भाग (आ)
निर्देश-नीचे कुछ मुहावरे दिए गए हैं. प्रत्येक के अर्थ के संदर्भ में चार मुहावरे दिए गए हैं. उनमें से उपयुक्त मुहावरा छांटिए.
- राम ने रावण को लङाई में हरा दिया-
- दाँत खट्टे कर देना
- आसमान दिखा देना
- जान के लाले पङना
- छटी का दूध याद आना
- राणा प्रताप आखिरी दम तक अकबर से लङते रहे-
- लोहा लेना
- नाक में दम करना
- चैन की साँस न लेने देना
- नाकों चने बिनवाना
- भेङिए को देखकर राम भय से काँपने लगा और उसको पसीना आ गया-
- नानी याद आ जाना
- सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाना
- रोंगटे खङे हो जाना
- पैंरो तले जमीन खिसक जाना
- परीक्षा में प्रथम श्रेणी प्राप्त करने का समाचार पाकर वह अत्यधिक प्रसन्न हुआ-
- बाहें खिल जाना
- हक्का-बक्का हो जाना
- फूला न समाना
- दाँतों तले उँगली दबाना
- सच्चे न्याय के लिए कौनसा मूहावरा लिखेंगें?
- दूध का दूध पानी का पानी
- गागर में सागर भरना
- एक पंथ दो काज
- चूल से चूल भिङाना
- नौजवान बेटे की मृत्यु पर बुड्ढे बाप की दशा का वर्णन करने के लिए कौनसा मुहावरा प्रयोग करेंगे?
- सिर मुङाते ओले पङना
- विपत्ति का पहाङ टूटना
- आसमान के तारे दिखाना
- जान के लाले पङ जाना
- कई वर्षों बाद रमेश को घर आया देखकर माता को बहुत प्रसन्नता हुई-
- आँखे ठण्डी होना
- कलेजे में ठंडक पङना
- जी भर आना
- आँखे बन्द होना
- अपना काम निकल जाने पर जब कोई बात करना बन्द कर दे, तो कौनसा मुहावरा उपयुक्त रहेगा?
- आँखें बन्द कर लेना
- आँखें निकालना
- आँखें फेर लेना
- आँखों पर परदा पङना
- आजकल शिक्षित युवक नौकरी के लिए परेशान घूमते हुए दिखाई देते हैं. इस स्थिति का वर्णन करने के लिए उपयुक्त मुहावरे का चयन कीजिए-
- हाथ-पाँव पटकना
- हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाना
- धूल फाँकना
- जुतियाँ चटकाते फिरना
- अत्यधिक परिश्रम के फलस्वरूप वह एकदम थककर बैठ गया है-
- निढाल हो जाना
- चूर-चूर हो जाना
- अस्त-व्यस्त हो जाना
- अंग-अंग ढीला होना
- मालूम होता है तुम्हारा यहाँ रहने का संयोग समाप्त हो गया है-
- सम्बन्ध-सूत्र समाप्त हो जाना
- नाता टूट जाना
- डेरा उठ जाना
- अन्न जल उठ जाना
- दुर्बल व्यक्ति का यह स्वभाव होता है कि उसको जरा- सी बात के पीछे अत्यधिक क्रोध आता है-
- आपे से बाहर होना
- आँखें लाल होना
- खम ठोकना
- आँखों का काँटा होना
- कपटी लोग मित्र के निर्धन होने पर मन फेर लेते हैं-
- पीठ दिखाना
- अँगूठा दिखाना
- हा पतला होना
- आँखें बदलना
- श्रीराम ने रावण के वंश को समाप्त ही कर दिया-
- इतिश्री करना
- टाट उलट देना
- खाट खङी कर देना
- नामोंनिशान मिटा देना
- परीक्षार्थी को मतलब की बात लिखनी चाहिए. बेकार की बातें लिखने से परीक्षक पर विपरीत प्रभाव पङता है-
- बे सिर-पैर की बात लिखना
- इधर-उधर की हाँकना
- खेत की जगह खलिहान की बात करना
- अपनी खिचङी पकाना
लोकोक्तियाँ भाग (इ)
निर्देश-नीचे कुछ लोकोक्तियाँ दी गई हैं. प्रत्येक के चार वैकल्पिक अर्थ दिए गए हैं. उपर्युक्त अर्थ का चयन कीजिए.
- अँधे के हाथ बटेर लगना-
- अपात्र को सफलता या सम्मान मिल जाना
- अँधेरे में कोई चीज मिल जाना
- जुए में जीत हो जाना
- रास्ते में कोई चीज पङी हुई मिल जाना
- अध जल गगरी छलकत जाए-
- सम्भल कर न चलना
- कायदे से काम न करना
- अल्पज्ञ अथवा कम धनाढ्य द्वारा गर्व प्रदर्शन
- अपने काम का प्रदर्शन करना
- आ बैल मुझे मार-
- छेङछाङ करना
- जानबूझकर मुसीबत में पङऩा
- व्यर्थ ही किसी को गाली देना
- बैल के सामने बैठ जाना
- आग लगने पर कुआँ खोदना-
- तुरन्त काम में लग जाना
- विपत्ति आ जाने पर उसके निराकरण का उपाय करना
- आवश्यकता के अनुसार काम करना
- व्यर्थ भाग-दौङ करना
- आये थे हरि भजन को ओजन लगे कपास-
- साधुओं की संगति छोङ देना
- भक्ति छोङकर व्यापार करने लगना
- गृहस्थी के झंझटों में फँस जाना
- वांछित कार्य छोङकर अन्य कार्य में लग जाना
- खोदा पहाङ निकली चुहिया-
- गलत काम करना
- मुसीबत मोल लेना
- अपने प्रयत्न में असफल होना
- परिश्रम को देखते हुए बहुत कम फल मिलना
- घर में नहीं दाने, बीबी चली भुनाने-
- सामर्थ्य से बाहर काम करना
- व्यर्थ के कामों में समय नष्ट करना
- शेखी मारना
- सामार्थ्य से बाहर काम करना
- तू डाल-डाल मैं पात-पात-
- एक से एक बढकर चालाक होना
- पेङों पर चढकर खेलना
- अपनी कला का प्रदर्शन करना
- चोरी करने के बाद पकङाई में न आना
- अपनी करनी पार उतरनी-
- जैसा करोगे वैसा भरोगे
- अपने दुःखों के लिए दूसरों को दोष क्यों
- अपने ही कर्मों से व्यक्ति को सफलता मिल सकती है
- सब भाग्य का खेल है
- अपने मरे बिना स्वर्ग नहीं दिखता-
- स्वर्ग देखने के लिए मरना जरूरी है
- स्वयं ही सब काम करना चाहिए
- किताबें पढकर स्वर्ग पर विश्वास कैसे किया जाए
- स्वयं अपने आप प्रयत्न करने पर ही काम बनता है
- घर की खाँङ किरकिरीर लागे, बाहर का गुङ मीठा-
- बाजार में हमेशा ताजी वस्तु मिलती है
- दूसरे की पत्तल का भात मीठा लगता है
- चटोरे लोग घर के भोजन को बुरा बताते हैं
- सरलता से उपलब्ध होने वाली श्रेष्ठ वस्तु भी अच्छी नहीं लगती है
- टट्टी की ओट में शिकार खेलना-
- छिपकर किसी के विरुद्ध काम करना
- धोखाधङी करना
- चोरी-छिपे काम करना
- घात लगाना
- हाथ कंगन को आरसी क्या?
- हर चीज को देखने के लिए दर्पण की जरूरत नहीं होती है
- जो बात स्पष्ट है, उसके लिए प्रमाण क्या माँगना
- कंगन पहनने वाली नारियाँ आरसी नहीं पहनती हैं
- कंगन का मूल्यांकन बिना दर्पण के किया जा सकता है
- होनहार बिरवान के होत चीकने पात-
- जो व्यक्ति भविष्य में महान बनने वाले होते हैं, उनके गुण बचपन में ही प्रकट हो जाते हैं
- कल्ले देखकर पता लग जाता है कि यह कैसा पौधा है
- अच्छे पौधे की पहचान यह है कि उसके पत्ते चिकने होते हैं
- चिकने पत्तों को सब देखना चाहते हैं
- नाच न आवे, आँगन टेढा-
- मूर्ख लोग बहाने बनाते हैं
- टेढे आँगन में नाच ठीक तरह नहीं होता है
- शेखी मारना
- कार्य करने की क्षमता न होने पर दूसरों को दोष देना
- ऊधों का लेना, ना माधों का देना-
- सबसे अलग रहना, अपने काम से काम
- देश छोङकर चले जाना
- हिसाब साफ करना, उधार खाता न करना
- भक्तिभाव से दूर रहना
- घर की मुर्गी दाल बराबर-
- घर में आसानी से प्राप्त होने वाली वस्तु का कोई महत्व नहीं होता है
- घर में मुर्गी हो तो उसको दाल की तरह रोज खाना
- घर में बनाया हुआ मर्गी का शोरबा दाल की तरह अच्छा लगता है
- घर में पकाई हुई मुर्गी में स्वाद नहीं आता है
- पाव भर चून पुल पर रसोई-
- अपनी सम्पत्ति का प्रदर्शन करना
- सीमित साधन होने पर भी अधिक लोगों को निमन्त्रित कर देना
- थोङी चीज को बहुत समझ लेना
- अपनी चीज को बर्बाद करना
- पढे फारसी बेचें तेल, यह देखो कुदरत का खेल-
- बेकार रहना
- योग्यता की तुलना में विवशता के कारण निम्न स्तर का कार्य करना
- विधा का अपमान करना
- फारस में पढे-लिखे लोग तेल बेचने का व्यापार करते हैं
- धोबी का कुत्ता घर का न घाट का-
- दल-बदलू की हालत धोबी के कुत्ते की तरह हो जाती है
- धोबी के घर कुत्ते की कद्र नहीं होती है
- किसी का भी विश्वासपात्र न होना
- कुत्ता धोबी के किसी काम में नहीं आता है
- कोयले की दलाली में हाथ काले-
- सोहबत का असर पङता ही है
- बुरे काम का बुरा नतीजा होता है
- बुरे काम में सहायता करने पर बुराई हाथ लगती है
- कोयले के पास न जाने पर भी कालौंच लग ही जाती है
भाग (ई)
निर्देश-नीचे कुछ वाक्य दिए गए हैं.प्रत्येक को व्यक्त करने के लिए चार वैकल्पिक लोकोक्तियाँ दी गई हैं. उपयुक्त लोकोक्ति का चयन कीजिए.
- अभीप्सित वस्तु का मिल जाना-
- अन्धा क्या चाहे दो आँखें
- अँधे के हाथ बटेर लग जाना
- खुदा मिला और नंगे सिर
- छप्पर फट पङना
- अकेला मनुष्य कोई बङा काम नहीं कर सकता-
- दीवाल से सिर मारना
- अकेला चना भाङ नहीं फोङ सकता
- अपनी खिचङी अलग पकाना
- कहीं की ईँट कहीं का रोङा
- अपने-अपने मन की करना-
- अपनी करनी पार उतरनी
- अपनी-अपनी ढफली अपना-अपना राग
- अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना
- अपना हाथ जगन्नाथ
- दोहरा लाभ होना-
- गोरस बेचत हरि मिलें, एक पंथ दो काज
- अंधे पीसें कुत्ते खाएँ
- आम के आम गुठलियों के दाम
- गंगा गए गंगादास , जमुना गए जमुनादास
- बेजोङ अथवा अधूरा मेल-
- आधा बगुला आधा सुआ
- अरहर की टट्टी गुजराती ताला
- कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली
- आधा तीतर आधा बटेर
- दूसरों से अधिक सम्बन्ध न रखना-
- अपनी ढाई चावल की खिचङी पकाना
- अपने रामजी की अयोध्या न्यारी
- ऊधों का लेना न माधों का देना
- तीन में ना तेरह में, मृदंग बजावै डेरे में
- दो व्यक्तियों में बहुत अधिक अन्तर होना-
- कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली
- कहाँ चावल, कहाँ गेहूँ
- बैल और भैंसा की गाङी नहीं चलती
- आधा तीतर आधा बटेर
- अपनी हानि करके भी दूसरों की हानि करना-
- न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी
- नौ नकद न तेरह उधार
- अपनी नाक कटा कर दूसरे का अपशकुन करना
- सींग काट कर बछङों में मिलना
- एकता में शक्ति निहित है-
- बूँद-बूँद से घट भरता है
- एक और एक ग्यारह होते हैं
- एक हाथ से ताली नहीं बजती
- एक चना भाङ नहीं फोङ सकता
- बहुत अधिक धीमी गति से काम करना-
- खोदा पहाङ निकली चुहिया
- पाव भर चून पुल पर रसोई
- घर के बुद्धू घर को आए
- नौ दिन चले अढाई कोस
- अपने घर में तो दुष्ट व्यक्ति भी सीधा व्यवहार करता है-
- घर का भेदी लंका ढावै
- ऊँट की चोरी निहुँरे-निहुँरे
- बाहर टेढों चलत है घर में सीधा साँप
- चोर के पैर नहीं होते
- शरणागत की रक्षा-
- उगँली पकङ पर पहुँचा पकङऩा
- बाँह गहे की लाज
- ऊधों की पगङी माधों के सिर
- आस्तीन का साँप बनना
- गुणवान ही गुणों की पहचान करता है-
- बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद
- सोना जाने कसै
- जो जागे सौ पावे
- हीरा की परख जौहरी जाने
- बङे लोग देखने की अपेक्षा सुनने पर अधिक विश्वास कर लेते हैं-
- चिराग तले अँधेरा
- कहें खेत की सुनें खलिहान की
- बङों के कान होते हैं आँख नहीं
- ऊँट न जाने किस करवट बैठे
- दुःखी व्यक्ति ही किसी के दुःख को समझ सकता है-
- जाके पाँव न फटी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई
- बाँह गहे की लाज
- आप भला तो जग भला
- बाँझ क्या जाने प्रसव की पीङा
- विवशतावश कोई काम करना-
- रपट पङे की हर गंगा(फिसल)
- दबी बिल्ली चूहे से कान कटाती है
- वक्त पर गधे को बाप कहा जाता है
- उतर गई लोई तो क्या करेगा कोई
- चाहने वाले की इच्छा ही सर्वोपरि होती है-
- अपना हाथ जगन्नाथ
- पिया चाहे सो सुहागिन
- मीटौ सोई जो जाहि भावै
- बिंध गया सो मोती
- काम करने के बाद उसके बारे में खोजबीन करना-
- भँवर के परे नदी सिरावत मौर
- साँप निकल गया, लाठी पीट रहे हैं
- पानी पीकर जाति पूछना
- अन्धी पीसे कुत्ते खाएं
- कमजोर को सब दबाते हैं-
- सूघ जानि शंका सब काहू
- दबे का कोई यार नहीं
- थके घोङे पर कोई दाब नहीं लगाता
- निबल की जोरू सबकी भौजाई
- अपने आप को सबसे बङा समझने वालों का समुदाय-
- नाई की बारात में सब ठाकुर
- हम चुनी दीगर नेस्त
- सरग को मकरजरा कहना
- अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनाना
- बङों के सामने छोटों की कौन सुनता है अथवा बङो के सामने छोटों का अस्तित्व न होना-
- को कहि सकै बङेन सों लखै बङी औ भूल
- नक्कारखाने में तूती की आवाज
- बिल्ली की गर्दन में कौन घण्टी बाँधे
- बङो की बङी बातें होती हैं
- किसी अच्छे काम करने के कारण आपत्ति आ जाना-
- आ बैल मुझे मार
- हवन करते हाथ जलना
- न अन्धे को न्यौता देते, न दो जने आते
- जीभ जली स्वाद न आया
- किसी ओर का न रहना अथवा कहीं का न रहना-
- धोबी का कुत्ता घर का न घाट का
- दुविधा में दोनों गए, माया मिली न राम
- जहाँ देखी बरात, वहीं नाचे सारी रात
- न खुदा ही मिला न बिसाले सनम
- पराई वस्तु सदैव अच्छी लगती है-
- दूसरे की पत्तल , लम्बा-लम्बा भात
- अपनी अक्ल और दूसरे की दौलत ज्यादा लगती है
- घर में घर जले , अढी घङी मन्दा
- दूर के ढोल सुहावने
- एक बार धोखा खाने के बाद व्यक्ति अधिक सावधाना हो जाता है-
- ठग कर ठाकुर हो जाना
- तू डाल-डाल मैं पात-पात
- दूध का जला छाछ को फूँक-फूँक कर पीता है
- चिकने घङे पर पानी नहीं ठहरता
- अपराधी स्वयं ही भयभीत रहता है-
- चोर की दाङी में तिनका
- दबी बिल्ली चूहों से कान कटाती है
- चोर के पैर नहीं होते
- जादू वह जो सिर पर चढकर बोले
- जिसकी क्षति होने का भय ही नहीं है.उसकी रक्षा करना व्यर्थ है-
- क्या नंगा नहाए, क्या निचोङे
- नंग खङे मैदान में चोर बलैया लेय
- अरहर की टट्टी गुजराती ताला
- दलाल का दिवाला क्या, मस्जिद का ताला क्या
- सहयोग से कार्य आसानी से होता है-
- दस की लाठी एक जने का बोझ
- एक और एक ग्यारह होते हैं
- घोङों का घर कितनी दूर
- करले सो काम भजले सो राम
- समाज में उपेक्षित होने पर भी अपने को महान बताने वाले-
- थोथा चना बाजे घना
- तीन में न तेरह में मृदंग बजावै डेरे में
- कोठी वाला रोवे, छप्पर वाला सोवै
- कौआ चले हंस की चाल
- अपनी शक्ति के अनुसार ही खर्च करना-
- घर गेहूँ तो कनक उधारी
- कर वहिनाँ बल आपनी
- तेते पाँव पसारिए जेती लम्बी सौर
- खरी मजूरी चोखा काम
उत्तरमाला
1. (A) 2. (A) 3. (A) 4. (C) 5. (A) 6. (C) 7. (B) 8. (A) 9. (B) 10. (C) 11. (C) 12. (B) 13. (A) 14. (D) 15. (D) 16. (C) 17. (B) 18. (A) 19. (A) 20. (B) 21. (B) 22. (C) 23. (C) 24. (B) 25. (B) 26. (A) 27. (A) 28. (A) 29. (B) 30. (C) 31. (D) 32. (A) 33. (B) 34. (C) 35. (C) 36. (A) 37. (B) 38. (C) 39. (BD) 40. (A)
(आ)
1. (A) 2. (A) 3. (D) 4. (C) 5. (A) 6. (B) 7. (B) 8. (C) 9. (D) 10. (A) 11. (A) 12. (A) 13. (D) 14. (D) 15. (A)
(इ)
1. (A) 2. (C) 3. (B) 4. (B) 5. (D) 6. (D) 7. (A) 8. (A) 9. (D) 10. (D) 11. (B) 12. (A) 13. (B) 14. (A) 15. (D) 16. (A) 17. (A) 18. (A) 19. (B) 20. (C) 21. (C)
(ई)
1. (A) 2. (B) 3. (B) 4. (C) 5. (D) 6. (B) 7. (A) 8. (C) 9. (B) 10. (D) 11. (C) 12. (B) 13. (D) 14. (C) 15. (A) 16. (A) 17. (B) 18. (C) 19. (B) 20. (A) 21. (B) 22. (B) 23. (D) 24. (A) 25. (C) 26. (A) 27. (A) 28. (A) 29. (B) 30. (C)