UPTET Paper Level 1 Bal Vikas Shiksha Shastra Balko Ke Liye Khel Kud Ki Avashyakta Question Answer Paper
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UPTET Paper Level 1 Bal Vikas Shiksha Shastra Balko ke Liye Khel Kud Ki Avashyakta Question Answer Paper
बालकों के लिए खेलकूद की आवश्यकता
- मॉण्टेसरी ने डाइडेक्टिक उपकरणों का निर्माण किया था जिनमें सम्मिलित हैं-
- लकङी की नलियाँ
- लकङी के फन
- धातु एवं लकङी की ज्यामितीय आकृतियाँ
- उपर्युक्त सभी
- यह कथन किस मनोवैज्ञानिक का है ?
- “ बालक ही ईश्वर है, उसका शिक्षालय ही मन्दिर है तथा बच्चे की स्तत्व शक्ति ही मन्दिर की आधिष्ठात्री देवी है.” फ्रॉबेल
- मॉण्टेसरी
- पेस्टोलॉजी
- टैगोर
- डाइडेक्टिक उपकरणों का प्रयोग किया जाता है-
- बालकों के प्रतिबंधात्मक खेल के लिये
- बालकों को खेल के माध्यम से शिक्षा के लिये
- बालकों के मनोरंजन के लिये
- केवल A और B के लिये
- फ्रॉबेल एवं मॉण्टेसरी के शिक्षा सिध्दान्तों में समरूपता है-
- बालकों के व्यक्तित्व का सम्मान
- ज्ञानेन्द्रयों के प्रशिक्षण पर बल
- बालकों के लिये स्वस्थ वातावरण
- उपर्युक्त सभी सत्य हैं
- मॉण्टेसरी शिक्षण पध्दति में सामाजिक विकास की प्रत्याशा फ्राबेल की तुलना में की जाती है-
- अपेक्षाकृत कम
- अपेक्षाकृत अधिक
- बिल्कुल नहीं
- आंशिक रूप में
- फ्रॉबेल ने खेल माध्यम से शिक्षा प्रदान करने के लिये आवश्यक साधन बताये हैं-
- बागवानी
- प्रकृति अध्ययन
- मिट्टी के मॉडल
- उपर्युक्त सभी
- ज्ञानेन्द्रियों के प्रशिक्षण को लेकर फ्रॉबेल का आविष्कार है-
- उपहार
- प्रबोधक यंत्र
- बाल-गीत
- उपर्युक्त सभी
- फ्रॉबेल के उपहार एवं मॉण्टेसरी के प्रबोधक यंत्र (डाइडेक्टिक ऐपरेटस ) हैं-
- एकसमान
- भिन्न-भिन्न
- B किन्तु उद्देश्य में एकसमान
- C किन्तु कार्य में एकसमान
- डाइडेक्टिक ऐपरेटस (Didactic Apparatus) हैं-
- अपेक्षाकृत महँगे साधन
- सस्ते साधन
- कम महँगे साधन
- कह नहीं सकते हैं
- मॉण्टेसरी का सर्वाधिक प्रचलन हुआ है, क्योंकि यह है-
- सरल सिध्दान्तों पर आधारित
- नाम से आकर्षक
- भारत भूमि पर विकसित एवं मान्य
- मॉण्टेसरी का सरकारी विज्ञापन
- ‘खेल’ एवं कार्य में विभेद पाया जाता है-
- उद्देश्यों के आधार पर
- स्वतंत्रता के आधार पर
- कल्पना शक्ति के आधार पर
- उपर्युक्त सभी के आधार पर
- खेल सम्बन्धी सिध्दान्त हैं-
- पाँच
- तीन
- चार
- दो
- शक्ति आधिक्यता सिध्दान्त बल देता है-
- अवशेष ऊर्जा सिध्दान्त पर
- श्रमशक्ति पर
- बाल सुलभ चातुर्य पर
- ऊर्जा संरक्षण पर
- हरबर्ट स्पेंसर ने प्रतिपादन किया था-
- रेचक खेल सिध्दान्त
- पूर्वानुभूति सिध्दान्त
- पुनरावर्तन सिध्दान्त
- शक्ति आधिक्यता का सिध्दान्त
- ‘खेल’ अपव्यय ऊर्जा के अक्षुण्ण स्रोत कहे हैं-
- लेजारस ने
- स्पेंसर ने
- अरस्तू ने
- प्लेटो ने
- खेल का रेचक सिध्दान्त बताता है-
- खेल संवेगात्मक विकृतियाँ का शोधन करते हैं
- खेल कुंठाओं को मुक्त करते हैं
- खेल व्यवहार को परिमार्जित करते हैं
- उपर्युक्त सभी सत्य हैं
- पूर्वानुभूति सिध्दान्त की मान्यता है-
- बालक खेलों में भावी जीवन की झलक देता है
- बालक खेलों को मनोरंजन मानता है
- बालक पैदाइशी खेलने वाला होता है
- बालक की यह जन्मजात प्रवृत्ति है
- कार्लग्रूथ ने जन्म दिया है-
- पूर्वानुमान सिध्दान्त को
- पूर्वानुभूति सिध्दान्त को
- उपर्युक्त (A) तथा (B) दोनों सिध्दान्तों को
- उपर्युक्त (A) तथा (B) दोनों में से कोई नहीं
- खेल बालक की कैसी प्रवृत्ति को घोतक हैं?
- संरचानात्मक
- सर्जनात्मक
- A एवं B दोनों ही
- A एवं B दोनों नहीं
- निम्नलिखित में से बालक की कौनसी प्रवृत्ति उन्हें खेल खेलने में प्रवृत्त करता है?
- बाल सुलभता
- बाल चपलता
- बालकों की स्वाभाविक प्रवृत्ति
- बालकों की प्रेरणाएं
- खेल के अन्दर निम्नलिखित गुण पाये जाते हैं-
- रचनात्मक
- स्वतंत्रतता
- आनन्द की प्राप्ति
- उपर्युक्त सभी
- बालकों की शिक्षा पध्दति में अपना लिया गया है-
- आगमन- निगमनात्मक पध्दति को
- बाल-प्रेम पध्दति को
- बाल-समूह पध्दति को
- बालकों की खेल पध्दति को
- खेल आधारित शिक्षण पध्दतियाँ प्रमुख रूप से योगदान हैं-
- बाल- केन्द्रित प्रवृत्ति का
- शिक्षक –केन्द्रित प्रवृत्ति का
- विधालय केन्द्रित प्रवृत्ति का
- गृह-केन्द्रित प्रवृत्ति का
- निम्नलिखित में से कौन ही ‘खेल’ की विशेषता नहीं है ?
- खेल बालकों की जन्मजात प्रवृत्ति है
- खेल एक आनन्ददायक प्रवृत्ति है
- खेल सकारात्मक प्रवृत्ति है
- खेल दमनात्मक प्रवृत्ति है
- खेलों का सम्बन्ध प्रायः होता है-
- यथार्थ जगत् से
- काल्पनिक जगत् से
- उपर्युक्त (A) तथा (B) दोनों से
- उपर्युक्त (A) तथा (B) दोनों से नहीं
- लेजारस (Lazarus) महोदय ने किस सिध्दान्त का प्रतिपादन किया है?
- पुनरावर्तन सिध्दान्त
- शक्ति आधिक्यता का सिध्दान्त
- शुध्दिकरण सिध्दान्त
- पुनर्रचनात्मक का सिध्दान्त
- “ बालक का ह्रदय खेलने में ऐसे रम जाता है जैसा किसी अन्य कार्य में नही. ऐसा प्रतीत होता है कि उसमें वह खोये हुए स्वर्ग की तलाश करता है.” ये वाक्य है-
- स्टेनले हाल के
- शिलर के
- हरबर्ट स्पेन्सर के
- पेस्टालॉजी
- खेलों का निम्नलिखित में से कौनसा एक महत्व नहीं है?
- खेल बालकों की मूलप्रवृत्तियों का शोधन करते हैं
- खेल बालकों का सामाजिक विकास करते हैं
- खेल बालकों की अध्ययन आदतों को बर्बाद करते हैं
- खेल बालकों का चारित्रिक उत्थान करते हैं
- “स्वस्थ मस्तिष्क स्वस्थ शरीर में निवास करता है” इस सन्दर्भ में खेलों का महत्व है-
- शारीरिक विकास में
- मानसिक विकास में
- उपर्युक्त (A) तथा (B) दोनों विकासों में
- उपर्युक्त में से किसी में भी नहीं
- खेल का एक लाभ यह भी है कि वे-
- बालकों को घर से बाहर रखते हैं
- बालकों को विधालय के खाली घंटे में अनुशासित रखते हैं
- अवकाश काल के उत्तम उपयोग को प्रोन्नत करते हैं
- विधालय का नाम रोशन करते हैं
- खेलों द्वारा जो सामाजिक महत्व के गुण विकसित होते हैं , वे हैं-
- प्रारम्भकर्ता एवं नेतृत्व
- संसाधन खोजी एवं तत्परता
- सहयोग एवं स्पर्धा
- उपर्युक्त सभी
- नागरिकता के प्रशिक्षण के सन्दर्भ में खेल अपना योगदान देते हैं-
- प्रजातांत्रिक मूल्यों का खेलों में अनुसरण करके
- पारस्परिक लङना-झगङना आदि के रूप में
- खेल में बेईमानी एवं धोखाधङी के रूप में
- खेल के नियमों का अनुपालन करके
- खेलों का सर्वश्रेष्ठ योगदान है-
- आत्म अनुशासन
- एकाग्रता
- तत्परता
- तल्लीनता
- “वाटरलू का युध्द ईटन के खेल के मैदान में जीता गया था” लॉर्ड वेंलिगटन के इस वाक्य का आशय है-
- खेल का मैदान युध्द के मैदान जैसा होता है
- खेल के मैदान में सीखे गये नेतृत्व गुण युध्द के मैदान में वरदान सिध्द होते हैं
- खेल के मैदान में तथा युध्द के मैदान में हार-जीत का एकसमान आनन्द ग्रहण किया जाता है
- खेल के मैदान का अनुशासन व्यक्ति को कुशल योध्दा बनाता है
- ‘स्पोर्टसमैनशिप’ का अर्थ है-
- खेलो, खेलो, खूब खेलो
- खेलो, हार- जीत के लिए खेलो
- खेलो, केवल जीत के लिये खेलो
- खेलो, केवल प्रतिस्पर्धा से खेलो
- विधालय के पाठ्यक्रम का सम्बन्ध है-
- केवल पुस्तकों को पढाने से
- केवल खेलकूद कराने से
- उपर्युक्त (A) तथा (B) दोनों को भली –भाँति सम्मिलित करने से
- उपर्युक्त (A) तथा (B) दोनों को नकारने से
- “विधालयों में खेल के मैदान तथा खेल का एक अनिवार्य घंटा होना चाहिये.” आप इस कथन से हैं-
- पूर्ण सहमत
- पूर्ण असहमत
- आंशिक सहमत
- कह नहीं सकते
- कॉमेनियस एक महान् दार्शनिक थे जिन्होंने अपना योगदान दिया था-
- बालकों को खेल आधारित शिक्षा प्रदान करने में
- बालकों को गणित का गूढ प्रदान करने में
- बालकों को बालकों की भाँति पढाने में
- बालकों को वयस्क व्यक्तियों की भाँति पढाने में
- कॉमेनियस के अनुसार बाल्यावस्था की शिक्षा को नाम दिया गया है-
- वर्नाक्यूलर स्कूल
- मातृविधालय
- जिम्नेजियम
- एकेडमी
- कॉमेनियस द्वारा रचित कौनसी पुस्तक है?
- स्कोला ल्यूडस
- एजूकेशन एण्ड डेमोक्रेसी
- डाइडेटिक एजूकेशन
- रूसो को दार्शनिक सन्दर्भों में वर्गीकृत किया जाता है-
- प्रकृतिवादी दार्शनिक के रूप में
- व्यक्तिवादी दार्शनिक के रूप में
- समन्वयवादी दार्शनिक के रूप में
- आदर्शवादी दार्शनिक के रूप में
- ‘एमिली’ नामक पुस्तक के रचयिता हैं-
- फ्रेडरिक फ्रॉबेल
- जॉन जैकस रूसो
- हरबर्ट स्पेंसर
- पेस्टोलॉजी
- रूसो ने ‘एमिली’ को बनाया है-
- अपनी पुस्तक का नायक
- अपनी पुस्तक का छात्र नायक
- अपनी कल्पना का पात्र
- कुछ भी नहीं
- रूसो के अनुसार बाल्यावस्था में बालकों को ऐसी शिक्षा प्रदान की जानी चाहिये जिनके द्वारा बालकों में हो-
- ऐन्द्रिक प्रशिक्षण
- बौध्दिक प्रशिक्षण
- चरित्र निर्माण
- पारस्परिक ज्ञान
- रूसो ने शिक्षा के तीन मूलभूत स्रोत बनाये हैं , जो हैं-
- प्रकृति , मनुष्य, वस्तुएँ
- प्रकृति , माता वस्तुएँ
- प्रकृति , माता , पिता
- प्रकृति , घर , विधालय
- “शिक्षा एक आनन्ददायक…………..एवं उपयोगी जीवन विकास की प्रक्रिया है.”
- जॉन जैकस रूसो का
- जॉन ड्यूवी
- जॉहन हेनरिक पेस्टोलॉजी
- उपर्युक्त में से कोई नहीं