प्रश्न 26. इतिहास का क्या अर्थ है? परिभाषा द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – इतिहास का शाब्दिक अर्थ (Meaning of History) – History शब्द की उत्पत्ति लैटिन तथा ग्रीक शब्द Historia से मानी जाती है जिसका अभिप्राय है- जानना (Knowing) । भारतीय परम्परा के अनुसार इतिहास शब्द का अर्थ है- ऐसा ही हुआ। इस शाब्दिक अर्थ द्वारा अतीत की घटनाओं की ओर संकेत दिया जाता है। इतिहास शब्द के अलावा हमारे देश में तवारीख शब्द और प्रचलित है। परन्तु यह शब्द इतिहास के वास्तविक अर्थ क बोध कराने में असफल है, क्योंकि तवारीख शब्द तारीख का बहुवचन है। इतिहास केवल तिथियों अथवा तारीखों का ही संग्रह मात्र नहीं है वरन इनसे अधिक है।
इतिहास की परिभाषा (Definition of History) – इतिहास की विभिन्न परिभाषाएँ उनकी व्याख्याओं सहित नीचे दी जा रही हैं-
इतिहास शब्द का दो अर्थों में प्रयोग – इस शब्द का घटनाओं का संकलन एवं स्वयं एक घटना के रूप में प्रयोग किया गया है। इतिहास के निर्माण के लिए घटना का होना आवश्यक है। जब इतिहास स्वयं एक घटना है तो प्रश्न यह उठता है कि वह घटना कब कहाँ कैसे और क्यों घटी? इतिहास इन प्रश्नों का ही उत्तर है। हेनरी जॉनसन का विचार है कि इतिहास विस्तृत रूप में प्रत्येक घटना हैं जो कि कभी घटित हुई।
इस प्रकार वह स्वयं अतीत काल से सम्बन्धित है, अर्थात् भूतकालीन घटनाओं का उल्लेख ही इतिहास है। इसका अभिप्राय यह ही कि उसमें प्राचीनकाल से लेकर एक क्षण पहले समाप्त हुए समय तक ही घटनाओं का वर्णन आ जाना चाहिए, परन्तु इसका अभिप्राय यह नहीं है कि इसमें अतीत काल में सब जीवों अथवा विश्व में हुई समस्त उथल पुथल का विचार होना भी है जरूरी हो। इतिहास में केवल मानव जीवन की घटनाओं का ही उल्लेख होता है।
डॉ. राधाकृष्णन ने इतिहास को राष्ट्र की स्मरण- शक्ति कहा है। जिस प्रकार वैयक्तिक ऐक्य में स्मरण शक्ति का बहुत महत्व है उसी प्रकार राष्ट्र की जातियों हेतु यह आवश्यक है और जातियों की स्मरण शक्ति ही इतिहास है। उनके इस कथन में पर्याप्त सत्यता है।
एक विदान इतिहास को नवद्वान इतिहास को नवद्वारा कलैण्डर कहते हैं। इसमें उसने इतिहास को केवल तिथि बताने या देने वाला कहा है। परन्तु इतिहास केवल तिथि ही नहीं बताता, बल्कि कहाँ र क्यों जैसे प्रश्नों का भी उत्तर देता है।
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DElEd Semester 1 Social Studies Samajik Adhyan Short Question Answers in Hindi
प्रश्न 27. जैन धर्म से आप क्या समझते हैं? जैन धर्म के प्रथम तथा 24 वें तीर्थकर कौन थे? जैन धर्म के त्रिरत्नों के नाम बताइए।
उत्तर – जैन शब्द की उत्पत्ति जिन शब्द से हुई हैं, जिसका आशय होता है- जीतना अर्थात् जिसने अर्थात् जिसने सांसारिक राग- देष मायामोह को जीत लिया है। ऐसे लोग जिन की उपाधि से विभूषित किये गये।
जन शब्द का अर्थ आध्यात्मिक विजेता होता है (जिसने अपनी इन्द्रियों पर नियन्त्रण कर लिया है)। जिनों के उपदेशों का पालन करने वाले जैन कहलाये तथा उनके सम्प्रदाय को जैन दर्शन या जैन धर्म के नाम से विभूषित किया गया।
जैन दर्शन का मुख्य उद्देश्य प्राणी को विश्व के कष्टों से छुटकारा दिलाकर आध्यात्मिक सुख को प्राप्त करने हुते मार्गदर्शन करना है। जैन दर्शन वेदों में विश्वास नहीं रखता है इसलिए से नास्तिक दर्शन भी कहते हैं। जैन दर्शन ने ईश्वर की सत्ता का खण्डन किया है। और अहिंसा, त्याग, तपस्या आदि आदि पर प्रमुख बल दिया है। जैन धर्म की दो प्रमुख शाखाएँ हैं- दिगम्बर व श्वेताम्बर। जैन साहित्य प्राकृत समृद्ध है। जैन साहित्य में तीर्थकरों के आदेशों का संग्रह है। प्राचीन जैन साहित्य प्राकृत भाषा में लिखा गया है, किन्तु बाद में संस्कृत भाषा में इसकी रचना हुई है।
जैन धर्म के प्रथम तीर्थकार ऋषभदेव तथा 24वें तीर्थकर महावीर स्वामी थे। जैन धर्म में त्रिरत्न सम्यक् ज्ञान, सम्यक् दर्शन एवं सम्यक चरित्र निम्न प्रकार हैं-
सम्यक ज्ञान का अर्थ है- तीर्थकरों द्वारा प्रतिपादित शास्त्र सिद्धान्तों का यथार्थ अनुभव।
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