीविजन टी.वी.

DElEd 1st Semester Hindi Short Question Answer in Hindi

प्रश्न 33. लेखन कला को कुशल बनाने में सलेख’ के महत्व पर प्रकाश डालिए।       (बी.टी.सी. 2015)

उत्तर–सुलेख का उद्देश्य सुन्दर लेखन में लिखना होता है। लेखन कला को कुशल बनाने में सुलेख का बहुत महत्व है क्योंकि सन्दर अक्षरों में लिखे हुए वाक्य पढ़ने में, समझने में एवं देखने में अच्छे लगते हैं।

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीजी ने कहा कि ” भद्दा लेख अधुरी पढाई की निशानी है, अतः लेख सदैव स्पष्ट और शुद्ध होना चाहिए। शुद्धता को प्रथम वरीयता देनी होगी, तत्पश्चात् स्पष्टता और सफाई का महत्व है।”

प्रश्न 34. अशुद्ध उच्चारण के किन्हीं पाँच कारणों का उल्लेख कीजिए।       (बी.टी.सी. 2015, 17)

उत्तर–अशुद्ध उच्चारण के कुछ कारण निम्नलिखित हैं

(i) ध्वनि लोपन—किसी ध्वनि का लोप कर देना। ,

(ii) ध्वनि प्रकृति—किसी ध्वनि का अल्प अथवा अति उच्चारण करना।

(iii) ध्वनि विपर्यय किसी ध्वनि को उलट-पुलट देना।

(iv) उच्चारण के साधारण नियमों का ज्ञान न होना।

(v) शारीरिक विकृतियाँ; जैसे—ओष्ठ, दन्तक्षय, कोमल तालु अभाव, लघुत्व।

Leave a Reply