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DElEd 1st Semester Hindi Short Question Answer in Hindi

प्रश्न 35. अनुनासिक स्वर क्या है ?      (बी.टी.सी. 2015)

उत्तर–जब मुख द्वार, बन्द करके खोला जाता है, किन्तु साथ ही नासिका विवर भी खुला रहता है इससे जो स्वर निकालते हैं, वे अनुनासिक स्वर होते हैं। जैसे—ङ, ञ, ण, न, म।।

प्रश्न 36. उच्चारण के सुधार की मुख्य विधियाँ कौन-कौन सी हैं ?

अथवा

(बी.टी.सी. 2015 II) उच्चारण शिक्षण की विधियों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।

अथवा            (बी.टी.सी. 2017)

शुद्ध उच्चारण कैसा हो ?

उत्तर–पाणिनि व याज्ञवल्क्य ने शिक्षा में शुद्ध उच्चारण के बारे में लिखा है।

व्याघ्री यथा हरेत पुत्रान् द्रष्ट्राभ्यां न पीडयेत् ।।

भीता पतनभेदाभ्यां तद्वर्णान प्रयोजयेत॥” । –पाणिनीय शिक्षा

जिस प्रकार बाघिन अपने बच्चों को मुँह में लेकर चलते समय इस बात का ध्यान रखती है कि बच्चों को न तो दाँत चुभे और न ही वे गिर पड़े। इसी प्रकार वर्गों का उच्चारण करते समय देखना है कि न तो वे दबे रह जाएँ एवं न एकाएक बाहर निकल जाएँ।

(i) ध्वनि व्यवस्था गद उच्चारण के लिए हिन्द। ध्वनियों की वरथा का ज्ञान आवश्यक है। किस ध्वनि का उच्चारण किस उच्चारण स्थान से होगा।

(ii) बल—जिस शक्ति के द्वारा किसी ध्वनि/वर्ण का उच्चारण किया जाता है, उसे बल कहते हैं।

जैसे—(1) अक्षर/वर्ण बल।                       घर

(2) शब्द बल                          हरी घर जाता है।

(3) वाक्य बल                          हरी घर जा सकता है।

उच्चारण में किसी ध्वनि पर बल न देने से भी अर्थ का अनर्थ हो जाता है।

(iii) लय- जब अक्षर बोलने के बाद दूसरा अक्षर बोलने के बीच समान समय देने को लय कहते हैं।

(iv) स्वराघात उच्चारण में ध्वनियों के समुचित आरोह-अवरोह को स्वराघात कहा जाता है।

(v) गति–गति का अर्थ शब्द समूहों के बीच में हिचकिचाहट अथवा रुकावट के बोलने से है।

(vi) विराम– विराम का अर्थ है रुकना। लम्बे-लम्बे वाक्यों को शुद्ध रूप से पढ़ने क लिए यथा स्थान पर रोकते हुए पढ़ना।

DElEd 1st Semester Hindi Short Question Answer in Hindi

प्रश्न 37. पठन का क्या अर्थ है ? आरम्भिक स्तर पर पठन शिक्षण की दो विशेषताएँ लिखिए।

अथवा (बी.टी.सी. 2016)

वाचन का अर्थ लिखिए।  (बी.टी.सी. 2015 II)

उत्तर– वाचन (पठन) का अर्थ— भाषा के दो रूप हैं—एक मौखिक एवं दूसरा लिखित । मौखिक भाषा को बोला जाता है, किन्तु लिखित भाषा का तो वाचन (पढ़ना) ही होता है। लिखित भाषा को देखकर बोलना ही ‘वाचन’ कहलाता है। वाचन के पर्याय पठन तथा बाँचना भी है।

ल्यूड्स के अनुसार “वाचन एक साधन है, जिसके माध्यम से बालक सम्पूर्ण मानवता के द्वारा संचित ज्ञानराशि से परिचित हो सकता है।” । संक्षेप में यह कह सकते हैं कि लिपि प्रतीकों की पहचान, अर्थग्रहण एवं उसका पूर्वापर सम्बन्ध जोड़ते हुए पूर्ण आशय समझ लेने का नाम पढ़ना, बाँचना, पठन और वाचन है।

वाचन के उद्देश्य वाचन के उद्देश्य निम्नलिखित हैं

(i) बालकों में ऐसी क्षमता पैदा करना कि वे पाठ पढ़कर उसके भाव ठीक-ठीक । समझ सकें।

(ii) वाचन द्वारा छात्रों को शुद्ध उच्चारण का अभ्यास कराना।

(iii) पढ़ते समय स्वरों के उतार-चढ़ाव एवं विराम आदि का ध्यान रखना।

(iv) आत्मसात किये गये विषय को बालक दूसरों को भी समझा सके, उसमें ऐसी । योग्यता उत्पन्न करना।

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