निर्देश-दिए गए वाक्यों के पहले और अन्तिम भागों को (1) और (6) की संज्ञा दी गई है. इनके बीच में आने वाले अंशो को चार भागों में बाटँकर य,र,ल, व की संज्ञा दी गई है. ये चारों भाग उचित क्रम में नहीं हैं. वाक्य को ध्यान से पढकर दिए गए विकल्पों में से उचित क्रम चुनिए, जिससे वाक्य त्रुटिहीन एवं पूर्ण बन जाए और निर्देशानुसार उत्तर-पत्र में चिन्ह् लगाइए.
- श्रीकृष्ण का त्रिभुवन मोहन
(य) चित्रांकन करती सी ही
(र) और चित्र-विचित्र है कि उनकी हर लीला
व्यक्तित्व , ऐसा नानारंगी , इन्द्रधनुषी
हर भंगिमा, अनायास ही एक अमिट प्रतीत होती है.
य र ल व
ल य र व
ल र व य
ल व य र
प्रतिभा और परिश्रम
जन्म होता है, जो श्रवण अथवा
दोनों के सामंजस्य से एक श्रेष्ठ
पठन-पाठन से सहृदय मन
गरिमामयी और प्रभावी कृति का
को वशीभूत कर लेती है
र व य ल
य र व ल
ल व य र
व य र ल
राष्ट्रपति महात्मा गांधी का चरित्र
करता रहेगा जो अपने कर्मों पर विश्वास कर
उन उत्साही व्यक्तियों के लिए मार्गदर्शन का कार्य
और समाज को अपने अनुसार चलने के लिए
आत्मशक्ति से समाज में अपना स्थान बनाते हैं
बाध्य करते हैं
य ल व र
व य ल र
र य व ल
य व र ल
इस वस्तुस्थिति में
चिन्ताधार का अर्थ नहीं निकालना चाहिए, बल्कि
अनेकता में प्रभावित होने वाली जो एकता की
मूलधारा है, उसका तत्व
भारतीयता से किसी एक नामावली
बोध करना उचित है
य ल र व
ल व य र
र ल य व
व य र ल
गोस्वामी तुलसीदास ने
कामना करने वाले कपिमुख
अवतारणा कर सोने में सुगंधि
नारद के शिष्ट हास्य की
मानस में विश्व सुन्दरी की
ला दी है
य ल र व
व य ल र
ल र य व
व ल य र
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम
इस बात की साक्षी है.
का इतिहास
कि सबसे अधिक
विधार्थियों से
बलिदान किया है
व य र ल
र य ल व
र व य ल
य व ल र
भारत माता ग्रामवासिनी
यह पंक्ति
सत्य और सुन्दरी
आज साहित्यकों के बीच ही
सौंदर्य प्रेमी कवि पंत की
रह गई है.
व ल य र
र ल य व
व य ल र
ल र य व
महात्मा गांधी ने
अपने देश की
राष्ट्र भाषा का स्थान
एक भाषा को
देश की एकता के लिए
प्रदान किया
ल य र व
व य ल र
र ल व य
य व र ल
कोई भी भाषा
अपनी-अपनी
होती क्योंकि
बुरी नहीं
सबकी
विशेषताएँ हैं
य व र ल
र ल व य
व य र ल
ल र व य
भाषा में माँ की
ममता , राष्ट्रीय सम्बन्धों
और अपने को जानने
पहचानने की
का माधुर्य और
सरलता रहती है
ल र व य
व र य ल
य व र ल
र व य ल
अपने धर्म में
और दूसरे का धर्म
कल्याण कारक है
भय को
मरना भी
देने वाला है
व र य ल
ल र व य
य व र ल
र ल व य
जिस प्रकार
दहकता है, उसी प्रकार
उसके स्वभाव का
मनुष्य का धर्म
अग्नि का धर्म
पर्याय होना चाहिए
व य र ल
र ल व य
य व र ल
ल व य र
कौवा मोर पंख
मोर नहीं बन
खाल ओढने वाला गीदङ शेर नही
लगा कर
सकता है और शेर की
बन सकेगा
र ल य व
व य र ल
ल य व र
य र ल व
संतोष के
ऊहापोह
हमारा सारा जीवन
अभाव में
व्यतीत हो जाएगा
व ल र य
ल र य व
य र व ल
र ल य व
उत्तरमाला
- (C) (A) 3. (C) 4. (C) 5. (B) 6. (B) 7. (C) 8. (B) 9. (D) 10. (C) 11. (A) 12. (A) 13. (C) 14. (B)