DElEd 1st Semester Science 3rd 4th Science Short Question Answer Paper
प्रश्न 64. घूर्णन गति किसे कहते हैं ?
उत्तर- जब कोई वस्तु अक्ष के चारों ओर घूमती है तो उस लट्ट घर्णन गति कर रहा है। घूर्णन गति में सम्पूर्ण वस्तु एक स्थल स्थानान्तरित नहीं होती बल्कि वह अपने धुरी के चारों ओर निरन्तर घूमती है। वाला कुम्हार का चाक, घूमती हुई फिरकी, पंखे एवं अपने अक्ष (धी साइकिल का पहिया घूर्णन गति के ज्वलन्त उदाहरण हैं।
प्रश्न 65. वाष्प तथा गैस में क्या अन्तर है? लिखिए।
उत्तरवाष्पीकरण और संघनन विधि द्वारा शुद्ध जल को प्राप्त किया जाता है. द्रव का गैसीय अवस्था में बदल जाना वाष्पन कहलाता है।
गैस पदार्थों के अणु बहुत दूर-दूर होते हैं तथा इनकी आकृति भी निश्चित नहीं हो ये जिस बर्तन में रखे जाते हैं उसी का आकार ग्रहण कर लेते हैं।
प्रश्न 66. ठोस, द्रव एवं गैस की आण्विक संरचना का वर्णन कीजिए।
उत्तर- ठोस, द्रव एवं गैस की आण्विक संरचना
वे समस्त वस्तुएँ जिनका द्रव्यमान होता है जो स्थान घेरती हैं वे पदार्थ कहलाती हैं। पदार्थ की अवस्थाएँ प्रमुखत: तीन मानी जाती हैं
(i) ठोस, (ii) द्रव, (iii) गैस।
(i) ठोस की संरचना–ठोस पदार्थों में अणु एक-दूसरे के बहुत पास-पास होते हैं इस कारण इन कणों में परस्पर आकर्षण बल अत्यधिक पाया जाता है। इनके अणुओं में रिक्त स्थान बहुत कम होता है। ठोस पदार्थों के कण अपने स्थल पर लगभग स्थिर रहते हैं। अणुओं में परस्पर आकर्षण बल के कारण इनकी आकृति तथा आयतन निश्चित होता है।
(ii) द्रव की संरचना-द्रवों के अणु ठोस पदार्थों की तुलना में कुछ दूर-दूर होते हैं। इनके कणों में परस्पर आकर्षण बल भी ठोस पदार्थों की तुलना में कम होता है। यह पदार्थ जिस भी बर्तन में डाले जाते हैं उसकी आकृति ग्रहण कर लेते हैं।
(iii) गैसों की संरचना-गैसीय पदार्थों में अणु बहुत दूर-दूर होते हैं। इन अणुओं के बीच अपकर्षण बल नगण्य होता है। अत: इनकी आकृति और आयतन दोनों ही अनिश्चित होते हैं।
प्रश्न 67.सिद्ध कीजिए कि पदार्थ के कणों के बीच रिक्त स्थान होता है। (बी.टी.सी. 2015 II)
उत्तर- जब किसी द्रव में चीनी घोलते हैं तो द्रव के कणों के बीच चीनी के कण| समाहित हो जाते हैं, परन्तु द्रव का आयतन नहीं बढ़ता है। अतः पदार्थ के कणों के बीच रिक्त स्थान पाया जाता है। इसी कारण द्रव का आयतन नहीं बढ़ता है।
प्रश्न 68. संवेग-संरक्षण का नियम लिखिए। (डी.एल.एड. 2018)
उत्तर–संवेग-संरक्षण का नियम–पिण्डों के किसी बन्द निकाय पर कोई बाह्य बल न लगाया जाए तो उस निकाय का कुल संवेग नियत बना रहता है। नियम यह है कि वस्तुओं के किसी भी निकाय का द्रव्यमान केन्द्र एक नियत वेग से चलता रहेगा जब तक उस पर कोई बाह्य बल न लगाया जाए।
यहाँ पर mu = mv
m→ संहित, u → प्रारम्भिक वेग, v → अन्तिम वेग
संवेग की एक महत्वपूर्ण बात यह है कि यह सभी स्थितियोमें संरक्षित रहता है। यहाँ तक कि संघटों (Collisions) में और विस्फोट बलों के कारण होने वाली गति की दशा में भी। जबकि गतिज ऊर्जा संघटन की दसा में संरक्षित नहीं होती है।
vvvvvvvvvvvvvvvv