DElEd 1st Semester Sanskrit Short Question Answer Paper Set

प्रश्न 16. निम्नलिखित वाक्यों का संस्कृत से हिन्दी में अनुवाद कीजिए (बी.टी.सी. 2016)
(अ) अहं पुस्तक पठामि।
(ब) तं प्रति दयां कुरु।।
(स) शिशुः प्रकृत्या सरलः भवति।
(द) गुरवे नमः।
उत्तर—(अ) मैं पुस्तक पढ़ता हूँ। ।
(ब) उस पर प्रतिदिन दया करो।
(स) शिशु प्रकृति से सरल होता है।
(द) गुरु को नमस्कार।
प्रश्न 17. निम्नलिखित वाक्यों का हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद कीजिए (बी.टी.सी. 2015)
(अ) वे पुस्तक पढ़ते हैं। (ब) तुम सब मन्दिर जाते हो।
(स) वे सब विद्यालय गये।
(द) हम सब वहाँ देख रहे हैं।
उत्तर—(अ) ते पुस्तकम् पठन्ति ।
(ब) यूयम् मन्दिरम् गच्छथ।
(स) ते विद्यालयम् अगच्छन।
(द) वयम् तम् पश्यामः
प्रश्न 18. निम्नलिखित नीतिपरक वाक्यों को हिन्दी में लिखिए।
उत्तर
- “महियांस: प्रकृत्या मितभाषिणः।”
अर्थ—सज्जन लोग स्वभाव से ही मधुरभाषी होते हैं।
- “ज्ञानं–भारं क्रियां बिना।”
अर्थ–उपयोग में न आने वाला ज्ञान भार की भाँति होता है।
- “कर्तव्यं हि सतां वचः।”
अर्थ—सज्जन पुरुषों की बात को मानना चाहिए।
- “हितं मनोहारि च दुर्लभं वचः।”
अर्थ – हितकारी तथा प्रिय लगने वाली बात एक साथ सम्भव नहीं होती है।
- “यत्र नार्यस्तु पूजन्ते रमन्ते तत्र देवता।”
अर्थ-नारियों की जाँ पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते हैं।
- “विद्या धर्मेण शोभते।”
अर्थ-विद्या धर्म से ही शोभा देती है।
- “परोपकाराय सतां विभूतयः।”
अर्थ—सज्जनों की सम्पदा परोपकार हेतु होती है।
- ‘न्यायात् पथं विचलन्ति पदं न धीराः।”
अर्थ—सज्जन पुरुष न्याय के मार्ग से विचलित नहीं होते हैं।
(ix) ‘त्याज्यं न धैर्यं विधुरऽपि काले।” अर्थ-विपत्ति में भी धैर्य का त्याग नहीं करना चाहिए। (५) “पदं हि सर्वत्र गुणैनिधीयते ।। अर्थ-गुण स्वयं अपना सम्मानजनक स्थान बना लेते हैं।