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DElEd Semester 1 Social Studies Samajik Adhyan Short Question Answers in Hindi

DElEd Semester 1 Social Studies Samajik Adhyan Short Question Answers

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DElEd Semester 1 Social Studies Samajik Adhyan Short Question Answers in Hindi

प्रश्न 7. वेद कितने प्रकार के होते हैं? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – वेदों की संख्या चार है-

1. ऋग्वेद – यह प्राचीनतम वेद है, इसमें 10 मण्डल वं 1,028 सूक्त हैं। इसकी भाषा पद्दात्मक है। इसमें गायत्री मन्त्र का उल्लेख है, जो सूर्य से सम्बन्धित देवी सावित्री को सम्बोधित है।

2. यजुर्वेद – यह एकमात्र ऐसा वेद है, जिसकी रचना पद्द एवं गद्द दोनों की की गई है। यह मूल रूप से कर्मकाण्ड प्रधान ग्रन्थ है।

3. सामवेद – इसमें संकलित मन्त्रों को यत्र के अवसर पर देवताओं की स्तुति हेतु गाया जाता था, इसे भारतीय संगीत का मूल कहा जाता है। सामन् का वास्तविक अर्थ गान है। ऋग्वेद के मन्त्र जब विशिष्ट गान पद्धति से गाये जाते हैं तो उनकों साम्न (साम) कहा जाता है।

सामगान की एक सहस्त्र पद्धतियाँ थीं, 13 शाखाकारों के नाम उपलब्ध होने के कारण 13 शाखाओं का अनुमान लगाया जाता है। लेकिन इन 13 में से भी केवल 3 शाखाओं सम्प्रति उपलब्ध हैं- 1. राणायनीय, 2 कौथुमीय, 3 जैमिनीय या तवलकार। सावेद की पूरी मन्त्र संख्या 1,875 है। इसमें ऋग्वेद के मन्त्रों की संख्या 1,771 है। इस प्रकार केवल 104 मन्त्र सामवेद में नवीन हैं।

4. अर्थर्ववेद- अथर्ववेद का ऋत्विक ब्रह्रा होता है। इस वेद का नाम अथर्वण ऋषि के नाम पर पड़ा। सोम इसके प्रमुख देवता हैं तथा आचार्य सुमन्तु हैं। इसमें ब्रह्रा ज्ञान, औषधि प्रयोग, रोग निवारण, जन्त्र- तन्त्र, टोना – टोटका आदि का विस्तृत वर्णन है।

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प्रश्न 8. उपनिषद् का अर्थ समजाइए तथा उनकी संखाओं की वर्णन कीजिए। उत्तर – उपनिषद् का अर्थ (Meaning of Upanishad) – उपनिषद् शब्द में उप एवं नि उपसर्ग है और सद् मूल धातु है। सद् धातु के तीन अर्थ है- पहला अर्थ है नाश, दूसरा अर्थ है गति या प्राप्ति और तीसरा अर्थ हैं अवसाद अथवा अन्त। इस दृषटि से उपनिषद् का उ, ज्ञान से लिया जाता है, जिसमें अविद्दा अथवा अज्ञान का नाश होता है, आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है और दु:ख का अन्त होता है।

मैक्समूलर ने सद् धातु में नि उपसर्ग लगाकर (जैसे निषीदति) निषद का अभिप्राय बैठना लगाया है और उप का अर्थ निकट होता है। अत: उपनिषद् का अर्थ निकट बैठना बताया गया है। मैक्समूलर ने उपनिषद् की भूमिका में लिखा है- संस्कृत भाषा के इतिहास एवं संस्कृति के अनुसार यह निश्चित ही हैं कि उपनिषद् का प्रारभिक अर्थ एक ऐसी गोष्ठी से था जिसमें शिष्य गुरू के चारं ओर आदर और श्रद्धा के साथ एकत्रित होते थे।

डॉ. राधाकृष्णन के अनुसार इस शब्द का अर्थ उस ज्ञान से है जो भ्रम को नष्ट कर यथार्थ ज्ञान की ओर ले जाता है। उपनिषद् शब्द का प्रयोग इसी कारण से अत्यन्त रहस्य के अर्थों में बी ल्या जाता है। उपनिषदों में अविद्दा को नष्ट करने के उपाय तथा परब्रह्रा के स्वरूप के विषय में भी उल्लेख किया गया है।

उपनिषदों की संख्या – उपनिषदों की संख्या प्राय: 100 से ऊपर ही है, परन्तु उनमें 14 उपनिषद् प्राचीन तथा प्राथमिक हैं। ये उपनिषद् अपना पृथक् अस्तित्व रखते हैं। ये 14 उपनिषद् किसी एक काल की रना नहीं हैं और न किसी क व्यक्ति द्वारा लिखित है। स प्रकार उपनिषद् एक निश्चिच काल की रचना नहीं है और न किसी एक व्यक्ति द्वारा रचित ग्रान्थि है। समें किसी एक निश्चित र किसी एक सम्प्रदाय का सिद्धान्त या दर्शन नहीं पाया जाता है।

प्रश्न 9. ज्वार – भाटा किसे कहते हैं?

उत्तर – ज्वार भाटा – ज्वारा- भाटा वह स्थिती है जिसमें सूर्य तथा चन्द्रमा की गुरूत्वाकर्षण की शक्ति के प्रभाव से प्रतिदिन समुद्र तल ऊपर उठता एवं नीचे गिरता है। पानी के ऊपर तथा नीचे गिरने की क्रिया को ही ज्वार भाटा कहा जाता है।

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