DElEd 1st Semester Science 3rd 4th Science Short Question Answer Paper
प्रश्न 13. तने के किन्हीं दो रूपान्तरणों का वर्णन कीजिए। उत्तर—(1) अर्द्धवायवीय रूपान्तरण (Sub-aerial modification)
(अ) भूस्तारी (Stolon)-इसमें शाखाएँ छोटी एवं तने संघनित होकर समस्त दिशाओं में निकलते हैं। कुछ समय वृद्धि करने के बाद उनके आगे के सिरे ऊपर की ओर निकलते हैं; जैसे–फ्रेगेरिया (Fragaria) ।।
(ब) भूस्तारिका (Offset)- यह सामान्यत: जलीय पौधे होते हैं। इनका तना छोटा व भंजनशील (fragile) उपरिभूस्तारी है; जैसे–पिस्टिया (Pistia) ।
(स) अन्तःभूस्तारी (Sucker)- इसमें मुख्य तना जमीन के अन्दर रहता है परन्तु शाखाएँ भूमि के ऊपर पर्व सन्धियों से निकल आती हैं; जैसे–पोदीना (Mint) ।
(द) उपरिभूस्तारी (Runner)- ध्वज तने लम्बे होकर भूमि की सतह पर फैल जाते हैं और पर्व सन्धियों पर से जड़े निकलती हैं तथा ऊपर की ओर पत्ती निकलती है, उपरिभूस्तारी कहलाते हैं; जैसे—दूबघास (Cynodon datylon) ।।
(2) भूमिगत रूपान्तरण (Underground modifications)-इस प्रकार का रूपान्तरण प्रायः भोजन संचयन या वर्षी प्रजनन हेतु उपयोगी होता है।
(अ) प्रकन्द (Rhizome)—यह शयान, मांसल और भूमि के अन्दर क्षैतिज (horizontal) अवस्था में प्राप्त होती है। इसमें छोटे-छोटे पर्व होते हैं जो शल्क पत्र (Scale leaves) से ढकी रहती हैं; जैसे—अदरक।।
(ब) शल्ककन्द (Bulb)- इसमें तना लेन्स की भाँति समान होता है जिसके चारों ओर मांसल शल्क पत्र (freshy Scaly leaves) होते हैं। तना अति ‘संघनित होकर नीचे की ओर बढ़ता है, जिस पर बहुत-सी जड़े निकल आती हैं; जैसे-प्याज।
(स) ट्यूबर (Tuber)-ट्यूबर अधिकतर भूमि के अन्दर पाया जाता है। इनमें आँख (eve) मिलती है जो वास्तव में कक्षस्थ कलिका होती है। प्रत्येक आँख शल्क पत्र से ढकी। रहती है; जैसे—आलू।।
(द) घनकन्द (Corm)-घनकन्द संघनित भूमिगत तना है। यह भूमि में ऊध्र्वाधर (Vertical) वृद्धि करता है; जैसे—अरबी, क्रोकस आदि।
प्रश्न 14. पत्तियों के रूपान्तरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर–पत्तियों का रूपान्तरण-जव पत्ती के स्थान पर कोई अन्य संरचना बनती हैं। | तो उसे पत्ती का रूपान्तरण कहा जाता है। ये संरचनाएँ निम्न प्रकार की हो सकती हैं; जैसे
- पर्ण घट (Leal pitcher)-इसमें पूरी पत्ती या फलक का कुछ भाग घड़े के समान आकृति में परिवर्तित हो जाता है; जैसे–नेपेन्थीस (Nu/11/i3) तथा डाइस्कीडिया (Disclhidia) आदि में।
- पर्णाभवृन्त (Phyllode) इसमें पर्णवन्त चपटा होकर फलक का कार्य करने लगता है जैसे बबूल।
- पत्ती का प्रतान (Leaf tendril)-इसमें सम्पूर्ण पत्ती प्रतान में रूपान्तरित हो जाती है; जैसे—स्वीट पी।
- पर्ण शल्क (Leaf scale)-इसमें पत्ती शल्क के जैसी पतली झिल्लीनमा होती। हैं; जैसे—रस्कस।।
- पत्रक प्रतान (Leaflet tendril)संयुक्त पत्ती के पत्रक प्रतान में परिवर्तित हो जाते हैं तो वह पत्रक प्रतान कहलाता है, जैसे—मटर।
- पर्ण थैली (Leaf bladder)- कुछ पौधे, जैसे यूट्रिकुलेरिया आदि में पत्ती थैलीनुमा संरचना में रूपान्तरित हो जाती है। ।
- पर्ण शूल (Leaf spine)-इसमें पत्ती की संरचना के स्थान पर शूल बनता है; जैसे—बरबेरी।।
प्रश्न 15. अलैंगिक जनन की पाँच विधियों/प्रकारों के नाम लिखिए।
अथवा (बी.टी.सी. 2015-II)
मुकुलन से क्या आशय है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। (डी.एल.एड. 2018)
उत्तर – अलैंगिक जनन की विधियाँ
(1) विखण्डन– जब जीव पूर्ण विकसित होता है तो दो भागों में बँट जाता है, इसे विखण्डन कहते हैं। पहले केन्द्रक विभाजित होता है तत्पश्चात् कोशिकाद्रव्य । विखण्डन से जब दो जीव बनते हैं तो उस विधि को द्विखण्डन विधि कहा जाता है।
(2) मुकुलन–शरीर पर एक बल्ब की भाँति की संरचना बनती है जिसे मुकलन कहा जाता है। शरीर का केन्द्रक दो भागों में विभाजित हो जाता है और उसमें से एक केन्द्रक मुकुल में आ जाता है। मुकुल पैतृक जीव से अलग होकर वृद्धि करता है और पूर्ण जीव में बदलता है।
(3) खण्डन स्पाइरोगायरा जैसे कुछ जीव पूर्व विकसित होने के पश्चात् साधारणतया दो या अधिक टकड़ों में टूट जाते हैं। ये खण्ड वृद्धि करके पूर्ण विकसित जीव बन जाते हैं।
(4) बीजाणुओं द्वारा कुछ जीवाणु एवं निम्नवर्गीय जीव विषाणु विधि द्वारा भी जनन करते हैं। बीजाणु कोशिका की विरामी अवस्था है जिसमें प्रतिकूल परिस्थिति में कोशिका की रक्षा हेतु एक मोटी भित्ति बन जाती है।
कायिक प्रवर्धन – जब किसी कायिक अंग से प्रवर्धन हो जाता है तो से कायिक प्रवर्धन कहते हैं: कहते हैं जैसे- माली गुलाब की एक टहनी गाड़ कदेता है और उससे गुलाब का पौधा बन जाता है।