Ist Samester DEIEd Hindi Bhasha Practice Set Paper 2018
परीक्षा प्रश्न पत्र (हल सहित)
प्रथम सेमेस्टर-2018
षष्ट्म प्रश्न-पत्र
(हिन्दी)
समय : 1.00 घण्टा ]
निर्देश :
1. सभी प्रश्न अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न के निर्धारित अंक प्रश्न के सम्मुख दिये
2. इस प्रश्न पत्र में तीन प्रकार के (बहुविकल्पीय, अतिलघु उत्तरीय तथा लघ
वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के सही विकल्प छाँटकर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखें। उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर लगभग तीस (30) शब्दों में, लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर पचास (50) शब्दों में लिखिए।
[पूणांक : 25
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. ड़ तथा ढु वर्ण हैं
(1) उत्क्षिप्त (2) अन्त:स्थ (3) संयुक्त (4) ऊष्म
2. ‘श’ का उच्चारण स्थल है
(1) ओष्ठ प, (2) कण्ठ्य क (3) तालू (4) दन्त त
3. ‘आनन्द’ का विलोम है
(1) विष (2) विषाद (3) अवनि (4) अर्पण
4. शुद्ध वर्तनी वाला शब्द है
(1) श्रृंगार (2) श्रृंगार (3) श्रृंगार (4) सुंगार।
5. ‘द्विज’ शब्द का अर्थ है
(1) दाँत (2) पक्षी (3) ब्राह्मण (4) इनमें से सभी
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
6. दीर्घ स्वर किसे कहते हैं ?
7. य, र, ल, व किस प्रकार के व्यंजन हैं ?
8. ‘ग्रन्थ के बचे हुए अंश, जो प्रायः अंत में जोड़े जाते हैं’ वाक्यांश के लिए एक शब्द लिखें।
9. ‘अंस’ और ‘अंश’ शब्द का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
10. ‘अर्वाचीन’ और ‘उचित’ शब्द का विलोम लिखिए। |
11. विस्मयदि बोधक चिह्न का प्रयोग कब करते हैं ?
लघु उत्तरीय प्रश्न
12. स्पर्श व्यंजन किसे कहते हैं ? स्पर्श व्यंजन का उल्लेख कीजिए।
13. अग्नि, अमृत, गंगा और गुरु के एक-एक समानार्थक शब्द लिखए। ।
14. ‘र वर्ण को कितने प्रकार से लिखते हैं ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। ।
15. विरामचिहनों से आप क्या समझते हैं ? किन्हीं दो विराम चिह्नों को उदाहरण सहित । लिखिए।
16. मौखिक अभिव्यक्ति के साधन लिखिए।
17. लेखन शिक्षण की सामान्य त्रुटियों को स्पष्ट कीजिए।
18. श्रुतलेख का अर्थ एवं महत्व बताइए।
उत्तर-पुस्तिका (व्याख्या सहित)
(वस्तुनिष्ठ प्रश्न) उत्तर
उत्तर 1. (1) उत्क्षिाप्त। ये वे अक्षर हैं जिनके उच्चारण में जीभ की नोंक तालू को कुछ दूर तक
छूकर मुख्य द्वार को झटके से खोलती है।
उत्तर 2. (3) तालु। इनका उच्चारण करते समय जीभ तालू को छूती है।
उत्तर 3. (2) विषाद। (आनन्द का अर्थ होता है खुश होना। और इसका विपरीत विषाद होता है।
दुःख भरा)
उत्तर 4. (2) श्रृंगार। (शुद्ध वर्तनी के आधार से यही शुद्ध है वाकी सब गलत है।)
उत्तर 5. (4) बाह्मण को द्विज भी कहा जाता है।
(अति लघुउत्तरीय प्रश्न)
उत्तर 6. दीर्घ स्वर-जिन स्वरों के उच्चारण में अधिक समय लगे उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं।
जैसे-आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।।
उत्तर 7. य, र, ल, व अन्तस्थ व्यंजन हैं।
उत्तर 8. परिशिष्ट।
उत्तर 9. अंस-कंधा (शब्द का अर्थ)
अंश- भाग
उत्तर 10. अर्वाचीन – प्राचीन (विलोम शब्द)
उचित-अनुचित ।
उत्तर 11. विस्मयादि बोधक – विस्मय, हर्ष, शोक, घृणा प्रशंसा जैसे मन के भावों को प्रकट करने वाले शब्दों को विस्मयादिबोधक शब्द कहा जाता है।
(लघुउत्तरीय प्रश्न) |
उत्तर 12. स्पर्श व्यंजन-जिन व्यंजनों के उच्चारण में मुखद्वार को बन्द करके इस प्रकार खोलते है।
कि हवा उच्चारण स्थानों को स्पर्श करती हुई बाहर निकल जाती है। जैसे –
क ख ग घ डू
ट ठ ड ढ ण
त थ द ध न
प फ ब भ म ।
उतर 13. अग्नि-आग गंगा- सुरसरि |
अमृत-पियूस गुरु-पूज्य
उत्तर 14. ‘र’ अक्षर ‘र’ वर्ण को चार प्रकार से लिखते हैं। जैसे-घ
= ट्रक
उत्तर 15. विराम चिहन – विराम का अर्थ होता है = हरना विराम चिह्नों का प्रयोग भी वाक्य
स्थान-स्थान पर रुकने, ठहरने आदि के लिए किया जाता है।
पूर्ण विराम – किसी सामान्य कथन वाले वाक्य के अंत में पूर्ण विराम का प्रयोग किया जाता है, जैसे-गांधीजी ने हमें सत्य और अंहिसा का अस्त्र दिया।
अल्प विराम – पढ़ते या बोलते समय जिस स्थान पर बहुत थोड़ा ठहरना हो, वहाँ अरुण
विराम का प्रयोग किया जाता है, जैसे-मोहन, इधर आओ।
उत्तर 16. मौखिक अभिव्यक्ति के साधन
(1) किसी चित्र को दर्शाकर उसके सम्बन्ध में बच्चों को कुछ कहने के लिए प्रेरित करना।
(2) अपने आस-पास में घटित हुई घटना, किसी विशेष विषय पर अपने अनुभव, मत
आदि को अभिव्यक्ति करने में छात्रों को उत्साहित करना।
(3) कोई कहानी सुनाने का भाषण देने के लिए प्रोत्साहित करना।
(4) किसी भी विषय पर छात्रों को दो समूहों में बाँट कर उन्हें वाद-विवाद करने के लिए
प्रेरित करना।
उत्तर 17. लेखन शिक्षण की सामान्य त्रुटियाँ
(1) शिरोरेखा की उपेक्षा – देवनागिरी लिपि में सभी अक्षरों के ऊपर रेखा होती है।
जिसे शिरोरेखा कहते है।
(2) अक्षरों का विकत आकार – कुछ छात्र अक्षरों को टेड़े-मेढ़े या छोटे-बड़े बनाते हैं।
और सीधी पंक्ति में नहीं लिखते हैं।
(3) विराम चिह्नों का अभाव – लेखन में विराम-चिहनों का अभाव देखने को मिल
जाता है। इससे लेखक को पढ़ने और समझने में कठिनाई होती है।
(4) शब्दों के बीच स्थान का अभावस – शब्दों के बीच उचित दूरी छोड़नी चाहिए
लेकिन कुछ छात्र ऐसा नहीं करते फलतः लेखन खराब हो जाता है।
उत्तर 18. श्रुतलेख – यह साधन प्राथमिक कक्षाओं में प्रयुक्त होता है। श्रुतलेख अर्थात् सुना हुआ लेख, इसमें अध्यापक बोलता है और छात्र सुनकर बोली हुई सामग्री को लिखना है श्रुतलेख में सुन्दर लिखावट का तो महत्व होता ही है। किन्तु इसके साथ ही साथ भी की शुद्धता का महत्व होता है। इस विधि के द्वारा लिखायी में गति लाना तथा एकाग्रचित लाना श्रुतलेख का प्रमुख लक्ष्य है। वर्तनी की शिक्षा भी इसका एक उद्देश्य है।