UPTET Paper Level 1 Samanya Hindi Uccharangat Ashudhiya Question Answer Paper
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UPTET Paper Level 1 Samanya Hindi Uccharangat Ashudhiya Question Answer Paper
UPTET Paper Level 1 Samanya Hindi Uccharangat Ashudhiya Question Answer Paper
उच्चारण अशुद्धियाँ
(वर्तनी की भूलें)
बोलने और लिखने में होने वाली अशुद्धियाँ प्रायः दो प्रकार की होती हैं- व्याकरण सम्बन्धी तथा उच्चारण सम्बन्धी . यहाँ हम उच्चारण एवं वर्तनी सम्बन्धी महत्वपूर्ण त्रुटियों की ओर संकेत करेंगे. ये अशुद्धियाँ स्वर,व्यंजन एवं विसर्ग तीनों वर्गों से सम्बन्धित होती हैं. व्यंजन सम्बन्धी त्रुटियाँ वर्तनी के अन्तर्गत आ गई हैं. नीचे स्वर एवं विसर्ग सम्बन्धी अशुद्धियों की ओर इंगित किया गया है.
अशुद्धियाँ और उनके शुद्ध रूप
स्वर या मात्रा सम्बन्धी अशुद्धियाँ
अ, आ सम्बन्धी भूलें-
अशुद्ध रूप
शुद्ध रूप
अजमाइश
आजमाइश
अशीर्वाद
आशीर्वाद
तत्कालिक
तात्कालिक
अहार
आहार
इ, ई सम्बन्धी भूलें-
इ की मात्रा होनी चाहिए,ई की नहीं-
अशुद्ध रूप
शुद्ध रूप
अतिथी
अतिथि
कोटी
कोटि
कालीदास
कालिदास
अभीमान
अभिमान
इ की मात्रा छूट गई है, होनी चाहिए-
अशुद्ध रूप
शुद्ध रूप
कठनाई
कठिनाई
गृहणी
गृहिणी
वाहनी
वाहिनी
सरोजन
सरोजनी
संन्यासनी
संन्यासिनी
कुमुदनी
कुमुदिनी
नायका
नायिका
नीत
नीति
रचयता
रचयिता
साहित्यक
साहित्यिक
इ की मात्रा नहीं होनी चाहिए-
अशुद्ध रूप
शुद्ध रूप
अहिल्या
अहल्या
छिपकिली
छिपकली
वापिस
वापस
सामिग्री
सामग्री
दारिका
दारका
प्रदर्शिनी
प्रदर्शनी
रचनात्मिक
रचनात्मक
ई की मात्रा होनी चाहिए, इ की नहीं-
अदितिय
अदितिय
दिवाली
दीवाली
निरोग
नीरोग
महिना
महीना
निरिक्षण
निरीक्षण
निरसता
नीरसता
शताब्दि
शताब्दी
बिमारी
बीमारी
उ, ऊ सम्बन्धी भूलें-
अशुद्ध रूप
शुद्ध रूप
अनुदित
अनूदित
तुफान
तूफान
धूआँ
धुआँ
वधु
वधू
जरुरत
जरूरत
कूआ
कुआँ
दुसरा
दूसरा
सूई
सुई
रुई
रूई
गुरू
गुरु
द्रष्टव्य- हिन्दी में तदभव और विदेशी शब्दों के अन्त में ऊ की मात्रा लगती है, यथा-आसूँ , आडू, चालू, तम्बाकू, बदबू, बहू, लहू, शुरू, हिन्दू, डाकू इत्यादि.
ऋ सम्बन्धी भूलें-
अशुद्ध रूप
शुद्ध रूप
अनुग्रहीत
अनुगृहीत
उरिण
उऋण
द्रष्य
दृश्य
बृज
ब्रज
संग्रहीत
संगृहीत
बृटिश
ब्रिटिश
आदरित
आदृत
दृष्टा
द्रष्टा
पैत्रिक
पैतृक
श्रंगार
श्रृंगार
सृष्टा
स्रष्टा
प्रथक
पृथक
विशेष-ऋ का प्रयोग संस्कृत शब्दों में होता है, जैसे-ऋषि,कृति, कृतज्ञ, गृहस्थ, मृग, मातृभाषा, वृथा, हृष्टपुष्ट, वृद्धि, वृद्ध इत्यादि.
(ए,ऐ,अय) सम्बन्धी भूलें-
अशुद्ध रूप
शुद्ध रूप
नैन
नयन
चाहिये
चाहिए
दाइत्व
दायित्व
रचयता
रचयिता
नाइका
नायिका
सेनिक
सैनिक
भाषाऐं
भाषाएँ
अयसा
ऐसा
जै हिन्द
जय हिन्द
परलै
प्रलय
कवियत्री
कवयित्री
सैना
सेना
वय्याकरण
वैयाकरण
वैश्या
वेश्या
ई और यी सम्बन्धी भूलें-
अशुद्ध रूप
शुद्ध रूप
उत्तरदाई
उत्तरदायी
स्थाई
स्थायी
धराशाई
धराशायी
लङायी
लङाई
नई
नयी
विजई
विजयी
ओ, और, अव, आव सम्बन्धी भूलें-
अशुद्ध रूप
शुद्ध रूप
अक्षोहिणी
अक्षौहिणी
चुनाउ
चुनाव
व्योहार
व्यवहार
होले
हौले
व्योपार
व्यापार
गोतम
गौतम
झुकाउ
झुकाव
ओधौगिक
औधोगिक
क्यूँ
क्यों
अनुस्वार और अनुनासिक सम्बन्धी भूलें-
अशुद्ध रूप
शुद्ध रूप
अंधेरा
अँधेरा
गंवार
गँवार
आँदोलन
आंदोलन
गाँधी
गांधी
सँस्कृत
संस्कृत
द्रष्टव्य-कभी-कभी ये चिन्ह् अकारण और व्यर्थ लगा दिए जाते हैं, जैसे-दुनियाँ, जाँति-पाँति, सोंचो ,पूँछकर, मामां आदि. इनके शुद्ध रूप हैं-दुनिया, जाति-पाँति, सोचो, पूछकर, मामा आदि.
पंचम वर्ण का प्रयोग-ङ्, ज्,ण्, न्, म् को पंचमाक्षर कहते हैं. ये अपने वर्ग के व्यंजन के साथ प्रयुक्त होते हैं, यथा-
अशुद्ध रूप
शुद्ध रूप
कन्घा
कंघा
झन्डा
झंडा
सन्मुख
सम्मुख
दन्ड
दण्ड
सम्वाद
संवाद
सन्सार
संसार
चन्चु
चञ्चु
सम्वत्
संवत्
सेन्टर
सेंटर, सेण्टर
कन्ठ
कंठ, कण्ठ
सन्शय
संशय
द्रष्टव्य- हम स्वयं देख सकते हैं पंचमाक्षर के स्थान पर न का प्रयोग अशुद्ध है. इसके स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग शुद्ध है.