UPTET Paper Level 1 Samanya Hindi Noun Question Answer Paper : Uttar Pradesh Teacher Eligibility Test (UPTET) Most Important Question Answer Papers in Hindi English

संज्ञा (Noun) (UPTET Question Answer Paper)
परिभाषा
संज्ञा उस विकारी शब्द को कहते हैं जिससे किसी विशेष वस्तु अथवा व्यक्ति के नाम का बोध हो.
‘वस्तु’ केवल पदार्थ और वाणी का वाचक नहीं है, अपितु उनके धर्मों का भी सूचक है, अतः वस्तु के अन्तर्गत प्राणी , पदार्थ और धर्म आते हैं, इन्हीं के आधार पर संज्ञा के भेद प्रस्तुत हैं—
संज्ञा के भेद
संज्ञा के तीन भेद हैं — (1) व्यक्तिवाचक , (2) जातिवाचक, (3) भाववाचक .
- व्यक्तिवाचक संज्ञा
जिस शब्द से किसी एक वस्तु या व्यक्ति का बोध हो उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं, जैसे- श्याम, गंगा, दिल्ली, जापान, रामचरितमानस, सिपाही, विद्रोह, होली , दीपावली आदि.
व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ निम्नलिखित रूपों में पाई जाती हैं-
- व्यक्तियों के नाम-श्याम, हरि, सुरेश
- दिशाओं के नाम-पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण
- देशों के नाम– भारत, जापान, अमरीका, पाकिस्तान, बर्मा.
- राष्ट्रीय जातियों के नाम-भारतीय, रूसी, अमरीकी.
- समुद्रों के नाम– काला सागर, भूमध्य सागर, हिन्द महासागर, प्रशान्त महासागर.
- नदियों के नाम-गंगा, ब्रह्मापुत्र, बोल्गा, कृष्णा, कावेरी.
- पर्वतों के नाम– हिमालय, विन्धाचल, अलकनन्दा, कराकोरम.
- नगरों , चौकों और सङकों के नाम– वाराणसी, गया, चाँदनी चौक, हरिसन रोड , अशोक मार्ग.
- पुस्तकों तथा समाचार-पत्रों के नाम-रामचरितमानस, ऋग्वेद, धर्मयुग, आर्यावर्त.
- ऐतिहासिक युध्दों और घटनाओं के नाम-पानीपत की पहली लङाई, सिपाही विद्रोह, अक्टूबर क्रान्ति.
- दिनों , महीनों के नाम– मई, जुलाई, अक्टबर, सोमवार, मंगलवार.
- त्योहारों, उत्सवों के नाम– होली, दीपावली, रक्षाबंधन, विजयालक्ष्मी, गणतंत्र दिवस.
यह वर्गीकरण सर्वथा मान्य होना चाहिए, क्योंकि इसमें यधपि नवीन कुछ नहीं है तथापि प्रचलित सामग्री को एक वैज्ञानिक आधार देकर प्रस्तुत किया गया है.
- जातिवाचक संज्ञा
जिस संज्ञा से किसी जाति के सम्पूर्ण पदार्थों व उनके समूहों का बोध होता है उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं, जैसे- घर, पर्वत , मनुष्य , नदी , मोर , सभा आदि.
जातिवाचक संज्ञाएँ निम्नलिखित स्थितियों में होती हैं-
- सम्बन्धियों , व्यवसायों , पदों और कार्यों के नाम-
- बहन, भाई , मन्त्री, जुलाहा, हलवाई, प्रोफेसर, अध्यापक, माली, चोर.
- पशु-पक्षियों के नाम-घोङा, गाय, कौआ, तोता, मैना.
- वस्तओं के नाम-मकान, कुर्सी, घङी, पुस्तक, कलम.
- प्राकृतिक तत्वों के नाम-तूफान, बिजली, वर्षा, भूकम्प, ज्वालामुखी.
- भाववाचक संज्ञा
जिस संज्ञा से व्यक्ति या वस्तु के गुण या धर्म , दशा अथवा व्यापार को बोध होता है, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं- जैसे लम्बाई, जवानी, चतुराई, मिठास, नम्रता, नारीत्व, सुन्दरता,समझ इत्यादि पदार्थ का गुण या धर्म पदार्थ से अलग नहीं रह सकता , व्यक्तिवाचक संज्ञा की तरह भाववाचक संज्ञा से भी किसी एक ही भाव का बोध होता है, धर्म, गुण, अर्थ, और भाव प्रायः पर्यायवाची शब्द है, इस संज्ञा का अनुभव होता है तथा बहुवचन प्रायः नहीं होता है.
भाववाचक संज्ञाओं का निर्माण– भाववाचक संज्ञा बनाने का प्राचीन नियम यह भी था कि विशेषण के अन्त में ई, पन , हट , वा, पर , स , प्रत्यय जोङ दिया जाए तथा संस्कृत की धातु के अन्त में ता, त्व,जोङ दिया जाए, परन्तु अब इस प्रक्रिया को अत्यन्त व्यापक तथा सर्वथा वैज्ञानिक रूप प्रदान कर दिया गया है,उदाहरण देखिए-
- जातिवाचक संज्ञा से
शब्द | भाववाचक संज्ञा | जोङा गया प्रत्यय |
बच्चा | बचपन | पन |
बूढा | बुढापा | पा |
इन्सान | इन्सानियत | इयत |
डाकू | डकैती | ऐती |
शैतान | शैतानी | ई |
दास | दासता/ दासत्व | ता,त्व |
मानव | मानवता | ता |
दानव | दानवता | ता |
नारी | नारीत्व | त्व |
बंधु | बंधुत्व | त्व |
लङका | लङकपन | पन |
जवान | जवानी | ई |
पंडित | पंडिताई | आई |
बाप | बपौती | औती |
मनुष्य | मनुष्यता/मनुष्यत्व | ता,त्व |
मित्र | मित्रता | ता |
पशु | पशुता/पशुत्व | ता, त्व |
स्वामी | स्वामित्व | त्व |
माता | मातृत्व | त्व |
(ख) सर्वनाम से
सर्वनाम | भाववाचक संज्ञा | जोड़ा गया प्रत्यय |
अपना | अपनापन | पन |
पराया | परायापन | पन |
निज | निजत्व | त्व |
अहं | अहंकार | कार |
मम | ममता/ममत्व | ता,त्व |
स्व | स्वत्व | त्व |
(ग) विशेषण से
विशेषण | भाववाचक संज्ञा | जोङा गया प्रत्यय |
बङा | बङप्पन | पन |
छोटा | छुटपन | पन |
ठण्डा | ठण्डक | अक |
मूर्ख | मूर्खता | ता |
नीच | नीचता | ता |
सरल | सरलता | ता |
अच्छा | अच्छाई | ई |
बुरा | बुराई | ई |
मोटा | मुटाई/मोटापा | ई,पा |
हरा | हरियाली | आली |
चिकना | चिकनाई/चिकनाहट | आई,आहट |
लाल | लाली | ई |
कठिन | कठिनाई/कठिनता | आई,ता |
सुन्दर | सुन्दरता/सौन्दर्य | ता, र्य |
कुशल | कुशलता | ता |
एक | एकता/ऐक्य | ता,य |
गम्भीर | गम्भीरता/गाम्भार्य | ता, र्य |
रोचक | रोचकता | ता |
(घ) क्रिया से
क्रिया | भाववाचक संज्ञा | जोङा गया प्रत्यय |
लिखना | लिखाई/लेख | ई |
मिलना | मेल/ मिलाई | ई |
दौङना | दौङ | अ |
खेलना | खेल | अ |
भूलना | भूल | अ |
झगङना | झगङा | अ |
थकना | थकान/थकावट | आन,आवट |
घबराना | घबराहट | आहट |
धोना | धुलाई | आई |
बरसना | बारिश,बरसात | इश,आत |
चलना | चाल | अ |
हारना | हार | अ |
जीतना | जीत | अ |
पढना | पढाई | ई |
संज्ञाओं के विकार/ रूपान्तर
संज्ञा विकारी शब्द है, अर्थात् संज्ञा शब्दों में प्रसंग के अनुसार परिवर्तन होता है,उदाहरण देखिए-
- लिंग-लङका (खाता है ). लङकी (खाती है),
- वचन – लङका (खाता है), लङके (खाते हैं),
- कारक-लङका खाना खाता है-लङके ने खाना खाया, लङकी खाना खाती है-लङकियों ने खाना खाया.
स्पष्ट है कि इस उदाहरण में एकवचन का कारण कर्ता कारक का चिन्ह ने है, जिससे एकवचन होते हुए भी लङके (बहुवचन जैसा ) रूप हो गया , इसी तरह लङके को बुलाओ, लङके को खिलाओ, भगाओ आदि में लङका एकवचन होते हुए भी बहुवचन रूप(लङके) में प्रयुक्त हुआ है,
लिंग
शब्द के जिस रूप से यह पता चलता है कि वर्णित वस्तु पुरुष जाति की है या स्त्री जाति की , उसे लिंग कहते हैं हिन्दी में दो लिंग हैं-पुल्लिंग,स्त्रीलिंग , जबकि संस्कृत में नपुंसकलिंग के रूप में तीन लिंग हैं. लिंग के निर्धारण के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार हैं-
- अकारांत शब्द प्रायः पुल्लिंग होते हैं यथा –राम, क्रोध, श्याम आदि.
- वे भाववाचक संज्ञाएँ जिनके अन्त में त्व, व , र्य, पा , पन , होता है पुल्लिंग होती हैं यथा –महत्व, लाघव, शौर्य, बुढापा, बचपन आदि.
- इकारांय शब्द प्रायः स्त्रीलिंग होते हैं-नदी, टोपी, रोटी. मोटी, पतली, छङी आदि.
- आई , इया ,आवट ,आहट , ता , प्रत्ययों से बने शब्द प्रायः स्त्रीलिंग होते हैं यथा-
भलाई, डिबिया, मिलावट, घबराहट, सुन्दरता.
- पुल्लिंग संज्ञा के साथ पुल्लिंग विशेषण , स्त्रीलिंग संज्ञा के साथ स्त्रीलिंग विशेषण प्रयुक्त होता है यथा-अच्छा लङका, अच्छी लङकी.
- हिन्दी में कर्ता के साथ ने विभक्ति होने पर क्रिया का लिंग, वचन कर्म के अनुसार होता है यथा-राम ने रोटी खाई (स्त्रीलिंग), राम ने दूध पिया (पुल्लिंग)
- पुल्लिंग शब्दों को स्त्रीलिंग बनाने के लिए ई, इनी, इन, नी, आनी, कमल-कमलिनी, धोबी-धोबिन, मोर-मोरनी, पंडित –पंडिताइन.
- युग्म शब्दों का लिंग निर्धारण अन्तिम शब्द के आधार पर किया जाता है-धोती-कुर्ता(पुल्लिंग), नर-नारी(स्त्रीलिंग).
- कुछ शब्द अर्थ की दृष्टि से समान होते हुए भी लिंग की दृष्टि से भिन्न होते हैं ,य़था-विदान् (पुल्लिंग) विदुषी (स्त्रीलिंग), महान(पुल्लिंग), महती (स्त्रीलिंग) वीर (पुल्लिंग) वीरांगना(स्त्रीलिंग), सम्राट (पुल्लिंग) सम्राज्ञी (स्त्रीलिंग)
लिंग सम्बन्धी अशुध्दियाँ और उनका निराकरण (UPTET Sample Papers)
अशुध्द वाक्य शुध्द वाक्य
- पूजनीय माताजी को प्रणाम पूजनीय माताजी को प्रणाम
- पुत्री पराया धन होता है पुत्री पराया धन होती है
- ताजा हवा अच्छी है ताजी हवी अच्छी है
- यह नई प्रकार का मशीन है यह नए प्रकार की मशीन है
- दही खट्टी है दही खट्टा है
- मैं आपकी सहायतार्थ आया हूँ आपके सहायतार्थ आया हूँ
- महादेवीजी विदान् कवि हैं महादेवीजी विदुषी कवियत्री है
- यह प्रणाली बदलना चाहिए यह प्रणाली बदलनी चाहिए
- तुम्हें मेरी बातों सीखना है तुम्हें मेरी बातें सीखनी हैं
- उसने सच गवाही दी थी उसने सच्ची गवाही दी थी
वचन
विकारी शब्दों के जिस रूप से उनकी संख्या अर्थात् एक या अनेक का बोध होता है, उसे वचन कहते हैं. कुछ तथ्य द्रष्टव्य हैं-
- हिन्दी में केवल दो वचन हैं –एकवचन और बहुवचन बनाने के लिए ए,एँ,याँ.ओं प्रत्यय जोङे जाते हैं यथा-लङका-लङके, बात-बातें , नदी- नदियाँ,साधु-साधुओं.
- कुछ शब्द नित्य बहुवचन हैं यथा-प्राण, दर्शन, आँसू, हाथ, हस्ताक्षर ,बाल,इसका प्रयोग सदैव बहुवचन में होता है जैस-
उन्होंने हस्ताक्षर कर दिये
मैंने बाल काट लिये सभी काले छपे शब्द बहुवचन में प्रयुक्त हैं
देवी के दर्शन कर लिये
उसके प्राण निकल गये
- कुछ शब्द नित्य एकवचन हैं यथा-जनता, सामान, माल, सामग्री, सोना, आदि. यथा-
माल लुट गया
सोना महँगा हो गया
जनता जाग गई सभी काले छपे शब्द एकवचन में प्रयुक्त हैं
सामग्री समाप्त हो गई
- एक का बहुवचन अनेक है अतः अनेक शब्द गलत है
वहाँ अनेकों लोग थे, ( अशुध्द)
वहाँ अनेक लोग थे,( शुध्द )
- आदरसूचक शब्दों के साथ सदैव बहुवचन का प्रयोग होता है,यथा- पिताजी आ रहै हैं.
तुलसी श्रेष्ठ कवि थे.
वचन सम्बन्धी अशुध्दियों का निराकरण (UPTET Notes)
अशुध्द वाक्य शुध्द वाक्य
- उसने हस्ताक्षर कर दिया उसने हस्ताक्षर कर दिये
- आँसू से रुमाल भीग गया आँसुओं से रुमाल भींग गया
- पिताजी जा रहा है पिताजी जा रहे हैं
- उसका पिता बीमार है उसके पिता बीमार हैं
- वृक्षों पर मोर बैठा है वृक्ष पर मोर बैठा है
- बुराइयाँ करना ठीक नहीं है बुराई करना ठीक नहीं है
- वहाँ कोई खङे हैं वहाँ कोई खङा है
- ये आकाशवाणी है यह आकाशवाणी है
- हम आपकी कृपाओं को कैसे हम आपकी कृपा को कैसे
भूल सकते हैं? भूल सकते हैं?
- तुम सबों को जाना है तुम सबको जाना है
कारक (Questions With Answers)
संज्ञा या सर्वनाम का वाक्य के अन्य पदों के साथ जो सम्बन्ध होता है,उसे कारक कहते हैं . हिन्दी में आठ कारक हैं जिनके चिन्ह इस प्रकार हैं-
कारक का नाम चिन्ह
- कर्ता ने
- कर्म को
- करण से(with) , के द्वारा
- सम्प्रदान को, के लिए
- अपादान से
- सम्बन्ध का, की , के
- अधिकरण में , पर
- सम्बोधन हे , अरे