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UPTET Paper Level 1 Samanya Hindi Vakya Vichar Question Answer Paper

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वाक्य विचार

वाक्य का सामान्य परिचय– मनुष्य के विचारों को पूर्णतया प्रकट करने वाले पद समूह को वाक्य कहते हैं. वाक्य सार्थक शब्दों का व्यवस्थित रूप है. वाक्य वस्तुतः भाषा की इकाई है. वाक्य ही भाषा को सार्थकता एवं प्राणवत्ता प्रदान करता है.

परिभाषा-संस्कृत के प्रसिद्ध वैयाकरण पतंजलि के अनुसार पूर्ण अर्थ की प्रतीति कराने वाले शब्द-समूह को वाक्य की संज्ञा दी गई है. अतएव वाक्य उस व्यवस्थित शब्द अथवा पद-समूह को कहते हैं, जो  वक्ता अथवा लेखक के कथ्य को पूर्णता एवं स्पष्टता के साथ व्यक्त कर सके.

आवश्यक  तत्व-वाक्य में आकांक्षा , योग्यता और क्रम का होना आवश्यक है. वाक्य से एक पद को सुनकर दूसरे पद को सुनने या जानने की जो स्वाभाविक उत्कंठा जगती है, उसे आकांक्षा कहते हैं.

वाक्य में योग्यता का तात्पर्य है- पदों के अर्थबोधन की सामर्थ्य. जब वाक्य का प्रत्येक पद या शब्द अर्थबोधन में सहायक हो तो समझना चाहिए कि वाक्य में योग्यता वर्तमान है.

आकांक्षा और योग्यता के विधान को पूर्णता प्रदान करने वाला तत्व ‘क्रम’ है. वाक्यों में प्रयुक्त पदों या शब्दों की विधिवत् स्थापना को क्रम कहते हैं.

उदाहरण के लिए यह वाक्य लेते हैं-‘किताब मैंने पढी’ तो प्रश्न उठता किसने किताब पढी ? अतः मैंने शब्द आकांक्षा की पूर्ति करता है. वाक्य में प्रत्येक शब्द सार्थक है. अतः वाक्य में योग्यता है, परन्तु इसका क्रम अव्यवस्थित है. नियमानुसार वाक्य इस प्रकार होना चाहिए था- ‘मैंने किताब पढी’.-इस रूप में वाक्य को कर देने से क्रम की व्यवस्था हो जाती है.

वाक्य की  सामान्य विशेषताओं को लक्ष्य करके हम कह सकते हैं कि वाक्य सुनियोजित , सुगठित, सरल और नियमानुकूल होना चाहिए. इस सन्दर्भ में एक बात विशेष रूप से ध्यान में रखने योग्य है कि वाक्य में एक भी शब्द आवश्यकता से कम या अधिक न आने पाए. कर्णप्रियता एवं प्रवाह वाक्य को विशिष्टता प्रदान करते हैं.

रचना के अनुसार वाक्य तीन प्रकार के होते हैं-

  • सरल या साधारण वाक्य,(2) मिश्र वाक्य और (3) संयुक्त वाक्य.
  1. सरल या साधारण वाक्य- जिस वाक्य में एक ही क्रिया होती है, उसको साधारण या सरल वाक्य कहते हैं,

साधारण वाक्य में केवल एक उद्देश्य और एक विधेय रहता है, जैसे-बिजली चमकती है, राम पढता है. इन वाक्यों में बिजली और राम कर्ता (उद्देश्य) है तथा चमकती है और पढता है-(विधेय) क्रिया है.

  1. मिश्र वाक्य-जिस वाक्य में एक साधारण वाक्य के अतिरिक्त उसके अधीन एक या एक से अधिक खण्ड वाक्य हों, उसको मिश्र वाक्य कहा जाता है. सरल वाक्य को मुख्य वाक्य और अधीन खण्ड वाक्यों को उपवाक्य कहा जाता है. इस प्रकार मिश्र वाक्य में मुख्य उद्देश्य और मुख्य विधेय को अतिरिक्त अऩ्य एक या अधिक क्रियाएँ भी रहती हैं. उदाहरण-‘वह कौनसा भारतवासी है जिसने महात्मा गांधी का नाम सुना हो.’ इस  वाक्य में ‘वह कौनसा भारतवासी है’ मुख्य वाक्य है तथा ‘जिसने महात्मा गांधी का नाम न सुना हो’ –सहायक या उपवाक्य है.

मुख्य और सहायक वाक्य में अन्तर यह होता है कि मुख्य  वाक्य का अर्थ अपने आप निकल आता है, किन्तु सहायक वाक्य  का अर्थ तब तक अपूर्ण  रहता  है जब तक उसे मुख्य वाक्य से साथ न रखा जाए.

  1. संयुक्त वाक्य- जिस वाक्य में साधारण अथवा मिश्र वाक्यों का मेल संयोजक अवयवों द्वारा होता है, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं. ये वाक्य अपेक्षाकृत लम्बे और उलझे हुए होते हैं, दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि दो या अधिक मिश्र वाक्यों के मिलने पर संयुक्त वाक्य बनते हैं और उनका प्रत्येक वाक्य अर्थ की दृष्टि से स्वतन्त्र होता है. संयोजक द्वारा जुङे रहना ही संयुक्त वाक्य की विशेषता या पहचान होती है. उदाहरण –मैं बाजार से आ रहा था कि आप रास्ते में मिल गए और मैं आपको घर लिवा गया. इसी प्रकार ‘मैं’ आया और वह गया’ में दो सरल वाक्य और संयोजक द्वारा जुङे हुए हैं उनके प्रत्येक अर्थ की दृष्टि से स्वतन्त्र हैं. अतः यह एक संयुक्त वाक्य है. व्याकरण में इस प्रकार के मुख्य और स्वतन्त्र वाक्यों को समानधिकरण उपवाक्य भी कहते हैं.

वाक्य का रूपान्तर-अर्थ में कोई विकार अथवा परिवर्तन किए बिना जब वाक्य के स्वरूप को बदल दिया जाए और उसमें व्याकरण के नियमों की अवहेलना भी न हो, तो उसको वाक्य  परिवर्तन कहते हैं. हम किसी भी वाक्य को भिन्न-भिन्न वाक्य प्रकारों में परिवर्तित कर सकते हैं और उनके मूल अर्थ में जरा भी विकार नहीं आएगा.

वाक्य परिवर्तन कई प्रकार के होते हैं. एक सरल वाक्य को मिश्र या संयुक्त वाक्य में बदला जा सकता है. एक मिश्र वाक्य को संयुक्त अथवा सरल वाक्य में बदला जा सकता है तथा एक संयुक्त वाक्य को सरल अथवा मिश्र वाक्य में परिवर्तित किया जा सकता है. इसी प्रकार कृर्तवाचक वाक्य को कर्मवाचक और भाववाचक के रूप में भी परिवर्तित किया जा सकता है. उपर्युक्त विधि, निषेध, प्रश्नवाचक आदि वाक्यों के रूप या प्रकार में भी परिवर्तन किया जा सकता है. हम केवल रचना के आधार पर वाक्य प्रकारों के स्वरूप परिवर्तन पर विचार करते हैं.

सरल वाक्य से मिश्र वाक्य

सरल वाक्य-उसने अपने से पुस्तक ली.

मिश्र वाक्य-उसने वह पुस्तक ली जो उसके मित्र की थी.

सरल वाक्य-अच्छे लङके जल्दी सोकर उठते हैं.

मिश्र वाक्य– वे लङके अच्छे होते हैं , जो सोकर जल्दी उठते हैं.

सरल वाक्य-श्रेष्ठ कलाकार का सम्मान सर्वत्र होता है.

मिश्र वाक्य-उस कलाकार का सम्मान सर्वत्र होता है, जो श्रेष्ठ होता है.

सरल वाक्य से संयुक्त वाक्य

सरल वाक्य-तैयारी न होने के कारण वह परीक्षा में नहीं बैठा.

संयुक्त वाक्य- उसकी तैयारी पूरी न थी और वह परीक्षा में नहीं बैठा.

सरल वाक्य-सूर्यास्त के उपरान्त खेल समाप्त हो गया.

संयुक्त वाक्य-सूर्यास्त हुआ और खेल समाप्त हो गया.

सरल वाक्य- लङके को कक्षा से खिसकते हुए अध्यापक ने देख लिया.

संयुक्त वाक्य-लङका कक्षा से खिसका और अध्यापक ने उसको देख लिया.

मिश्र वाक्य से सरल वाक्य

मिश्र वाक्य-उसने कहा कि मैं निर्दोष हूँ.

सरल वाक्य-उसने अपने को निर्दोष कहा.

मिश्र वाक्य-मुझे बताओ कि तुम किस जगह और किस महाविधालय में पढे हो.

सरल वाक्य-तुम मुझे अपने विधाध्ययन के स्थान व महाविधालय का नाम बताओ.

मिश्र वाक्य-यह वही लङका है जिसके बारे में मैंने तुमसे कहा था.

सरल वाक्य-मैंने तुमसे इसी लङके के बारे मे कहा था.

संयुक्त वाक्य से मिश्र  वाक्य

संयुक्त वाक्य-वह स्टेशन पहुँचा और गाङी छूट गई.

मिश्र  वाक्य- वह ज्यों ही स्टेशन पहुँचा , त्योंही गाङी छूट गई.

संयुक्त वाक्य-लल्लाजी ने लाठी चलाई और उनकी कलाई में भारी चोट आई.

मिश्र वाक्य-लल्लाजी की कलाई तब टूटी , जब उन्होंने लाठी चलाई.

संयुक्त वाक्य-तुलसी ने कविता की और सूर ने मंत्र लिखे.

मिश्र वाक्य-तुलसी और सूर ने जो कुछ लिखा, उसको क्रमशः कविता और मंत्र कहा जाता है.

संयुक्त वाक्य से सरल वाक्य

संयुक्त वाक्य- श्याम रोने लगा और मैं उसको नहीं देख सका.

सरल वाक्य- मुझसे श्याम का रोना नहीं देखा गया.

संयुक्त वाक्य- विदेश में पहुँच जाने से उसका अपना घर छूट गया और वह बहुत दुःखी हुई.

सरल वाक्य-विदेश में अपना घर छोङकर जाने पर वह बहुत दुःखी हुई.

वाक्य रचना के कुछ महत्वपूर्ण नियम- वाक्य को सुव्यवस्थित और सरल रूप दे देने को व्याकरण में पदक्रम कहते हैं. निर्दोष वाक्य  लिखने के कुछ नियम हैं. इनकी सहायता से शुद्ध वाक्य  लिखना एक सहज स्वाभाविक कार्य बन जाता है.

शुद्ध वाक्य-रचना के कुछ नियम

विषय-प्रवेश-वाक्य को सुव्यवस्थित और सन्तुलित रूप देने को , वाक्य रचना की प्रक्रिया को व्याकरण में (पारिभाषिक शब्दावली) में पदक्रम कहा जाता है. वाक्य में कौनसा पद (शब्द) कहाँ रखा जाए- इसके कुछ नियम हैं. इनकी सहायता से शुद्ध वाक्य लिखने का प्रयास किया जाना चाहिए. सुव्यवस्थित वाक्य रचना के लिए तीन बातों का ध्यान विशेष रूप से रखना होता है-क्रम, अन्वय, और प्रयोग . इनसे सम्बन्धित कुछ नियमों की चर्चा यहाँ की जाती है-

  1. क्रम-वाक्य में सार्थक शब्दों(पदों) को यथास्थान रखने की क्रिया को क्रम अथवा पदक्रम कहा जाता है. इसके कुछ सामान्य नियम निम्नलिखित प्रकार हैं-
  • क. वाक्य के आरम्भ में कर्ता , मध्य में कर्म और अन्त में क्रिया होनी चाहिए. उदाहरण के लिए-श्रीराम सीता के साथ वन को गए.
  • ख. उद्देश्य(कर्ता) तथा विधेय(कर्म और क्रिया) की विशेषता बताने वाले शब्दों (विस्तार) को उनके पहले रखना चाहिए. उदाहरणतः –पंडित नेहरू की इकलौती पुत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपने विपक्षियों को मध्यावधि चुनाव में बुरी तरह ध्वस्त कर दिया . इस वाक्य में ‘पंडित नेहरू की इकलौती पुत्री’ वाक्य खण्ड कर्ता श्रीमती इन्दिरा गांधी अर्थात् कर्ता का विस्तार करता है और उसके पहले आया है.अपने विपक्षियों (कर्म) की विशेषता बताता है और कर्म के पहले है. बुरी तरह ध्वस्त कर दिया क्रिया की विशेषता बताता है और उक्त क्रिया के पहले आया है.
  • ग. कर्ता और कर्म के बीच अधिकरण, अपादान, सम्प्रदान और करण कारक को क्रमशः रखा जाता है, यथा-
  • घ. सम्बोधन वाक्य के आरम्भ में आता है-‘अरे राम तू यहाँ से भाग जा.’
  • ङ. विशेषण को विशेष्य (संज्ञा या सर्वनाम) के पहले रखा जाता है-‘उसकी पीली पेन्सिल बहुत सुन्दर है.’
  • च. क्रिया विशेषण को क्रिया के पहले रखा जाता है-‘ वह बहुत तेज गति से लिखता है.’
  • छ. प्रश्नावाचक शब्द या पद (शब्द) उसी संज्ञा या सर्वनाम के पहले रखा जाता है, जिसके बारे में कुछ पूछा जाता है. जिज्ञासा की जाती है. प्रश्नसूचक चिन्ह वाक्य के अन्त में यानी क्रिया के बाद लगाया जाता है-‘क्या तुम कल मुम्बई जाओगे.’
  1. अन्वय-वाक्य में लिंग , वचन, काल और पुरुष आदि के अनुसार विभिन्न पदों(शब्दों में जो सम्बन्ध स्थापित किया जाता है, उसे मेल या अन्वय कहा जाता है. यह मेल कर्ता और क्रिया का, कर्म और क्रिया का एवं संज्ञा और सर्वनाम का होता है.
  • कर्ता और क्रिया का मेल-इस सन्दर्भ में निम्नलिखित नियमों का पालन किया जाता है-
  • क. यदि का प्रयोग विभक्ति रहित हो, तो उसके लिंग , वचन, और पुरुष के ही अनुरूप क्रिया के भी लिंग , वचन, व पुरुष होंगे, उदाहरण के लिए-सीता ने पुस्तक पढी, राम ने दही खाया अथवा श्याम पुस्तक पढता है.
  • ख. यदि वाक्य में विभक्ति रहित एक से अधिक कर्ता हों और अन्त में ‘और’ संयोजक शब्द आया हो तो इन कर्ताओँ की क्रिया उसी लिंग के बहुवचन में होगी, जैसे-मोहन, सोहन, और रोहन खाना खाते हैं. सीता, गीता,रीता और सुनीता स्कूल जा रही हैं.
  1. द्रष्ट्व्य-यदि अन्तिम कर्ता विपरीत लिंग का हो तो क्रिया में लिंग परिवर्तन हो जाएगा , यथा-राम, लक्ष्मण, और सीता वन को गईं.
  2. यदि दो भिन्न लिंग वाले विभक्ति रहित कर्ता प्रयुक्त हों और उनके बीच में संयोजक शब्द और अथवा द्न्द समास के रूप में प्रयुक्त होगी, जैसे-राधा और कृष्ण रास लीला करते हैं, श्रीराम के वियोग में अयोध्या के नर-नारी चौदह वर्षों तक रोते रहे.
  • ग. यदि वाक्य में लिंगों ओर एकवचन के कर्ता प्रयुक्त हों तो क्रिया बहुवचन में प्रयुक्त होगी, किन्तु उसका लिंग कर्ता के अनुसार होगा. जैसे –लङके और लङकियाँ एक साथ खेल रही हैं.
  • घ. वाक्य में यदि अनेक कर्ताओँ का प्रयोग हुआ हो और उनके मध्य विभाजक समुच्चय बोधक अव्यय ‘या’ अथवा ‘व’ का प्रयोग हुआ हो तो क्रिया का लिंग और वचन अन्तिम कर्ता के लिंग और वचन के अनुसार होगा. जैसे –आज हमने तीन पुस्तकें और चार कुर्ते खरीदें.
  • ङ. यदि उत्तम पुरुष, मध्यम पुरुष और अन्य पुरुष एक वाक्य में कर्ता बनकर आए हों, तो क्रिया उत्तम पुरुष, के अनुसार होगी, यथा- वह, हम और आप जाएंगे.
  1. कर्म और क्रिया का मेल-इस सम्बन्ध में निम्नलिखित नियम महत्वपूर्ण हैं-
  • क. यदि वाक्य में कर्ता ‘ने’ विभक्ति से युक्त हो और कर्म के साथ उसकी ‘को’ विभक्ति न हो, तो उसकी क्रिया कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार होगी, जैसे-आशा ने दूध पिया.
  • ख. यदि कर्ता और कर्म दोनों विभक्ति चिन्हों(क्रमशः ने और को) से युक्त हों, तो क्रिया सदा एकवचन , पुल्लिंग और अन्य पुरुष में होगी, उदाहरणतः तुमने रोटी खाई.
  • ग. यदि कर्ता ‘को’ प्रत्यय से युक्त हो और कर्म के स्थान पर कोई क्रियार्थक संज्ञा जाए, तो क्रिया सदा पुल्लिंग, एकवचन और अन्य पुरुष में होगी, जैसे-गणेशी को खाना बनाना नहीं आता है.
  • घ. यदि एक ही लिंग-वचन के अनेक प्राणिवाचक विभक्ति रहित कर्म एक साथ आएं तो क्रिया उसी लिंग में बहुवचन में होगी, जैसे –श्याम ने किताबें और कापियों मोल लीं.
  • ङ. यदि एक ही लिंग-वचन के अनेक प्राणिवाचक –‘अ’ प्राणिवाचक अप्रत्यय कर्म एक साथ एकवचन में आएं तो क्रिया भी एकवचन में होगी, जैसे-मैंने एक घोङा और एक बैल खरीदा.
  • च. यदि वाक्य में भिन्न-भिन्न लिंग के अनेक प्रत्यय कर्म आएं और ‘वे’ और ‘से’ जुङे हो तो क्रिया अन्तिम कर्म के लिंग और वचन में होगी. जैसे-मैंने मिठाई और पापङ खाए.
  • संज्ञा और सर्वनाम का मेल-इस सम्बन्ध में निम्नलिखित नियम ध्यान में रखने चाहिए-
  • क. सर्वनाम उस संज्ञा का अनुसरण करता है जिसके बदले में उसका प्रयोग होता है. अतः उसके लिंग , वचन और पुरुष संज्ञा के अनुसार ही होंगें.
  • ख. वाक्य मे अगर अनेक संज्ञाओं के स्थान पर एक ही सर्वनाम प्रयुक्त रहता है, तो उसके लिए लिंग और वचन संज्ञाओं के लिंग और वचन के अनुसार होते हैं. उदाहरणार्थ-(i) ये उस लङके के ही थे.(ii)सोहन ने कहा कि मैं भोजन कर रहा हूँ.

निर्देश-नीचे कुछ अशुद्ध वाक्य दिए गए हैं. उनका शुद्ध रूप लिखिए और यह भी इंगित कीजिए कि उनको किस नियम के अन्तर्गत शुद्ध किया गया है.

  1. रामू मिठाई खाती है.
  2. आशा, कृष्णा और ऊषा जा रही है.
  3. कृष्ण-राधा आईं.
  4. शेर और गाय एक साथ पानी पीती हैं.
  5. एक लङका, दो जवान और कई महिलाएँ आते हैं.
  6. राम की एक कुर्सी और दस बन्दूक बिकेगी.
  7. वह, आप और मैं दिल्ली चलूँगा.
  8. उसने गाली दिया.
  9. पिताजी ने अपने बेटी को बुलायी.
  10. तुमको खीर बनाना नहीं आती.
  11. श्याम ने गायें और भैंसे मोल लिए.
  12. मैंने मिठाई और दही खिलाया.
  13. लङके वही हैं.
  14. राम, शीला,और सीता आईँ और वे बीमार हो गईं.
  15. मैंने आज तक किसी भी प्रकार का झूठ नहीं बोला है.
  16. कोई भी व्यक्ति मृत्यु पर विजय प्राप्त नहीं कर सकता है.
  17. श्याम लाठी के द्वारा पशुओँ की रखवाली करता है.
  18. हम द्वारा डाक आपको रुपये भेज देंगे.
  19. तुम लोग अंधा नहीं है.
  20. छत के ऊपर सब लोग बैठे हैं.
  21. आजादी के पीछे की दो महत्वपूर्ण घटनाओं का नाम बताइए.

उत्तरमाला

  1. शुद्ध वाक्य-रामू मिठाई खाता है.

नियम-कर्ता विभक्ति रहित है. अतः उसकी क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष कर्ता के लिंग , वचन और पुरुष के अनुसार होते हैं.

  1. शुद्ध वाक्य-आशा, कृष्णा और ऊषा जा रही हैं.

नियम-वाक्य में एक ही लिंग, वचन, और पुरुष के विभक्ति रहित कर्ता हों और अन्तिम कर्ता के पहले ‘और’ संयोजक आया हो, तो इन कर्ताओं की क्रिया उसी लिंग के बहुवचन में होगी.

  1. शुद्ध वाक्य-कृष्ण –राधा आए.

नियम-यदि वाक्य में दो भिन्न लिंगों के कर्ता हों और दोनों द्न्द समास के अनुसार प्रयुक्त हों, तो उनकी क्रिया पुल्लिंग बहुवचन में होगी.

  1. शुद्ध वाक्य-शेर और गाय एक साथ पानी पीते हैं.

नियम- यदि वाक्य में दो भिन्नृ-भिन्न विभक्ति रहित कर्ता हों और दोनों के बीच और संयोजक आए तो उनकी क्रिया पुल्लिंग और बहुवचन में होगी.

  1. शुद्ध वाक्य-एक लङका, दो जवान और कई महिलाएँ आती हैं.

नियम-यदि वाक्य में दोनों वचनों और लिंगो के अनेक कर्ता हों तो क्रिया बहुवचन में होगी और उनका लिंग अन्तिम कर्ता के अनुसार होगा.

  1. शुद्ध वाक्य-राम की एक कुर्सी और दस सन्दूक बिकेंगे.

नियम-यदि वाक्य में अनेक कर्ताओँ के बीच विभाजक समुच्चयबोधक अव्यय या अथवा वा रहे तो क्रिया अन्तिम कर्ता के लिंग और वचन के अनुसार होगी.

  1. शुद्ध वाक्य वह, आप और मैं दिल्ली चलेंगे.

नियम-यदि उत्तम पुरुष, मध्यम पुरुष और अन्य पुरुष एक वाक्य में कर्ता बनकर आएं तो क्रिया उत्तम पुरुष के अनुसार होगी.

  1. शुद्ध वाक्य-उसने गोली दी.

नियम-यदि  वाक्य में कर्ता ने विभक्ति से युक्त हो और  कर्म के साथ को विभक्ति न हो , तो उसकी क्रिया कर्म के लिंग , वचन और पुरुष के अनुसार होगी.

  1. शुद्ध वाक्य-पिताजी ने अपनी बेटी को बुलाया.

नियम-यदि कर्ता और कर्म दोनों विभक्तियों से युक्त हों तो क्रिया सदैव एकवचन, पुल्लिंग और अन्य पुरुष में होगी.

  1. शुद्ध वाक्य-तुमको खीर बनाना नहीं आता.

नियम-यदि कर्ता ‘को’ प्रत्यय से युक्त हो और क्रम के स्थान पर कोई क्रियावाचक संज्ञा आए, तो क्रिया सदा पुल्लिंग , एकवचन और अन्य पुरुष में होगी.

  1. शुद्ध वाक्य-मैंने मिठाई और दही खिलाई.

नियम-वाक्य में भिन्न-भिन्न लिंग के अनेक प्रत्यय कर्म आएं और वे और जुङे हों , तो क्रिया अन्तिम कर्म के लिंग और वचन के अनुसार होगी.

नोट-दही के स्थान पर यदि समोसे शब्द होता, तो क्रिया पद खिलाया के स्थान पर खिलाए होगा.

  1. शुद्ध वाक्य-लङके वे ही हैं.

नियम- सर्वनाम के लिंग, वचन और पुरुष उस संज्ञा के अनुसार होंगे जिसके स्थान पर ही सर्वनाम  आए तो वह पुल्लिंग बहुवचन में होगा.

  1. शुद्ध वाक्य-मैंने आज तक किसी प्रकार का झूठ नहीं बोला है.

नियम-‘किसी’ के साथ भी का प्रयोग अशुद्ध है.

  1. शुद्ध वाक्य- कोई व्यक्ति मृत्यु पर विजय प्राप्त नहीं कर सकता है.

नियम-‘कोई’ के साथ भी का प्रयोग अशुद्ध है.

  1. शुद्ध वाक्य- श्याम लाठी द्वारा पशुओं की रखवाली करता है.

नियम-‘द्वारा’ के बाद किसी विभक्ति अथवा प्रत्यय का प्रयोग नहीं होता है.

  1. शुद्ध वाक्य-हम डाक द्वारा आपके रुपए भेज देंगे.

नियम- किसी व्यक्ति के माध्यम से जब कोई काम होता है, तब संज्ञा के बाद द्वारा का प्रयोग होता है.

  1. शुद्ध वाक्य-सब लोग अंधे नहीं हो.

नियम-सब और लोग सामान्यतः बहुवचन में प्रयुक्त होते हैं.

  1. शुद्ध वाक्य-छत पर सब लोग बैठे हैं.

नियम-ऊपर का प्रयोग विशेष ऊँचाई का बोधक है. सामान्य ऊँचाई के संदर्भ में पर का ही प्रयोग होता है.

  1. शुद्ध वाक्य-आजादी के बाद की दो महत्वपूर्ण घटनाओँ के नाम बताइए.

नियम-पीछे का प्रयोग स्थान का अंतर बताता है. काल का अन्तर बताने के लिए बाद का प्रयोग किया जाता है.

निर्देश-निम्नलिखित वाक्यों में कुछ वाक्य त्रुटिपूर्ण वाक्यों के जिस अंश मे त्रुटि हो उसके अनुरूप अक्षर (A),(B),(C) वाले वृत्त में निर्देशानुसार चिन्ह लगाइए. यदि वाक्य त्रुटिरहित है, तो (D) वाले वृत्त पर चिन्ह लगाइए.

  1. इस कहानी में कहानीकार का उद्देश्य/दहेज समस्या/ पर प्रकाश डालता है. कोई त्रुटि नहीं है.
  • (B)                   (C)                               (D)
  1. कोई भी पाठक/‘रामचरित मानस’ जैसे काव्य पढकर/ आनंद का आभास कर सकता है.

                                                                                                                        कोई त्रुटि नहीं

  • (B)                                           (C)                               (D)
  1. माता-पिता का प्रणय भी/ ऐसे बच्चों के प्रति स्वाभाविक है/ जो उनके आज्ञावर्ती होते हैं.

                                                                                                                        कोई त्रुटि नहीं.

  •                         (B)                                           (C)                   (D)      
  1. यह जरूरी नहीं है/ कि गरीब घर में पैदा होने वाला/ बालक आजन्म-पर्यन्त गरीब ही रहे.

                                                                                                                        कोई त्रुटि नहीं.

  • (B)                                           (C)                                           (D)      
  1. बात कटु हो या मधुर/ परन्तु यह है सत्य ह कि/ आदमी वहीं तक जाता है जहाँ तक जाने की                                                                         उसमें भौतिक क्षमता हो.     कोई त्रुटि नहीं

स्वतन्त्रता-संग्राम में मार्ग-दर्शन के लिए/महात्मा गांधी का देश/ सर्वदा आभारी रहेगा.  कोई त्रुटि नहीं.

गर्मी की उस दोपहरी में/ भीषण अग्निकाण्ड देखकर/ मेरा तो प्राण निकल गया.           कोई त्रुटि नहीं.

संक्षेपीकरण करने  की कला में/ पारंगत होने के लिए/ विधार्थियों को इसका निरन्तर अभ्यास करना चाहिए.       कोई त्रुटि नहीं.

आपका पत्र मिला / और आशा करता हूँ कि भविष्य में भी इसी प्रकार/ तुम्हारा कृपापत्र मिलता रहेगा.            कोई त्रुटि नहीं.

बुरे-सा बुरा आदमी भी/ अपने पारिवारिक सदस्यों के प्रति/ सदभाव रखता है.       कोई त्रुटि नहीं.

जो भाषा की/ शोभा में बढाए/ उसे अलंकार कहते है               कोई त्रुटि नही.

निर्देश- निम्नलिखित वाक्यों के किसी खण्ड में कोई त्रुटि है उसे छाँटिए.

जिस  प्रकार आभूषणों के द्वारा / शरीर की शोभा बढ जाती है, / उसी प्रकार अंलकारों से / भाषा में लालित्य आ जाता है.

तलवार रुधिर से / अपनी प्यास बुझाने के लिए / बिजली की भाँति / लपक रही है.

काव्य की शोभा / अथवा चमत्कार/ कभी  शब्दों में होता है / और कभी अर्थों में.

गांधीजी / पक्के ईश्वर / के भक्त / थे.

हमें / परस्पर एक दूसरे / की सहायता / करनी चाहिए.

जेठ की दोपहरी में / सोहन को घूमता देखकर / मैंने सोहन को / फटकारा.

अधिकांश/ आम / खट्टे / निकले.

मृतप्राय साँप / को चलते देखकर / मैं / स्तब्ध रह गया.

मैंने उसे /  स्मरण दिलाया / कि उसको आज / भाषण करना है.

तुम / कभी भी / आओ, / मैं तुमको घर ही मिलूँगा.

इस समय / श्री रामसलाल की आयु / कम से कम / 70 वर्ष है.

मोहन की माताजी / एक / विदान / महिला हैं.

स्कूल की छात्राओं / ने 15 अगस्त के अवसर पर अच्छे / गीत / गाया.

वह लङका / पढने के बहाने से / नित्य सबेरे घर से / निकल जाता है.

शीर्षक को चयन / करते समय अनुच्छेद में निहित / भावों और विचारों की / परख  कर लेनी चाहिए.

शीर्षक को छोटा, / आकर्षक और विषय से / सम्बद्ध / रखना चाहिए.

समय वह विभूति है / जो प्रत्येक मनुष्य / कोई ईश्वर से / मिली है.

सच तो यह है कि / समय को नष्ट करना / एक  प्रकार की / आत्महत्या है.

समय का सदुपयोग / द्वारा / मनुष्य देवता / बन जाता है.

सांस्कृतिक जागृति / के पीछे / राष्ट्रीय / जागृति आती है.

बिगुल बजाकर / सिपाही को जगाने और होश दिलाने वाले का काम / जितने महत्व का है, कम से कम उतना ही महत्व उस आदमी का है, जो सिपाही को ठीक ढंग से  वर्दी पहनाकर और कदम मिलाकर/ चलने की तमीज पढाता है.

यंत्रों को आजकल / मूल्यवान माना जाता है / और मनुष्य कौङी के मोल / बिकता है.

मनुष्य के व्यापार / करना मानवता को / कलंकित / करना है.

कृपया आप ही / यह बताने की कृपा करें / कि बम्बई कब / चलना है.

जो मनुष्य / राष्ट्र-प्रेमी होता है / उसको देश की एक –न-एक वस्तु से / प्रेम हो जाता है.

मनुष्य पर / जब तक दुःखी नहीं आता / तब तक वह / अभिमानी रहता है.

धर्म के नाम पर / आर्थिक लाभ उठाना / धर्म को कलुषित / करना है.

ईश्वर और धर्म के नाम पर / अनेक / अंधविश्वासों का / अभ्युदय हुआ.

हर भाषा यदि / किसी अन्य के लिए केवल भाषा है तो अपने आपके लिए / मातृभाषा भी होती है.

संसार के / प्रत्येक कोने-कोने / में अनगिनत भाषाएँ / बोली और लिखी जाती हैं.

संक्षेपण में / समानार्थ शब्दों को / हटाकर / रख देना चाहिए.

अच्छी भाषा लिखने के उत्सुक / व्यक्तियों को अप्रचलित एवं अव्यावहारिक / शब्दों को / प्रयोग नहीं करना चाहिए.

क्रोध के वशीभूत व्यक्ति / पागल की भाँति / अपना विवेक / काम में नहीं लाता है.

उसको व्यर्थ / बेकार में / सहायता देकर / कोई  लाभ न होगा.

आटा पिसाने के लिए / उसको घर  से / लगभग 5 किलोमीटर / जाना पङता है.

कल 25 तारीख को / कौन / तारीख / होगी ?

गोस्वामी तुलसीदास / का निधन / सम्वत् 1680 में / हुआ था.

तुमको इस समय / मुझसे बेफिजूल / बातें नहीं / करनी चाहिए.

उसने / अतिथि / को एक गेंदे / की  माला पहनाई.

ब्रज के नर-नारी / श्रीकृष्ण के वियोग में / जीवन भर / रोती रहीं.

उसने अपनी /  भूल के लिए / क्षमा की / भीख माँगी.

उत्तरमाला

1. (C)   2. (C)   3. (A)    4. (C)   5. (C)   6. (B)    7. (C)   8. (A)    9. (C)   10. (A)    11. (B)    12. (A)    13. (C)   14. (C)   15. (B)    16. (B)    17. (C)   18. (A)    19. (B)    20. (B)    21. (B)    22. (B)    23. (C)   24. (D)   25. (B)    26. (A)    27. (D)   28. (A)    29. (B)    30. (A)    31. (B)   32. (D)   33.   (D)   34. (A)    35. (B)    36. (C)   37. (D)   38. (C)    39. (D)    40. (C)    41. (B)      42. (C)      43. (C)     44. (D)     45. (B)    46. (A)    47. (C)       48. (C)       49. (B)       50. (C)       51. (D)       52. (D)     

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