DElEd 1st Semester Sanskrit Short Question Answer Sample Paper

प्रश्न 19.. भारत वन्दना के किसी एक अनुच्छेद का हिन्दी अनुवाद कीजिए।
उत्तर – भारत वन्दना
मातृभूमे! नमो मातृभूमे! नमः
मातृभूमे! नमो मातृभूमे! नमः ॥
भावार्थ – हे मातृभूमि ! तुम्हें नमस्कार है। हे मातृभूमि ! तुम्हें नमस्कार है।
तव गिरिभ्यो नमस्ते नदीभ्यो नमः।
तव वनेभ्यो नमो जनपदेभ्यो नमः ।।
भावार्थ – हे मातृभूमि ! तेरे पर्वतों को नमस्कार है, तेरी नदियों को नमस्कार है। तेरे वनों को नमस्कार है और तेरे जनपदों (प्रान्तों) को नमस्कार है।
तव कणेभ्यो नमस्ते अणुभ्यो नमः ।
मातृभूमे! नमो मातृभूमे! नमः।
भावार्थ—हे मातृभूमि ! तेरे कणों को नमस्कार है, तेरे अणुओं को नमस्कार है। हे मातृभूमि! तुम्हें नमस्कार है। हे मातृभूमि ! तुम्हें नमस्कार है।
प्रश्न 20. श्रीमद्भगवगीता’ के कुछ नीतिपरक श्लोकों का हिन्दी अनुवाद लिखिए।
उत्तर–(i)
यदा यदा दि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
हिन्दी अनुवाद–हे भारत ! जब-जब धर्म की हानि एवं अधर्म की वृद्धि होती है, तबतब मैं अपने आपको प्रकट करता हूँ। अर्थात् साकार रूप में अवतरित होता हूँ।।
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।।
मा कर्मफलहेतुभूः मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ 2।।
हिन्दी अनुवाद – हे अर्जुन! कर्म में ही तुम्हारा अधिकार है, फल में कभी नहीं इसलिए तुम कर्म फल के लिए मत बनो और कर्म न करने में तुम्हारी आसक्ति भी न हो।
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ।। 3 ।।
हिन्दी अनवाद – इसको ( आत्मा को) न तो शस्त्र काट सकते हैं । और न इसे अग्नि जला सकती है, न जल इसे गीला किया जा सकता है (और) न वाय इसको सखा सकती है। अर्थात् यह (आत्मा) सदा विकार रहित स्थिति में रहती है।
प्रश्न 21. नीतिपरक श्लोक का अर्थ लिखिए। (बी.टी.सी. 2015)
रूप यौवन-सम्पन विशाल-कुल-सम्भवाः
विद्या-हीना न शोभन्ते निर्गन्धा इव किंशुकाः
उत्तर—मानव चाहे कितना भी रूप यौवन से परिपूर्ण हो, चाहे उसने कितने भी बड़े कुल में जन्म लिया है। यदि वह विद्या रूपी धन से वंचित है तो उसकी वही स्थिति होती है। जैसे बिना सुगन्ध के टेसू के फूल की होती है।