DElEd 1st Semester Sanskrit Short Question Answer Sample Paper

प्रश्न 4. कुछ मेवों एवं भोजन सम्बन्धी वस्तुओं के संस्कृत में नाम लिखिए।
उत्तर – मेवों के नाम
शब्द | अर्थ |
वातादम् | बादाम |
मखान्नम् | मखाना |
प्रियालम् | चिरौंजी |
काजवम् | काजू |
अकोलम् | पिस्ता |
मोदक: | लड्डू |
प्रश्न 5. संस्कृत में लिंगों वं वचनों की संख्या को उदाहरम सहित स्पष्ट कीजिए सबी के कम से कम तीन उदाहरण दीजिए।
अथवा लिंग की परिभाषा दीजिए। संस्कृत में लिंगों के भिद को उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर – लिंग
परिभाषा- संज्ञा के जिस रूप से किसी व्यक्ति, वस्तु अथाव स्थान के स्त्री या पुरूषवाचक होने का बौधा होता है, उसे लिंग कहा जाता है।
लिंग का शाब्धिक अर्थ हैं निशान या चिह्र। अत: लिंग उस चिह्र को कहा जाता है जिससे किसी शब्द का पुरूषवाचक, स्त्रीवाचक या नपुंसकवाचक होना सिद्ध हो, जैसे – मित्र सखा, राम, राधा आदि।
- राजा , घोडा, हाथी, सिंह, बकरा, गधा, भारत, दिन, लड़का।
- लड़की, रानी, घोड़ी, हथिनी, सिंहनी बकरी, गधी, लंका, सीता।
पहले वर्ग में लिखे शब्द पुरूष वर्ग का बोध कराते हैं। इन्हें पुल्लिंग कहा जाता है। दूसरे वर्ग में लिखे शब्द स्त्री वर्ग का बोध कराते हैं, इन्हें स्त्रीलिंग कहा जाता है।
निर्जीव अथवा, अचेतन पदार्थ भी पुल्लिंग या स्त्रीलिंग होते हैं, जैसे, पत्थर, पहाड़, घर आदि पुल्लिंग है। सड़क, रस्सी, लड़का आदि स्त्रीलिंग हैं।
लिंग के प्रकार
हिन्दी भाषा में क्वल दो ही लिंगों में काम चल जाता है- पुल्लिंग एवं स्त्रीलिंग, परन्तु संस्कृत में तीन लिंग होते हैं- पुल्लिंग, स्त्रीलिंग एवं नपुंसकलिंग। संस्कृत में लिंगों का सम्बन्ध शब्दों के द्वारा व्यक्त होने वाले पदार्थों से होता है। इसलिए संस्कृत में लिंग निर्णय में विशेष कठिनाई होती है, जैसे हिन्दी में अग्नि तथा महिमा, शब्द स्त्रीलिंग हैं परन्तु यह शब्द संस्कृत में पुल्लिंग में प्रयुक्त होते हैं। ऐसे ही मित्र शब्द पुल्लिंग एवं सखा शब्द नपुसंकलिंग का अर्थ देता है। अत: इन लिंगों शब्दों की पहचान अभ्यास से ही हो सकती है, केवल किसी नियम के आधार पर नहीं। अभ्यास हेतु लिंग ज्ञान के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियम यहाँ दिये जा रहें है।
पुल्लिंग
जिस शब्द से नर (पुरूष) जाति का बोध होता है, उसे पुल्लिंग कहा जाता हैं, पुल्लिंग शब्दों के पहचानने के कुछ नियम इस प्रकार हैं-
- घञ्, प्रत्ययन्त शब्द, अच् प्रत्यययान्त वाले शब्द पुल्लिंग होते हैं, जैसे नर:, पाक:, विजय:, शोक:, विहार:, विनय:, त्याग:, भाव: आदि।
(परन्तु भय, सुख, हर्ष, पद आदि नपुंसकलिग होते हैं।)
(ii) अन् से समाप्त होने वाले शब्द पुल्लिंग होते हैं। यथा राजन् (राजा), मात्न्, पिन्, परन् आदि।।
(iii) समुदाची शब्द पुल्लिंग होते हैं, यथा समुदः, सिन्धुः, सागरः, अल्धिः आदि। (v) ‘इमानन्’ पपय वाले शब्दं पुल्लिंग होते हैं; येथा महिमा, लघिमा आदि।
(iv) देवता (स्त्रीलिंग) शब्द को छोड़कर देववाचक शब्द, असुरवाची शब्द (श नपस गध की किर) तथा सुर एवं असुरी के नाम तथा अनुचर कह जाने वाले श पल्लेिग होते हैं। यथा देवः, विष्णु, शिवः, दानव, असुर, रामः, रावणः, अमर है। जाति: आदि।
(v) अहन और दिन ( नपुसंकलिंग) को छोड़कर समयवाचक शब्द पुल्लिंग होते. बधा दिवसः, कालः, प६:, मासः, वर्ष, समयः ।।
(vi) इकारान्त शब्द पुल्लिंग होते हैं; यथाकविः, मुनिः, अषिः, पति, कपिः, नृपति भूपतिः, चारिधिः, जलधिः, हरिः, व्याधि, गिरिः, निधिः । ।
(vii) पर्वतवाची शब्द पुल्लिंग होते हैं; यथा गिरिः, शैल, आदिः, पर्वतः आदि। (ix) यज्ञवाचक शब्द पुल्लिंग होते हैं; यथाअवरः, क्रतु, मख: आदि। (५) मासवाचक शब्द पुल्लिंग होते हैं; यथा चैत्र, वैशाख, जेष्ठ; आदि।
(viii) तत्सम अकारान्त शब्द प्रायः पुल्लिंग होते हैं; यथा जलः, पवनः, उपवनः, धर्म, मन, धन, गननः इत्यादि।
(xi) पर्वत, सागर, देश एवं महाद्वीपों के नाम पुल्लिंग में होते हैं, उदाहरणार्थ विद्यालयः, विंध्याचलः, सतपुड़ा, हिन्द महासागर:, चीनदेशः, जापानदेशः, भारत देशः, ईरान । देशः, अमेरिका देश; आदि।
(x) ग्रहों के नाम पुल्लिंग में होते हैं; उदाहरणार्थ सूर्य, चन्दः, बुध, शुक; इत्यादि।
स्त्रीलिंग
जिस शब्द से मादा (स्त्री) जाति का बोध होता है, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं; जैसे—लता, भाते, यमुना, गौरी, अजा, कनिष्ठा आदि। स्त्रीलिंग शब्दों को पहचानने हेतु नियम इस प्रकार
(i) इकारान्त शब्द स्त्रीलिंग होते हैं; उदाहरणार्थ देवी, नारी, गौरी, स्त्री आदि।
(ii) तिधिवाचक शब्द स्त्रीलिंग होते हैं; उदाहरणार्थ प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, पंचमी, त्रयोदशी, पूर्णिमा, सप्तमो आदि।
(iii) अकारान्त शब्द स्त्रोलिंग होते हैं। उदाहरणार्थ–मातृ (माता), स्वसू (बहन), दुहित (केन्या), ननान्दु (ननद)।।
(iv) समाहार, द्विगु समास युक्त अकारान्त शब्द स्त्रीलिंग होते हैं। उदाहरणार्थ त्रिलोकी, दिपुरी, अष्टपदो आदि। लेकिन युग पात्रम् आदि शब्द नपुंसकलिंग होते हैं।
(v) कितन् (ति) प्रत्यायान्त शब्द स्त्रीलिंग होते हैं। उदाहरणार्थ गतिः, बुद्धिः, मति:
आदि।
(vi) एकाक्षर ईकारान्त और ऊकारान्त शब्द स्त्रीलिंग होते हैं; उदाहरणार्थ- श्री:, भूः,
(vii) विंशति से लेकर नवतिः तक संख्यावाची शब्द स्त्रीलिंग होते हैं; उदाहरणार्थ विंशति, त्रिंशत्, चत्वारिंशत्, नवति।
(viii) तल् (ता) प्रत्ययान्त शब्द स्त्रीलिंग होते हैं; उदाहरणार्थ-लघुता, सुन्दरता, गुरुता।।
(ix) टाप् (आ) और आप् (आ) प्रत्ययान्त शब्द स्त्रीलिंग के होते हैं; जैसे—लता, रमा, शोभा, विद्या।
(X) नदियों के नाम प्रायः स्त्रीलिंग होते हैं; उदाहरणार्थ-यमुना, गंगा, घाघरा, रावी, नर्मदा, कावेरी आदि।
(Xi) झीलों के नाम प्रायः स्त्रीलिंग होते हैं; उदाहरणार्थ—सांझर झील, डल झील आदि।
(Xii) भाषाओं के नाम प्रायः स्त्रीलिंग होते हैं; उदाहरणार्थ-हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, पुर्तगाली, राजस्थानी, मराठी, गुजराती, फारसी आदि।
(xiii) तत्सम इकारान्त संज्ञाएँ प्रायः स्त्रीलिंग होती हैं; उदारहणार्थ–रीति, नीति, शान्ति, भक्ति, जाति, हानि, समिति, कीर्ति आदि। (परन्तु कवि, अतिथि एवं रवि अपवाद)।
(xiv) जिन शब्दों के अन्त में इया, ई, आहट, आस आदि प्रत्यय लगाते हैं, वे शब्द प्रायः स्त्रीलिंग होते हैं; उदाहरणार्थ-डिबिया, कुटिया, खटिया, बनावट, सजावट, लिखावट, थकावट, बुराई, कठिनाई, खठास, मिठास, प्यास आदि।
(Xv) कुछ शब्द सदा स्त्रीलिंग में होते हैं; उदाहरणार्थ—सती, सौत, सुहागन, अग्नि, संतान, राशि, पुस्तक आदि।
नपुंसकलिंग
ऐसे शब्द जो न तो नर एवं न ही मादा का बोध कराते हैं, उन्हें नपुसंकलिंग शब्द कहा जाता है; उदाहरणार्थ-जलम्, फलम्, नगरम्, पुस्तकम्, हलम्, आम्रम्, नगरम् आदि। नपुंसकलिंग शब्दों को पहचानने के कुछ नियम इस प्रकार हैं
(i) भाववाचक में प्रत्ययान्त शब्द नपुंसकलिंग होते हैं; उदाहरणार्थ-जीवितम्, हसितम्, पठितम्, गीतम्।।
(ii) समाहार द्वन्द्व समासवाचक नपुंसकलिंग होते हैं; उदाहरणार्थ—पाणिपादम्, हस्त्यश्वम् आदि।
(iii) भाववाचक संज्ञा बनाने वोल ल्युट् (यु अन) प्रत्ययान्त शब्द नपुंसकलिंग होते हैं; जैसे—भोजनम्, शयनम्, गमनम्, जगनम् आदि।
(iv) तद्धित् के तत्व और ष्यत्र (य) प्रत्ययान्त शब्द नपुंसकलिंग होते हैं; उदाहरणार्थमधुरत्वम्, सौन्दर्यम्, माधुर्यम् आदि।।
(v) भाववाच्य में कृत्य (तव्यत्, अनीयर्, ण्यत्, यत्) प्रत्यययान्त शब्द नपुंसकलिंग होते हैं; जैसे—भवितव्यम्, भाव्यम्, भवनीयम् आदि।
(vi) अव्ययीभाव, समासवाचक शब्द नपुंसकलिंग होते हैं; उदाहरणार्थ-प्रतिदिनम्, यथाशक्ति, निर्मक्षिकम्। | (vii) क्रिया-विशेषण शब्द नपुंसकलिंग होते हैं; उदाहरणार्थ–मधुरम्, ध्रुवम्, शीघ्रतम, | दूरम्, अधिकम् आदि।
(viii) अस्, इस्, उस्, उन् में अन्त होने वाले शब्द प्रायः नपुसंकलिंग होते हैं; उदाहरणार्थ-मनस्, चेतस्, धनुष, अहस्, चर्मन्, नामन्, कर्मन् आदि।