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DElEd 1st Semester Science 3rd 4th Science Short Question Answer Paper

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प्रश्न 32. श्वसन क्या है ? इसके प्रकारों को बताइए।

उत्तर- जीवों की कोशिकाओं के अन्दर जैविक ऑक्सीकरण द्वारा कार्बनिक पदार्थों के । क्रमिक अपघटन से चरणबद्ध क्रम में ऊर्जा मुक्त करने की प्रक्रिया को श्वसन कहा जाता है।

श्वसन के प्रकार (Types of Respiration)-श्वसन दो प्रकार का होता है| (i) ऑक्सी-श्वसन (Aerobic Respiration)- जिस समय श्वसन स्वतन्त्र ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है, तो इसे ऑक्सी-श्वसन कहते हैं और ऐसी क्रिया करने वाले पौधों व जीवों को ऑक्सीजीवी (aerobes) कहते हैं । इस क्रिया में खाद्य पदार्थों का । पूर्ण ऑक्सीकरण हो जाता है, जिसके फलस्वरूप CO), H,0 व ऊर्जा प्राप्त होती है।

(ii) अनॉक्सी श्वसन (Anaerobic Respiration)-जब श्वसन ऑक्सीजन की । अनुपस्थिति में होता है, इसी कारण इसे अनॉक्सी श्वसन कहते हैं और इस प्रकार के श्वसन । करने वाले जीवों को अनॉक्सी जीव कहते हैं। इस क्रिया में खाद्य पदार्थों का अपूर्ण । ऑक्सीकरण होता है जिसके फलस्वरूप एथिल ऐल्कोहॉल (C,HOH), CO, तथा ऊर्जा प्राप्त होती है।

प्रश्न 33. गति किसे कहते हैं ? गति के प्रकार बताइए।

उत्तर- समय के साथ वस्तु की स्थिति में परिवर्तन को वस्तु की गति कहा जाता है। मुख्यतः गति को तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है।

  • स्थानान्तरीय गति (Translatory motion)-जब कोई वस्तु एक सीधी रेखा में गति करती है तो ऐसी गति को स्थानान्तरीय गति कहते हैं। स्थानान्तरीय गति को रेखीय गति भी कहा जाता है। जैसे-सीधी पटरियों पर चलती रेलगाडी स्थानान्तरीय गति में मूल बिन्दु से दायीं ओर की दूरी को धनात्मक एवं बायीं ओर की दूरी को ऋणात्मक रूप में व्यक्त किया जाता है।

(ii) घूर्णन गति (Rotatory motion)- जब कोई पिण्ड किसी अक्ष से परित; घुमता है तो ऐसी गति को घूर्णन गति कहा जाता है। जैसे—पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना, घूर्णन गति का प्रमुख उदाहरण है।

(iii) कम्पनीय गति (Vibratory motion)-जब कोई वस्तु निश्चित बिन्दु के इधरउधर गति करती है तो इसे कम्पनीय गति कहा जाता है। जैसे घड़ी के लोलक का अपनी मध्यमान स्थिति के दोनों ओर दोलन करना।

प्रश्न 34. द्रव्य क्या है ? द्रव्य की कितनी अवस्थाएँ होती हैं ? वर्णन कीजिए।

उत्तर-ऐसी कोई भी वस्तु जो स्थान घेरती है तथा जिसमें भार होता है, द्रव्य (Matter) कहलाती है। जैसे- लकड़ी, लोहा, हवा, पानी, दूध आदि। ये वस्तुएँ स्थान घेरती हैं एवं इनमें भार होता है, फिर भी इनके गुणों में कई प्रकार की असमानताएँ होती हैं। जैसे-लोहा, लकड़ी आदि पदार्थों से बनी वस्तु का आकार और आयतन निश्चित होता है। पानी, दूध आदि का आयतन तो निश्चित होता है परन्तु आकार निश्चित नहीं होता तथा जिस बर्तन में ये डाले जाते हैं उसी का आकार ग्रहण कर लेते हैं। वायु, ऑक्सीजन आदि गैसों का आकार एवं आयतन दोनों ही अनिश्चित होता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि द्रव्य की भिन्न-भिन्न अवस्थाएँ होती हैं।

सामान्यत: द्रव्य को इसके गुणों के आधार पर तीन अवस्थाओं में बाँटा जा सकता है। ये निम्नलिखित हैं—(1) ठोस, (2) द्रव तथा (3) गैस। ठोसों का अपना आयतन एवं आकार दोनों निश्चित होता है। द्रव का आयतन तो निश्चित होता है, परन्तु आकार अनिश्चित होता हैं जबकि गैसों का न तो कोई आकार होता है और न ही आयतन निश्चित होता है। द्रव्य को न तो उत्पादित किया जा सकता है तथा न ही इसे नष्ट किया जा सकता है। इसे केवल विभिन्न अवस्थाओं में ही परिवर्तित किया जा सकता है।

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