DElEd Semester 1 Social Studies Samajik Adhyan Short Question Answers in Hindi
प्रश्न 4. प्रति व्यक्ति आय से क्या तात्पर्य है? इसके कारण बताइए।
उत्तर – प्रति व्यक्ति आय – किसी राष्ट्र की राष्ट्रीय आय को उसकी कुल जनसंख्या से भाग देने पर प्रति व्यक्ति आय ज्ञात हो जाती है। इसे प्रति व्यक्ति औसत आय भी कहा जाता है।
भारत में प्रति व्यत्कि आय कम होने के कारण
भारत में प्रति व्यक्ति आय कम होने के प्रमुख कारण अग्रलिखित हैं-
- कृषि की प्रधानता एवं कृषि का पिछड़ा होना – भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान है। देश की लगभग 58.2% जनसंख्या कृ षि एवं कृषि से सम्बन्धित कार्य में संलग्न है, जबकि भारति की राष्ट्री आय में कृषि का योगदान 18% तक ही है। फिर आज भी भारतीय कृषि पिछड़ी दशा में है। साथ ही कृषक रूढ़िवादी एवं भाग्यवादी है। अत: कृषि उत्पादन कम हैं तथा प्रति व्यक्ति आय भी निम्न है।
- औद्दोगिक पिछड़ापन –यद्दपि पंचवर्षीय योजनाओं के अन्तर्गत पर्याप्त बहुत पीछे है। इसके फलस्वरूप प्रति व्यक्ति आय का स्तर नीचा है।
- जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि – हमारे देश की जनसंख्या लगभग 120.8 करोड़ है और उसमें तीव्र गति से वृद्धि हो रही है। जनाधिक्य के कारण भी प्रति व्यक्ति आय निम्न रहती है।
प्रश्न 5. नगर पंचायत का गठन कब हुआ? इसके कार्यों को बताइए।
उत्तर – नगरीय स्वायत्त शासन विधि (संशोधन) अधिनियम, 1994 के अनुसार उत्तर देश में तीस हजार से एक लाख की जनसंख्या वाले क्षेत्रों को संक्रमणशील क्षेत्र घोषइत किया जाएगा तथा ऐसे प्रत्येक क्षेत्र हेतु एक नगर पंचायत होगी।
संक्रमणशील क्षेत्र – संक्रमणशील क्षेत्र से आशय ऐसे क्षेत्र से है जो ग्रामीण क्षेत्र से नगर बनने की ओर अग्रसर है। उत्तराखण्ड राज्य के जिलों में 15 हजार से अधिक जनसंख्या वाले स्थानों पर भी नगर पंचायत की स्थापना की जा सकती है।
नगर पंचायत का गठन
प्रत्येक नगर पंचायत में एक अध्यक्ष एवं तीन अग्रलिखित प्रकार के सदस्य होगे-
- निर्वाचित सदस्य – नगर पंचायत में निर्वाचित सदस्यों की संख्या कम से कम 10 एवं अधिकतम 24 होगी। नगर पंचायत के सदस्यों की राज्य सरकार द्वारा निश्चित की जाएगी तथा यह संख्या सरकारी गजट में अधिसूचना द्वारा प्रकाशित की जाएगी।
- पदेन सदस्य – (अ) लोकसभा एवं विधानसभा के ऐसे सदस्य, जो उन निर्वान क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनमें पूर्णत: अथवा अंशत: वे नगर पंचायत क्षेत्र सम्मिलित हैं। (ब) राज्य सभा एवं परिषद् के ऐसे सदस्य जो उस नगर पंचायत के क्षेत्र के अन्तर्गत पंजीकृत है।
नगर पंचायत के कार्य
नगर पंचायत अपने क्षेत्र में वे समस्त कार्य करती है, जो कार्य नगरपालिका परिषद् द्वार अपने क्षेत्र में किये जाते है। नगर पंचायत के प्रमुख् कार्य इस प्रकार से हैं – सार्वजिनिक सड़कों, स्थानों व नालियाँ की सफाई तथा रोशनी का प्रबन्ध, पर्यावरण की रक्षा, समाज के कमजोर व्यक्तियों के हितों की रक्षा, पार्क एवं स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था, जन्म तथा मृत्यु का पंजीयन, प्रसूति केन्द्रों तथा शिशु –गृहों की व्यवस्था, पशु चिकित्सालयों तथा प्राथमिक स्कूलों की व्यवस्था, अग्नि- शमन की व्यवस्था तथा कानून द्वारा सौंपे गये और अन्य समस्त दायित्वों की पूर्ति।
प्रश्न 6. नगर निगम का गठन तथा कार्य बताइए।
उत्तर – नगर निगम का गठन – जिन नगरों को महानगरों का दर्जा जाता है वहाँ नगर निगम गठन होता है। सन्पूर्ण महानगर को जनसंख्या के अनुपात में वार्डों में विभक्त कर दिया जाता है। प्रत्येक वार्ड से एक सदस्य (सभासद) का चयन किया जाता है। अनुसूचित जनजातियों को भी जनसंख्या के आधार पर आरक्षण प्रदान किया जाता है। इसके अलावा लोकसभा तथा राज्य विधान सभा के वे सदस्य जो नगर निगम की सीमा में आंशिक या पूर्ण रूप से आते है, वे भी नगर निगम के पदेन सदस्य होते है। राज्य विधान सभा के सदस्य अपने स्थान पर विधिवत् योग्यता वाले अपने प्रतिनिधियों को सदस्यता हेतु अधिकृत कर सकते हैं।
नगर निगम के कार्य – नगर निगम के प्रमुख कार्य दो प्रकार के होते हैं-
- अनिवार्य कार्य,
- ऐच्छिक कार्य,
1. अनिवार्य कार्य –
- नगर निगम का प्रमुख कार्य प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था करना है। नगर निगम प्राथमिक तथा उच्च प्राथमिक विद्दालयों की स्थापना कर शिक्षा की व्यवस्था करता है।
- नगर निगम का तीसरा तथा सबसे प्रमुख कार्य जन स्वास्थ की रक्षा हेतु चिकित्सकों एवं चिकित्सालयों का प्रबन्ध करना है। नगर में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति करना भी नगर निगम का कार्य है। संक्रामक रोगों की रोकथाम हेतु हैजा, प्लेग, चेचक, पोलियों आदि के टीकारण का प्रबन्ध नगर निगम करती है।
- पागल कुत्तों तथा आवारा पशुओं को पकड़कर इन्हें जंगलों दि में छोड़ने का कार्य नगर निगम करती है। जर्जर भवनों को गिराना और सड़कों की मरम्मत का कार्य भी नगर निगम द्वारा कराया जाता है।
जन्म- मृत्यु का पंजीकरण भी नगर निगम में किया जाता है।
2. ऐच्छिक कार्य –
- पुस्तुकालयों, वाचनालयों, पार्कों, अजायबघरों एवं धर्मशालाओं आदि का प्रबन्ध करना नगर निगम के ऐच्छिक कार्यों में आता है।
- मेलों एवं प्रदर्शनियों का आयोजन करना।
- सड़कों के किनारे वृक्षारोपण करना।